शाही रामायण – अकबर बीरबल की कहानी
“शाही रामायण” की यह कहानी बहुत ही मज़ेदार है। इसमें आप अकबर के कौतुक और बीरबल की चतुराई के बारे में पढ़ सकते हैं। आपको हँसी आए बिना न रहेगी। अकबर-बीरबल के अन्य किस्सों के लिए यहाँ जाएँ – अकबर बीरबल की कहानियाँ।
एक दिन बीरबल और अकबर की एकान्त में बातें हो रही थीं। इसी बीच बादशाह ने बीरबल से रामायण की तर्ज पर शाही रामायण बनाने की चर्चा की।
बीरबल बोला, “पृथवीनाथ! यह कौन बड़ी बात है। शाही रामायण मैं बनाकर आपको दिखलाऊँगा। परन्तु यह इतना आसान काम नहीं है जो थोड़े समय में कर दिखाया जाय। इसमें तीन मास की देर लगेगी और रुपये भी काफ़ी ख़र्च पड़ेंगे। इस समय में ख़र्च के रुपयों का ठीक-ठीक आँकड़ा तो नहीं बता सकता, परन्तु इतना है कि पहले-पहल कार्य्यारम्भ के लिये मुझे 17 हज़ार रुपये मिलने चाहिये।”
अकबर ने ख़ज़ाने से पन्द्रह हज़ार रुपये दिलाकर बीरबल को तीन मास की मुहलत दे शाही रामायण तय्यार करने के लिये विदा किया। वह रुपयों को लेकर सीधे अपने घर पहुँचा और उनसे स्थान-स्थान पर मौक़ा देखकर कुँआँ-बावली खुदवाने का कार्य्यारंभ किया।
इस प्रकार जब दो मास समाप्त होकर तीसरा भी समाप्त होने पर आया, तो बीरबल को शाही रामायण की सूझी। उसने बाज़ार से कोरा काग़ज़ मँगाकर उसकी एक मोटी पुस्तक तय्यार कराई और फिर उसे एक आदमी के सिर पर रखकर अकबर के पास पहुँचा।
बीरबल बादशाह को पुस्तक दिखाकर बोला, “पृथिवीनाथ! अबतक रामायण तय्यार हो गई होती परन्तु अभी इसमें कुछ काम बाक़ी हैं, जिसकी पूर्ति के लिये आपके पास आना पड़ा। कृपा कर मेरे सन्देह को मिटाकर इसकी पूर्ति करा दीजिये। रामायण में एक नायक और नायिका का प्रधान होना आवश्यक है। रामायण में श्री राम नायक थे। यहाँ नायक तो आप अकेले हैं, परन्तु आपके पास कई नायिकाएँ हैं। इसलिये इसमें किस बेगम को प्रधान मानकर नायिका बनाया जाय?”
बादशाह अकबर बोले, “प्रधान बेगम को ही इसकी नायिका बनाओ।” बीरबल पुस्तक को लिये दिये बड़ी बेगम के पास पहुँचा और उनसे कुशल प्रश्न के पश्चात् पूछा, “रामायण काव्य की नायिका महारानी सीता जी को राक्षसराज रावण के घर रहना पड़ा था। इसलिये आप किसके घर रही हो। आपसे इसका उत्तर मिलने पर मैं शाही रामायण तय्यार कर डालूंगा।”
बीरबल की ऐसी बातें सुनकर बेगम सिर से पैर तक जल गईं और उन्होंने अपनी दासी को आज्ञा देकर उस शाही रामायण को बीरबल के सामने ही जलवा दिया।
बीरबल बेगम से विदा होकर अकबर के पास आया और बेगम के द्वारा चिढ़कर शाही रामायण जलाए जाने का सारा क़िस्सा कह सुनाया। फिर हाथ जोड़कर बोला, “पृथ्वीनाथ! शाही रामायण फिर भी तय्यार हो सकती है। यदि आप चाहते हो तो दूसरी आज्ञा दीजिये।”