पीड़ा का जग में नाम नहीं होता – स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया
“पीड़ा का जग में नाम नहीं होता” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया ‘नवल’ द्वारा हिंदी खड़ी बोली में रचित कविता है। इस कविता की रचना 16 अक्टूबर सन् 1975 में की गयी थी। इसमें कवि परिश्रम और लगन के गुणों को विकसित करने का आह्वान कर रहा है। पढ़ें और आनंद लें “पीड़ा का जग में नाम नहीं होता” कविता का–
शूलों से शृंगार किया सबने होता,
तो पीड़ा का जग में नाम नहीं होता।
कंचन थाल सजाकर चौमुख दीप जला
मन्दिर में मालायें हम पहनाते हैं
भक्ति भाव से पत्थर की प्रतिमा को भी-
गंगाजल से धो-धो कर नहलाते हैं
पर छैनी की पैनी तीखी चोटों से।
पत्थर के अंग-अंग में घाव नहीं होता
तो मानव का भी भगवान नहीं होता।
तपता है दिन-रात आग से अपने ही-
एक बार क्या नित-प्रति ही देखा होगा।
फिर सन्ध्या के सुन्दर कोमल गालों पर,
बिखरा हुआ पराग लाल देखा होगा।
पर काले लम्बे केशों को फैलाकर-
दुःख या रजनी का आगमन नहीं होता,
तो प्राची में स्वर्ण विहान नहीं होता।
माना हमने अपने नन्हें जीवन में
सुख से रह अमरों को भी ललचाया ह
कभी गुलाबी हँसी खेलती अधरों पर
कभी मधुर स्वर में कुछ गुन-गुन गाया है
पर पलकों की अंगूरी दो सीपों में
भरा हुआ यदि करुणा वारि नहीं होता-
तो हँसने का जग में नाम नहीं होता।
सम्भवतः जीवन की परिभाषा दुःख है
इसीलिए जीवन में गति रहती आई
कनि कभी ने जिसने जीवन में सुख को चाहा-
दुनियाँ उसके चरणों में झुकती आयी
धूप-छाँह की जीवन के लघु प्याले में-
मृगतृष्णा का यदि अभिशाप नहीं होता
तो जीवन का भी वरदान नहीं होता।
अगर शक्ति इतनी हम पैदा कर पाते,
मानव को मानव ही यदि हम कह देते।
और न कुछ भी यदि हम उसको दे पाते,
आँसू के बदले दो आँसू दे देते।
तो सम्भव था दुनिया का कोई कोना
सूखा होकर भी वीरान नहीं होता।
स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया हिंदी खड़ी बोली और ब्रज भाषा के जाने-माने कवि हैं। ब्रज भाषा के आधुनिक रचनाकारों में आपका नाम प्रमुख है। होलीपुरा में प्रवक्ता पद पर कार्य करते हुए उन्होंने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, सवैया, कहानी, निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाकार्य किया और अपने समय के जाने-माने नाटककार भी रहे। उनकी रचनाएँ देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हमारा प्रयास है कि हिंदीपथ के माध्यम से उनकी कालजयी कृतियाँ जन-जन तक पहुँच सकें और सभी उनसे लाभान्वित हों। संपूर्ण व्यक्तित्व व कृतित्व जानने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – श्री नवल सिंह भदौरिया का जीवन-परिचय।