सूरह अनाम – अल-अनआम (सूरह 6)
सूरह अनाम कुरान शरीफ का छठा सूरह है। यह सूरह मक्की है जिसमें 165 आयतें हैं। कहते हैं कि सूरह अनाम के साथ जो सत्तर हजार फरिश्ते आए थे, वे इसे पढ़ने वाले की बेहतरी के लिए रात-दिन दुआएँ करते हैं। यह भी मान्यता है कि जो लगातार छः दिनों तक सूरह अनाम को जाफरान (केसर) से लिखता है और फिर उसे पी लेता है (लिखे हुए सूरह को पानी में डूबोकर जब तक लिखावट पूरी तरह पानी में न मिल जाए), वह सभी कठिनाइयों और बीमारियों से मुक्त हो जाता है। सूरह अनाम की ताकत से वह कभी भी गंभीर रूप से बीमार नहीं होता और शारीरिक दर्दों से हमेशा बचा रहता है। आइए, पढ़ते हैं सूरह अनाम हिंदी में।
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है।
तारीफ़ अल्लाह के लिए है जिसने आसमानों और ज़मीन को पैदा किया और तारीकियों और रोशनी को बनाया। फिर भी मुंकिर लोग दूसरों को अपने रब का हमसर ठहराते हैं। वही है जिसने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया। फिर एक मुद्दत मुक़र्रर की और मुक़र्ररह मुदूदत उसी के इल्म में है। फिर भी तुम शक करते हो। और वही अल्लाह आसमानों में है और वही ज़मीन में। वह तुम्हारे छुपे और खुले को जानता है और वह जानता है जो कुछ तुम करते हो। (1-3)
और उनके रब की निशानियों में से जो निशानी भी उनके पास आती है वे उससे एराज़ (उपेक्षा) करते हैं। चुनांचे जो हक़ उनके पास आया है उसे भी उन्होंने झुठला दिया। पस अनक़रीब उनके पास उस चीज़ की ख़बरें आएंगी जिसका वह मज़ाक़ उड़ाते थे। कया उन्होंने नहीं देखा कि हमने उनसे पहले कितनी क़ौमों को हलाक कर दिया। उन्हें हमने ज़मीन में जमा दिया था जितना तुम्हें नहीं जमाया। और हमने उन पर आसमान से ख़ूब बारिश बरसाई और हमने नहरें जारी कीं जो उनके नीचे बहती थीं फिर हमने उन्हें उनके गुनाहों के सबब हलाक कर डाला। और उनके बाद हमने दूसरी क़ौमों को उठाया। (4-6)
और अगर हम तुम पर ऐसी किताब उतारते जो कागज़ में लिखी हुई होती और वे उसे अपने हाथों से छू भी लेते तब भी इंकार करने वाले यह कहते कि यह तो एक खुला हुआ जादू है। और वे कहते हैं कि इस पर कोई फ़रिश्ता क्यों नहीं उतारा गया। और अगर हम कोई फ़रिश्ता उतारते तो मामले का फ़ैसला हो जाता फिर उन्हें कोई मोहलत न मिलती। और अगर हम किसी फ़रिश्ते को रसूल बनाकर भेजते तो उसे भी आदमी बनाते और उन्हें उसी शुबह में डाल देते जिसमें वे अब पड़े हुए हैं। और तुमसे पहले भी रसूलों का मज़ाक़ उड़ाया गया तो उनमें से जिन लोगों ने मज़ाक़ उड़ाया उन्हें उस चीज़ ने आ घेरा जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते थे। कहो, ज़मीन में चलो फिरो और देखो कि झुठलाने वालों का अंजाम क्या हुआ। (7-11)
पूछो कि किसका है जो कुछ आसमानों और ज़मीन में है। कहो सब कुछ अल्लाह का है। उसने अपने ऊपर रहमत लिख ली है। वह ज़रूर तुम्हें जमा करेगा क़ियामत के दिन, इसमें कोई शक नहीं। जिन लोगों ने अपने आपको घाटे में डाला वही हैं जो इस पर ईमान नहीं लाते। और अल्लाह ही का है जो कुछ ठहरता है रात में और जो कुछ दिन में। और वह सब कुछ सुनने वाला जानने वाला है। कहो, क्या मैं अल्लाह के सिवा किसी और को मददगार बनाऊं जो बनाने वाला है आसमानों और ज़मीन का। और वह सबको खिलाता है और उसे कोई नहीं खिलाता | कहो मुझे हुक्म मिला है कि मैं सबसे पहले इस्लाम लाने वाला बनूं और तुम हरगिज़ मुश्रिकों में से न बनो। कहो अगर मैं अपने रब की नाफ़रमानी करूं तो मैं एक बड़े दिन के अज़ाब से डरता हूं। जिस शख्स से वह उस रोज़ हटा लिया गया उस पर अल्लाह ने बड़ा रहम फ़रमाया और यही खुली कामयाबी है। (12-16)
और अगर अल्लाह तुझे कोई दुख पहुंचाए तो उसके सिवा कोई उसे दूर करने वाला नहीं। और अगर अल्लाह तुझे कोई भलाई पहुंचाए तो वह हर चीज़ पर क़ादिर है। और उसी का ज़ोर है अपने बंदों पर। और वह हिक्मत (तत्वदर्शिता) वाला सबकी ख़बर रखने वाला है, तुम पूछो कि सबसे बड़ा गवाह कौन है। कहो अल्लाह, वह मेरे और तुम्हारे दर्मियान गवाह है और मुझ पर यह क्रुरआन उतरा है ताकि मैं तुम्हें इससे ख़बरदार कर दूं और उसे जिसे यह पहुंचे। क्या तुम इसकी गवाही देते हो कि ख़ुदा के साथ कुछ और माबूद भी हैं। कहो, मैं इसकी गवाही नहीं देता। कहो, वह तो बस एक ही माबूद है और मैं बरी हूं तुम्हारे शिर्क से। (17-19)
जिन लोगों को हमने किताब दी है वह उसे पहचानते हैं जैसा अपने बेटों को पहचानते हैं। जिन लोगों ने अपने को घाटे में डाला वे उसे नहीं मानते। और उस शख्स से ज़्यादा ज़ालिम कौन होगा जो अल्लाह पर बोहतान बांधे या अल्लाह की निशानियों को झुठलाए। यक़रीनन ज़ालिमों को फ़लाह (कल्याण) नहीं मिलती | और जिस दिन हम उन सबको जमा करेंगे फिर हम कहेंगे उन शरीक ठहराने वालों से कि तुम्हारे वे शरीक कहां हैं जिनका तुम्हें दावा था। फिर उनके पास कोई फ़रेब न रहेगा मगर ये कि वे कहेंगे कि अल्लाह अपने रब की क़सम, हम शिर्क करने वाले न थे। देखो यह किस तरह अपने आप पर झूठ बोले और खोई गईं उनसे वे बातें जो वे बनाया करते थे। और उनमें कुछ लोग ऐसे हैं जो तुम्हारी तरफ़ कान लगाते हैं और हमने उनके दिलों पर पर्दे डाल दिए हैं कि वे उसे न समझें। और उनके कानों मे बोझ है। अगर वे तमाम निशानियां देख लें तब भी उन पर ईमान न लाएंगे। यहां तक कि जब वे तुम्हारे पास तुमसे झगड़ने आते हैं तो वे मुंकिर कहते हैं कि यह तो बस पहले लोगों की कहानियां हैं। वे लोगों को रोकते हैं और ख़ुद भी उससे अलग रहते हैं। वे ख़ुद अपने को हलाक कर रहे हैं मगर वे नहीं समझते। और अगर तुम उन्हें उस वक़्त देखो जब वे आग पर खड़े किए जाएंगे और कहेंगे कि काश हम फिर भेज दिए जाएं तो हम अपने रब की निशानियों को न झुठलाएं और हम ईमान वालों में से हो जाएं। अब उन पर वह चीज़ खुल गई जिसे वे इससे पहले छुपाते थे। और अगर वे वापस भेज दिए जाएं तो वे फिर वही करेंगे जिससे वे रोके गए थे। और बेशक वे झूठे हैं। (20-28)
और कहते हैं कि ज़िंदगी तो बस यही हमारी दुनिया की ज़िंदगी है। और हम फिर उठाए जाने वाले नहीं। और अगर तुम उस वक़्त देखते जबकि वे अपने रब के सामने खड़े किए जाएंगे। वह उनसे पूछेगा : क्या यह हक़ीक़त नहीं है, वे जवाब देंगे हां, हमारे रब की क़सम, यह हक़ीक़त है। ख़ुदा फ़रमाएगा। अच्छा तो अज़ाब चखो उस इंकार के बदले जो तुम करते थे। यक़ीनन वे लोग घाटे में रहे जिन्होंने अल्लाह से मिलने को झुठलाया। यहां तक कि जब वह घड़ी उन पर अचानक आएगी तो वे कहेंगे हाय अफ़सोस, इस बाब में हमने कैसी कोताही की और वे अपने बोझ अपनी पीठों पर उठाए हुए होंगे। देखो, कैसा बुरा बोझ है जिसे वे उठाएंगे और दुनिया की ज़िंदगी तो बस खेल तमाशा है और आख़िरत का घर बेहतर है उन लोगों के लिए जो तक़वा (ईश-भय) रखते हैं, क्या तुम नहीं समझते। (29-32) हमें मालूम है कि वे जो कुछ कहते हैं उससे तुम्हें रंज होता है। ये लोग तुम्हें नहीं झुठलाते बल्कि यह ज़ालिम दरअसल अल्लाह की निशानियों का इंकार कर रहे हैं। और तुमसे पहले भी रसूलों को झुठलाया गया तो उन्होंने झुठलाए जाने और तकलीफ़ पहुंचाने पर सब्र किया यहां तक कि उन्हें हमारी मदद पहुंच गई। और अल्लाह की बातों को कोई बदलने वाला नहीं। और पैग़म्बरों की कुछ ख़बरें तुम्हें पहुंच ही चुकी हैं। और अगर उनकी बेरुख़ी तुम पर गिरां गुज़र रही है तो अगर तुममें कुछ ज़ोर है तो ज़मीन में कोई सुरंग ढूंढो या आसमान में सीढ़ी लगाओ और उनके लिए कोई निशानी ले आओ। और अगर अल्लाह चाहता तो उन सबको हिदायत पर जमा कर देता। पस तुम नादानों में से न बनो। क़ुबूल तो वही लोग करते हैं जो सुनते हैं और मुर्दों को अल्लाह उठाएगा फिर वे उसकी तरफ़ लौटाए जाएंगे। और वे कहते हैं कि रसूल पर कोई निशानी उसके रब की तरफ़ से क्यों नहीं उतरी। कहो अल्लाह बेशक क़ादिर है कि कोई निशानी उतारे मगर अक्सर लोग नहीं जानते। और जो भी जानवर ज़मीन पर चलता है और जो भी परिंदा अपने दोनों बाज़ुओं से उड़ता है वे सब तुम्हारी ही तरह के समूह हैं। हमने लिखने में कोई चीज़ नहीं छोड़ी है। फिर सब अपने रब के पास इकट्ठा किए जाएंगे। और जिन्होंने हमारी निशानियों को झुठलाया वे बहरे और गुंगे हैं, तारीकियों में पड़े हुए हैं। अल्लाह जिसे चाहता है भटका देता है और जिसे चाहता है सीधी राह पर लगा देता है। (38-39)
कहो, यह बताओ कि अगर तुम पर अल्लाह का अज़ाब आए या क़्रियामत आ जाए तो क्या तुम अल्लाह के सिवा किसी और को पुकारोगे। बताओ अगर तुम सच्चे हो, बल्कि तुम उसी को पुकारोगे। फिर वह दूर कर देता है उस मुसीबत को जिसके लिए तुम उसे पुकारते हो। अगर वह चाहता है। और तुम भूल जाते हो उन्हें जिन्हें तुम शरीक ठहराते हो। और तुमसे पहले बहुत सी क़ौमों की तरफ़ हमने रसूल भेजे। फिर हमने उन्हें पकड़ा सख्ती में और तकलीफ़ में ताकि वे गिड़गिड़ाएं। पस जब हमारी तरफ़ से उन पर सख्ती आई तो क्यों न वे गिड़गिड़ाए बल्कि उनके दिल सख्त हो गए। और शैतान उनके अमल को उनकी नज़र में ख़ुशनुमा करके दिखाता रहा। फिर जब उन्होंने उस नसीहत को भुला दिया जो उन्हें की गई थी तो हमने उन पर हर चीज के दरवाज़े खोल दिये। यहां तक की जब वे उस चीज़ पर ख़ुश हो गए जो उन्हें दी गई थी तो हमने अचानक उन्हें पकड़ लिया। उस वक़्त वे नाउम्मीद होकर रह गए। पस उन लोगों की जड़ काट दी गई जिन्होंने ज़ुल्म किया था और सारी तारीफ़ अल्लाह के लिए है, तमाम जहानों का रब। (40-45)
कहो, यह बताओ कि अल्लाह अगर छीन ले तुम्हारे कान और तुम्हारी आंखें और तुम्हारे दिलों पर मुहर कर दे तो अल्लाह के सिवा कौन माबूद (पूज्य) है जो उसे वापस लाए। देखो हम क्योंकर तरह-तरह से निशानियां बयान करते हैं फिर भी वे एराज़ (उपेक्षा) करते हैं। कहो, यह बताओ अगर अल्लाह का अज़ाब तुम्हारे ऊपर अचानक या एलानिया आ जाए तो ज़ालिमों के सिवा और कौन हलाक होगा। और रसूलों को हम सिर्फ़ ख़ुशख़बरी देने वाले या डराने वाले की हैसियत से भेजते हैं। फिर जो ईमान लाया और अपनी इस्लाह की तो उनके लिए न कोई अंदेशा है और न वे ग़मगीन होंगे। और जिन्होंने हमारी निशानियों को झुठलाया तो उन्हें अज़ाब पकड़ लेगा इसलिए कि वे नाफ़रमानी करते थे। कहो, मैं तुमसे यह नहीं कहता कि मेरे पास अल्लाह के ख़ज़ाने हैं और न मैं गैब को जानता हूं और न मैं तुमसे कहता हूं कि मैं फ़रिश्ता हूं। मैं तो बस उस “वही! (ईश्वरीय वाणी) की पैरवी करता हूं जो मेरे पास आती है। कहो, क्या अंधा और आंखों वाला दोनों बराबर हो सकते हैं। क्या तुम ग़ौर नहीं करते। और तुम इस “वहीं! (ईश्वरीय वाणी) के ज़रिए से डराओ उन लोगों को जो अंदेशा रखते हैं इस बात का कि वे अपने रब के पास जमा किए जाएंगे इस हाल में कि अल्लाह के सिवा न उनका कोई हिमायती होगा और न सिफ़ारिश करने वाला, शायद कि वे अल्लाह से डरें। और तुम उन लोगों को अपने से दूर न करो जो सुबह व शाम अपने रब को पुकारते हैं उसकी ख़ुशनूदी चाहते हुए। उनके हिसाब में से किसी चीज़ का बोझ तुम पर नहीं और तुम्हारे हिसाब में से किसी चीज़ का बोझ उन पर नहीं कि तुम उन्हें अपने से दूर करके बेइंसाफ़ों में से हो जाओ। और इस तरह हमने उनमें से एक को दूसरे से आज़माया है ताकि वे कहें कि क्या यही वे लोग हैं जिन पर हमारे दर्मियान अल्लाह का फ़ज़्ल हुआ है। क्या अल्लाह शुक्रगुज़ारों से खूब वाक़िफ़ नहीं। (46-53)
और जब तुम्हारे पास वे लोग आएं जो हमारी आयतों पर ईमान लाए हैं तो उनसे कहो कि तुम पर सलामती हो। तुम्हारे रब ने अपने ऊपर रहमत लिख ली है। बेशक तुममें से जो कोई नादानी से बुराई कर बैठे फिर इसके बाद वह तौबा करे और इस्लाह (सुधार) कर ले तो वह बझ्शाने वाला मेहरबान है। और इस तरह हम अपनी निशानियां खोल कर बयान करते हैं, और ताकि मुजरिमीन का तरीक़ा ज़ाहिर हो जाए। कहो, मुझे इससे रोका गया है कि मैं उनकी इबादत करूं जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो। कहो मैं तुम्हारी ख़्वाहिशों की पैरवी नहीं कर सकता। अगर मैं ऐसा करूं तो मैं बेराह हो जाऊंगा और मैं राह पाने वालों में से न रहूंगा। कहो मैं अपने रब की तरफ़ से एक रोशन दलील पर हूं और तुमने उसे झुठला दिया है। वह चीज़ मेरे पास नहीं है जिसके लिए तुम जल्दी कर रहे हो। फैसले का इख़्तियार सिर्फ़ अल्लाह को है। वही हक़ को बयान करता है और वह बेहतरीन फ़ैसला करने वाला है। कहो, अगर वह चीज़ मेरे पास होती जिसके लिए तुम जल्दी कर रहे हो तो मेरे और तुम्हारे दर्मियान मामले का फ़ैसला हो चुका होता, और अल्लाह ख़ूब जानता है ज़ालिमों को। और उसी के पास ग़ैब (अप्रकट) की कुंजियां हैं, उसके सिवा उसे कोई नहीं जानता। अल्लाह जानता है जो कुछ ख़ुश्की और समुद्र में है। और दरख़्त से गिरने वाला कोई पत्ता नहीं जिसका उसे इल्म न हो और जमीन की तारीकियों में कोई दाना नहीं गिरता और न कोई तर और ख़ुश्क चीज़ मगर सब एक खुली किताब में दर्ज है। (54-59)
और वही है जो रात में तुम्हें वफ़ात देता है और दिन को जो कुछ तुम करते हो उसे जानता है। फिर तुम्हें उठा देता है उसमें ताकि मुक़र्रर मुद्दत पूरी हो जाए। फिर उसी की तरफ़ तुम्हारी वापसी है। फिर वह तुम्हें बाख़बर कर देगा उससे जो तुम करते रहे हो। और वह ग़ालिब (वर्चस्ववान) है अपने बंदों के ऊपर और वह तुम्हारे ऊपर निगरां (निरीक्षक) भेजता है। यहां तक कि जब तुममें से किसी की मौत का वक़्त आ जाता है तो हमारे भेजे हुए फ़रिश्ते उसकी रूह क़ब्ज़ कर लेते हैं और वे कोताही नहीं करते। फिर सब अल्लाह, अपने मालिके हक़ीक़ी की तरफ़ वापस लाए जाएंगे। सुन लो, हुक्म उसी का है और वह बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है। कहो, कौन तुम्हें नजात देता है ख़ुश्की और समुद्र की तारीकियों से, तुम उसे पुकारते हो आजिज़ी से और चुपके-चुपके कि अगर ख़ुदा ने हमें नजात दे दी इस मुसीबत से तो हम उसके शुक्रगुज़ार बंदों में से बन जाएंगे। कहो, ख़ुदा ही तुम्हें नजात देता है उससे और हर तकलीफ़ से, फिर भी तुम शिर्क (साझीदार ठहराना) करने लगते हो। कहो, ख़ुदा क्रादिर है इस पर कि तुम पर कोई अज़ाब भेज दे तुम्हारे ऊपर से या तुम्हारे पैरों के नीचे से या तुम्हें गिरोह-गिरोह करके एक को दूसरे की ताक़त का मज़ा चखा दे। देखो, हम किस तरह दलाइल (तर्क) मुख्तलिफ़ पहलुओं से बयान करते हैं ताकि वे समझें | और तुम्हारी क़ौम ने उसे झुठला दिया है हालांकि वह हक़ है। कहो, मैं तुम्हारे ऊपर दारोग़ा नहीं हूं। हर ख़बर के लिए एक वक़्त मुक़र्रर है और तुम जल्द ही जान लोगे। (60-67)
और जब तुम उन लोगों को देखो जो हमारी आयतों में ऐब निकालते हैं तो उनसे अलग हो जाओ यहां तक कि वे किसी और बात में लग जाएं। और अगर कभी शैतान तुम्हें भुला दे तो याद आने के बाद ऐसे बेइंसाफ़ लोगों के पास न बैठो। और जो लोग अल्लाह से डरते हैं उन पर उनके हिसाब में से किसी चीज़ की ज़िम्मेदारी नहीं। अलबत्ता याद दिलाना है शायद कि वे भी डरें। उन लोगों छोड़ो जिन्होंने अपने दीन को खेल तमाशा बना रखा है और जिन्हें दुनिया की ज़िंदगी ने धोखे में डाल रखा है। और क़ुरआन के ज़रिए नसीहत करते रहो ताकि कोई शख्स अपने किए में गिरफ़्तार न हो जाए, इस हाल में कि अल्लाह से बचाने वाला कोई मददगार और सिफ़ारिशी उसके लिए न हो। अगर वह दुनिया भर का मुआवज़ा दे तब भी क़ुबूल न किया जाए। यही लोग हैं जो अपने किए में गिरफ़्तार हो गए। उनके लिए खौलता पानी पीने के लिए होगा और दर्दनाक सज़ा होगी इसलिए कि वे कुफ़ करते थे। (68-70)
कहो, क्या हम अल्लाह को छोड़कर उन्हें पुकारें जो न हमें नफ़ा दे सकते और न हमें नुक़्सान पहुंचा सकते। और कया हम उल्टे पांव फिर जाएं, बाद इसके कि अल्लाह हमें सीधा रास्ता दिखा चुका है, उस शख्स की मानिंद जिसे शैतानों ने बयाबान में भटका दिया हो और वह हैरान फिर रहा हो, उसके साथी उसे सीधे रास्ते की तरफ़ बुला रहे हों कि हमारे पास आ जाओ। कहो कि रहनुमाई तो सिर्फ़ अल्लाह की रहनुमाई है और हमें हुक्म मिला है कि हम अपने आपको संसार के रब के हवाले कर दें। और यह कि नमाज़ क़ायम करो और अल्लाह से डरो वही है जिसकी तरफ़ तुम समेटे जाओगे। और वही है जिसने आसमानों और ज़मीन को हक़ के साथ पैदा किया है और जिस दिन वह कहेगा कि हो जा तो वह हो जाएगा। उसकी बात हक़ है और उसी की हुकूमत होगी उस रोज़ जब सूर फूंका जाएगा। वह ग़ायब और ज़ाहिर का आलिम और हकीम (तत्वदर्शी) व ख़बीर (सर्वज्ञाता) है। (71-74)
और जब इब्राहीम ने अपने बाप आज़र से कहा कि क्या तुम बुतों को ख़ुदा मानते हो। मैं तुम्हें और तुम्हारी क़्ौम को खुली हुई गुमराही में देखता हूं। और इसी तरह हमने इब्राहीम को दिखा दी आसमानों और ज़मीन की हुकूमत, और ताकि उसे यक्रीन आ जाए। फिर जब रात ने उस पर अंधेरा कर लिया उसने एक तारे को देखा। कहा यह मेरा रब है। फिर जब वह डूब गया तो उसने कहा मैं डूब जाने वालों को दोस्त नहीं रखता। फिर जब उसने चांद को चमकते हुए देखा तो कहा यह मेरा रब है। फिर जब वह डूब गया तो उसने कहा अगर मेरा रब मुझे हिदायत न करे तो मैं गुमराह लोगों में से हो जाऊं। फिर जब सूरज को चमकते हुए देखा तो कहा कि यह मेरा रब है, यह सबसे बड़ा है। फिर जब वह डूब गया तो उसने अपनी क़ौम से कहा कि ऐ लोगो, मैं उस शिर्क (साझीदार ठहराना) से बरी हूं जो तुम करते हो। मैंने अपना रुख़ यकसू होकर उसकी तरफ़ कर लिया जिसने आसमानों और ज़मीन को पैदा कर लिया है और मैं शिर्क करने वालों में से नहीं हूं। (75-80)और उसकी क़ौम उससे झगड़ने लगी। उसने कहा क्या तुम अल्लाह के मामले में मुझसे झगड़ते हो हालांकि उसने मुझे राह दिखा दी है। और मैं उनसे नहीं डरता जिन्हें तुम अल्लाह का शरीक ठहराते हो मगर यह कि कोई बात मेरा रब ही चाहे। मेरे रब का इल्म हर चीज़ पर छाया हुआ है, कया तुम नहीं सोचते। और मैं क्योंकर डरूं तुम्हारे शरीकों से जबकि तुम अल्लाह के साथ उन चीज़ों को ख़ुदाई में शरीक ठहराते हुए नहीं डरते जिनके लिए उसने तुम पर कोई सनद नहीं उतारी। अब दोनों फ़रीक़ों (पक्षों) में से अम्न का ज़्यादा मुस्तहिक़ कौन है, अगर तुम जानते हो। जो लोग ईमान लाए और नहीं मिलाया उन्होंने अपने ईमान में कोई नुक़्सान, उन्हीं के लिए अम्न है और वही सीधी राह पर हैं। यह है हमारी दलील जो हमने इब्राहीम को उसकी क्रौम के मुक़ाबले में दी। हम जिसके दर्ज चाहते हैं बुलन्द कर देते हैं। बेशक तुम्हारा रब हकीम (तत्वदर्शी) व अलीम (ज्ञानवान) है। (81-84)
और हमने इब्राहीम को इस्हाक़ और याकूब अता किए, हर एक को हमने हिदायत दी और नूह को भी हमने हिदायत दी इससे पहले। और उसकी नस्ल में से दाऊद और सुलैमान और अय्यूब और यूसुफ़ और मूसा और हारून को भी। और हम नेकों को इसी तरह बदला देते हैं। और ज़करिया और यहया और ईसा और इलियास को भी, इनमें से हर एक सालेह (नेक) था। और इस्माईल और अलयसअ और यूनुस और लूत को भी और इनमें से हर एक को हमने दुनिया वालों पर फ़ज़ीलत (श्रेष्ठता) अता की। और उनके बाप दादों और उनकी औलाद और उनके भाइयों में से भी, और उन्हें हमने चुन लिया और हमने सीधे रास्ते की तरफ़ उनकी रहनुमाई की। यह अल्लाह की हिदायत है, वह इससे सरफ़राज़ करता है अपने बंदों में से जिसे चाहता है। और अगर वे शिर्क करते तो ज़ाया हो जाता जो कुछ उन्होंने किया था। ये लोग हैं जिन्हें हमने किताब और हिक्मत और नुबुव्वत अता की। पस अगर ये मक्का वाले इसका इंकार कर दें तो हमने इसके लिए ऐसे लोग मुक़र्रर कर दिए हैं जो इसके मुंकिर नहीं हैं। यही लोग हैं जिन्हें अल्लाह ने हिदायत बख्शी, पस तुम भी उनके तरीक़े पर चलो। कह दो, मैं इस पर तुमसे कोई मुआवज़ा नहीं मांगता। यह तो बस एक नसीहत है दुनिया वालों के लिए। (85-91)
और उन्होंने अल्लाह का बहुत ग़लत अंदाज़ा लगाया जब उन्होंने कहा कि अल्लाह ने किसी इंसान पर कोई चीज़ नहीं उतारी। कहो कि वह किताब किसने उतारी थी जिसे लेकर मूसा आए थे, वह रोशनी थी और रहनुमाई थी लोगों के वास्ते, जिसे तुमने वरक़-वरक़ कर रखा है। कुछ को ज़ाहिर करते हो और बहुत कुछ छुपा जाते हो। और तुम्हें वे बातें सिखाईं जिन्हें न जानते थे तुम और न तुम्हारे बाप दादा। कहो कि अल्लाह ने उतारी | फिर उन्हें छोड़ दो कि अपनी कजबहसियों (कुसंवाद) में खेलते रहें। और यह एक किताब है जो हमने उतारी है, बरकत वाली है, तस्दीक़ करने वाली उनकी जो इससे पहले हैं। और ताकि तू डराए मक्का वालों को और उसके आस पास वालों को। और जो आख़िरत पर यकीन रखते हैं वही उस पर ईमान लाएंगे। और वे अपनी नमाज़ की हिफ़ाज़त करने वाले हैं। (92-93)
और उससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा जो अल्लाह पर झूठ तोहमत बांधे या कहे कि मुझ पर “वही’ (ईश्वरीय वाणी) आई है हालांकि उस पर कोई “वही! नाज़िल नहीं की गई हो। और कहे कि जैसा कलाम ख़ुदा ने उतारा है मैं भी उतारूंगा। और काश तुम उस वक़्त देखो जबकि ये ज़ालिम मौत की सख्ततियों में होंगे और फ़रिश्ते हाथ बढ़ा रहे होंगे कि लाओ अपनी जानें निकालो। आज तुम्हें ज़िल्लत का अज़ाब दिया जाएगा इस सबब से कि तुम अल्लाह पर झूठी बातें कहते थे। और तुम अल्लाह की निशानियों से तकब्बुर (घमंड) करते थे। और तुम हमारे पास अकेले-अकेले आ गए जैसा कि हमने तुम्हें पहली मर्तबा पैदा किया था। और जो कुछ असबाब हमने तुम्हें दिया था सब तुम पीछे छोड़ आए। और हम तुम्हारे साथ उन सिफ़ारिश वालों को भी नहीं देखते जिनके मुतअल्लिक़ तुम समझते थे कि तुम्हारा काम बनाने में उनका भी हिस्सा है। तुम्हारा रिश्ता टूट गया और तुमसे जाते रहे वे दावे जो तुम करते थे। (94-95)
बेशक अल्लाह दाने और गुठली को फाड़ने वाला है। वह जानदार को बेजान से निकालता है और वही बेजान को जानदार से निकालने वाला है। वही तुम्हारा अल्लाह है, फिर तुम किधर बहके चले जा रहे हो। वही बरामद करने वाला है सुबह का और उसने रात को सुकून का वक़्त बनाया और सूरज और चांद को हिसाब से रखा है। यह ठहराया हुआ है बड़े ग़लबे (वर्चस्व) वाले का, बड़े इल्म वाले का। और वही है जिसने तुम्हारे लिए सितारे बनाए ताकि तुम उनके ज़रिए से ख़ुश्की और तरी के अंधेरों में राह पाओ। बेशक हमने दलाइल (तर्क) खोल कर बयान कर दिए हैं उन लोगों के लिए जो जानना चाहें। (96-98)
और वही है जिसने तुम्हें पैदा किया एक जान से, फिर हर एक के लिए एक ठिकाना है और हर एक के लिए उसके सौंपे जाने की जगह | हमने दलाइल खोल कर बयान कर दिए हैं उन लोगों के लिए जो समझें। और वही है जिसने आसमान से पानी बरसाया, फिर हमने उससे निकाली उगने वाली हर चीज़। फिर हमने उससे सरसब्ज़ शाख़ निकाली जिससे हम तह-ब-तह दाने पैदा कर देते हैं। और खजूर के गाभे में से फल के गुच्छे झुके हुए और बाग़ अंगूर के और ज़ैतून के और अनार के, आपस में मिलते जुलते और जुदा जुदा भी। हर एक के फल को देखो
जब वह फलता है। और उसके पकने को देखो जब वह पकता है। बेशक इनके अंदर निशानियां हैं उन लोगों के लिए जो ईमान की तलब रखते हैं। (99-100)
और उन्होंने जिन््नात को अल्लाह का शरीक क़रार दिया। हालांकि उसी ने उन्हें पैदा किया है। और बे जाने बूझे उसके लिए बेटियां और बेटे तराशीं। पाक और बरतर है वह उन बातों से जो ये बयान करते हैं। वह आसमानों और ज़मीन का मूजिद (उत्पत्तिकर्ता) है। उसका कोई बेटा कैसे हो सकता है जबकि उसकी कोई बीवी नहीं। और उसने हर चीज़ को पैदा किया है और वह हर चीज़ से बाख़बर है। यह है अल्लाह तुम्हारा रब। उसके सिवा कोई माबूद नहीं। वही हर चीज़ का ख़ालिक़ है, पस तुम उसी की इबादत करो। और वह हर चीज़ का कारसाज़ है। उसे निगाहें नहीं पातीं। मगर वह निगाहों को पा लेता है। वह बड़ा बारीकबीं और बड़ा बाख़बर है। अब तुम्हारे पास तुम्हारे रब की तरफ़ से बसीरत की रोशनियां आ चुकी हैं। पस जो बीनाई से काम लेगा वह अपने ही लिए, और जो अंधा बनेगा वह ख़ुद नुक़्सान उठाएगा। और मैं तुम्हारे ऊपर कोई निगरां नहीं हूं। (101-105)
और इस तरह हम अपनी दलीलें मुख़्तलिफ़ तरीक़ों से बयान करते हैं और ताकि वे कहें कि तुमने पढ़ दिया और ताकि हम अच्छी तरह खोल दें उन लोगों के लिए जो जानना चाहें। तुम बस उस चीज़ की पैरवी करो जो तुम्हारे रब की तरफ़ से तुम पर “वही” (प्रकाशना) की जा रही है। उसके सिवा कोई माबूद नहीं और मुश्रिकों से एराज़ (उपेक्षा) करों। और अगर अल्लाह चाहता तो ये लोग शिर्क न करते। और हमने तुम्हें उनके ऊपर निगरां (संरक्षक) नहीं बनाया है और न तुम उन पर मुख्तार (साधिकार) हो। और अल्लाह के सिवा जिन्हें ये लोग पुकारते हैं उन्हें गाली न दो वर्ना ये लोग हद से गुज़र कर जहालत की बुनियाद पर अल्लाह को गालियां देने लगेंगे। इसी तरह हमने हर गिरोह की नज़र में उसके अमल को ख़ुशनुमा बना दिया है। फिर उन सबको अपने रब की तरफ़ पलटना है। उस वक़्त अल्लाह उन्हें बता देगा जो वे करते थे। (106-109)
और ये लोग अल्लाह की क़सम बड़े ज़ोर से खाकर कहते हैं कि अगर उनके पास कोई निशानी आ जाए तो वे ज़रूर उस पर ईमान ले आएं। कह दो कि निशानियां तो अल्लाह के पास हैं। और तुम्हें क्या ख़बर कि अगर निशानियां आ जाएं तब भी ये ईमान नहीं लाएंगे। और हम उनके दिलों और उनकी निगाहों को फेर देंगे जैसा कि ये लोग उसके ऊपर पहली बार ईमान नहीं लाए। और हम उन्हें उनकी सरकशी में भटकता हुआ छोड़ देंगे। और अगर हम उन पर फ़रिश्ते उतार देते और मुर्दे उनसे बातें करते और हम सारी चीज़ें उनके सामने इकट्ठा कर देते तब भी ये लोग ईमान लाने वाले न थे इल्ला यह कि अल्लाह चाहे मगर उनमें से अक्सर लोग नादानी की बातें करते हैं। (110-112)
और इसी तरह हमने शरीर (दुष्ट) आदमियों और शरीर जिन्नों को हर नबी का दुश्मन बना दिया। वे एक दूसरे को पुरफ़रेब बातें सिखाते हैं धोखा देने के लिए। और अगर तेरा रब चाहता तो वे ऐसा न कर सकते। पस तुम उन्हें छोड़ दो कि वे झूठ बांधते रहें। और ऐसा इसलिए है कि उसकी तरफ़ उन लोगों के दिल मायल हों जो आख़िरत (परलोक) पर यक़ीन नहीं रखते। और ताकि वे उसे पसंद करें और ताकि जो कमाई उन्हें करनी है वह कर लें। क्या मैं अल्लाह के सिवा किसी और को मुंसिफ़ बनाऊं। हालांकि उसने तुम्हारी तरफ़ वाज़ेह किताब उतारी है। और जिन लोगों को हमने पहले किताब दी थी वे जानते हैं कि यह तेरे रब की तरफ़ से उतारी गई है हक़ के साथ। पस तुम न हो शक करने वालों में। और तुम्हारे रब की बात पूरी सच्ची है और इंसाफ़ की, कोई बदलने वाला नहीं उसकी बात को और वह सुनने वाला, जानने वाला है। और अगर तुम लोगों की अक्सरियत के कहने पर चलो जो ज़मीन में हैं तो वे तुम्हें ख़ुदा के रास्ते से भटका देंगे। वे महज़ गुमान की पैरवी करते हैं और क़यास आराइयां (अटकल बातें) करते हैं। बेशक तुम्हारा रब खूब जानता है उन्हें जो उसके रास्ते से भटके हुए हैं और ख़ूब जानता है उन्हें जो राह पाए हुए हैं। (113-118)
पस खाओ उस जानवर में से जिस पर अल्लाह का नाम लिया जाए, अगर तुम उसकी आयतों पर ईमान रखते हो। और क्या वजह है कि तुम उस जानवर में से न खाओ जिस पर अल्लाह का नाम लिया गया है, हालांकि ख़ुदा ने तफ़्सील से बयान कर दी हैं वे चीज़ें जिन्हें उसने तुम पर हराम किया है। सिवा इसके कि उसके लिए तुम मजबूर हो जाओ। और यक़रीनन बहुत से लोग अपनी ख़्वाहिशात की बिना पर गुमराह करते हैं बगैर किसी इल्म के | बेशक तुम्हारा रब खूब जानता है हद से निकल जाने वालों को। और तुम गुनाह के ज़ाहिर को भी छोड़ दो और उसके बातिन को भी। जो लोग गुनाह कमा रहे हैं उन्हें जल्द बदला मिल जाएगा उसका जो वे कर रहे थे। और तुम उस जानवर में से न खाओ जिस पर अल्लाह का नाम न लिया गया हो | यक्रीनन यह बेहक्मी है और शयातीन इल्क़ा (संप्रेषित) कर रहे हैं अपने साथियों को ताकि वे तुमसे झगड़ें। और अगर तुम उनका कहा मानोगे तो तुम भी मुश्रिक (बहुदेववादी) हो जाओगे। (119-122)
क्या वह शख्स जो मुर्दा था फिर हमने उसे ज़िंदगी दी और हमने उसे एक रोशनी दी कि उसके साथ वह लोगों में चलता है वह उस शख्स की तरह हो सकता है जो तारीकियों में पड़ा है, इससे निकलने वाला नहीं। इस तरह मुंकिरों की नज़र में उनके आमाल ख़ुशनुमा बना दिए गए हैं। और इस तरह हर बस्ती में हमने गुनाहगारों के सरदार रख दिए हैं कि वे वहां हीले (चालें) करें। हालांकि वे जो हीला करते हैं अपने ही ख़िलाफ़ करते हैं मगर वे उसे नहीं समझते। और जब उनके पास कोई निशान आता है तो वे कहते हैं कि हम हरगिज़ न मानेंगे जब तक हमें भी वही न दिया जाए जो ख़ुदा के पैग़म्बरों को दिया गया। अल्लाह ही बेहतर जानता है कि वे अपनी पैग़म्बरी किसे बख़्छो | जो लोग मुजरिम हैं ज़रूर उन्हें अल्लाह के यहां ज़िल्लत नसीब होगी और सख्त अज़ाब भी, इस वजह से कि वे मक्र (चालबाज़ी) करते थे। (123-125)
अल्लाह जिसे चाहता है कि हिदायत दे तो उसका सीना इस्लाम के लिए खोल देता है। और जिसे चाहता है कि गुमराह करे तो उसके सीने को बिल्कुल तंग कर देता है जैसे उसे आसमान में चढ़ना पड़ रहा हो। इस तरह अल्लाह गन्दगी डाल देता है उन लोगों पर जो ईमान नहीं लाते। और यही तुम्हारे रब का सीधा रास्ता है। हमने वाज़ेह कर दी हैं निशानियाँ ग़ौर करने वालों के लिए। उन्हीं के लिए सलामती का घर है उनके रब के पास। और वह उनका मददगार है उस अमल के सबब से जो वे करते रहे। (126-128)
और जिस दिन अल्लाह उन सबको जमा करेगा, ऐ जिन्नों के गिरोह तुमने बहुत से ले लिए इंसानों में से। और इंसानों में से उनके साथी कहेंगे ऐ हमारे रब, हमने एक दूसरे को इस्तेमाल किया और हम पहुंच गए अपने उस वादे को जो तूने हमारे लिए मुक़र्रर किया था। ख़ुदा कहेगा अब तुम्हारा ठिकाना आग है, हमेशा उसमें रहोगे मगर जो अल्लाह चाहे। बेशक तुम्हारा रब हिक्मत (तत्वदर्शिता) वाला इल्म वाला है। और इसी तरह हम साथ मिला देंगे गुनाहगारों को एक दूसरे से, उन आमाल के सबब जो वे करते थे। ऐ जिन्नों और इंसानों के गिरोह क्या तुम्हारे पास तुम्हीं में से पैग़म्बर नहीं आए जो तुम्हें मेरी आयतें सुनाते और तुम्हें इस दिन के पेश आने से डराते थे। वे कहेंगे हम ख़ुद अपने ख़िलाफ़ गवाह हैं। और उन्हें दुनिया की ज़िंदगी ने धोखे में रखा। और वे अपने ख़िलाफ़ ख़ुद गवाही देंगे कि बेशक हम मुंकिर थे। यह इस वजह से कि तुम्हारा रब बस्तियों को उनके ज़ुल्म पर इस हाल में हलाक करने वाला नहीं कि वहां के लोग बेख़बर हों। (129-132)
और हर शख्स का दर्जा है उसके अमल के लिहाज़ से और तुम्हारा रब लोगों के आमाल से बेख़बर नहीं। और तुम्हारा रब बेनियाज़ (निस्पृहठ), रहमत वाला है। अगर वह चाहे तो तुम सबको उठा ले और तुम्हारे बाद जिसे चाहे तुम्हारी जगह ले आए, जिस तरह उसने तुम्हें पैदा किया दूसरों की नस्ल से। जिस चीज़ का तुमसे वादा किया जा रहा है वह आकर रहेगी और तुम ख़ुदा को आजिज़ नहीं कर सकते। कहो, ऐ लोगो तुम अमल करते रहो अपनी जगह पर, मैं भी अमल कर रहा हूं। तुम जल्द ही जान लोगे कि अंजामकार किसके हक़ में बेहतर होता है। यक़ीनन ज़ालिम कभी फ़लाह (कल्याण) नहीं पा सकते। (133-36)
और ख़ुदा ने जो खेती और चौपाए पैदा किए उसमें से उन्होंने ख़ुदा का कुछ हिस्सा मुक़र्रर किया है। पस वे कहते हैं कि यह हिस्सा अल्लाह का है, उनके गुमान के मुताबिक़, और यह हिस्सा हमारे शरीकों का है। फिर जो हिस्सा उनके शरीकों का होता है वह तो अल्लाह को नहीं पहुंचता और जो हिस्सा अल्लाह के लिए है वह उनके शरीकों को पहुंच जाता है। कैसा बुरा फ़ैसला है जो ये लोग करते हैं। और इस तरह बहुत से मुश्रिकों (बहुदेववादियों) की नज़र में उनके शरीकों ने अपनी औलाद के क़त्ल को ख़ुशनुमा बना दिया है ताकि उन्हें बर्बाद करें और उन पर उनके दीन को मुशतबह (संदिग्ध) बना दें। और अगर अल्लाह चाहता तो वे ऐसा न करते। पस उन्हें छोड़ दो कि अपनी इफ़्तिरा (झूठ गढ़ने) में लगे रहें। और कहते हैं कि यह जानवर और यह खेती मना है, इन्हें कोई नहीं खा सकता सिवा उसके जिसे हम चाहें, अपने गुमान के मुताबिक़। और फ़लां चौपाए हैं कि उनकी पीठ हराम कर दी गई है और कुछ चौपाए हैं जिन पर वे अल्लाह का नाम नहीं लेते। यह सब उन्होंने अल्लाह पर झूठ गढ़ा है। अल्लाह जल्द उन्हें इस झूठ गढ़ने का बदला देगा। और कहते हैं कि जो फ़लां क़रिस्म के जानवरों के पेट में है वह हमारे मर्दों के लिए ख़ास है और वह हमारी औरतों के लिए हराम है। अगर वह मुर्दा हो तो उसमें सब शरीक हैं। अल्लाह जल्द उन्हें इस कहने की सज़ा देगा। बेशक अल्लाह हिक्मत (तत्वदर्शिता) वाला इल्म वाला है। वे लोग घाटे में पड़ गए जिन्होंने अपनी औलाद को क़त्ल किया नादानी से बगैर किसी इल्म के। और उन्होंने उस रिज़्क़ को हराम कर लिया जो अल्लाह ने उन्हें दिया था, अल्लाह पर बोहतान बांधते हुए। वे गुमराह हो गए और हिदायत पाने वाले न बने। (137-141)
और वह अल्लाह ही है जिसने बाग़ पैदा किए, कुछ टट्टियों पर चढ़ाए जाते हैं और कुछ नहीं चढ़ाए जाते। और खजूर के दरख़्त और खेती कि उसके खाने की चीज़ें मुख्तलिफ़ होती हैं और ज़ैतून और अनार आपस में मिलते जुलते भी और एक दूसरे से मुख़्तलिफ़ भी। खाओ उनकी पैदावार जबकि वे फलें और अल्लाह का हक़ अदा करो उसके काटने के दिन। और इसराफ़ (हद से आगे बढ़ना) न करो, बेशक अल्लाह इसराफ़ करने वालों को पसंद नहीं करता। और उसने मवेशियों में बोझ उठाने वाले पैदा किए और ज़मीन से लगे हुए भी। खाओ उन चीज़ों में से जो अल्लाह ने तुम्हें दी हैं। और शैतान की पैरवी न करो, वह तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है। (142-143)
अल्लाह ने आठ जोड़े पैदा किए। दो भेड़ की क़िस्म से और दो बकरी की क़िस्म से | पूछो कि दोनों नर अल्लाह ने हराम किए हैं या दोनों मादा। या वे बच्चे जो भेड़ों और बकरियों के पेट में हों। मुझे दलील के साथ बताओ अगर तुम सच्चे हो। और इसी तरह दो ऊंट की क़िस्म से हैं और दो गाय की क़रिस्म से। पूछो कि दोनों नर अल्लाह ने हराम किए हैं या दोनों मादा। या वे बच्चे जो ऊंटनी और गाय के पेट में हों। क्या तुम उस वक़्त हाज़िर थे जब अल्लाह ने तुम्हें इसका हुक्म दिया था। फिर उससे ज़्यादा ज़ालिम कौन है जो अल्लाह पर झूठ बोहतान बांधे ताकि वह लोगों को बहका दे बगैर इल्म के। बेशक अल्लाह ज़ालिमों को राह नहीं दिखाता। कहो, मुझ पर जो “वही” (ईश्वरीय वाणी) आई है उसमें तो मैं कोई चीज़ नहीं पाता जो हराम हो किसी खाने वाले पर सिवा इसके कि वह मुर्दार हो या बहाया हुआ ख़ून हो या सुअर का गोश्त हो कि वह नापाक है। या नाजाइज़ ज़बीहा जिस पर अल्लाह के सिवा किसी और का नाम पुकारा गया हो। लेकिन जो शख्स भूख से बेइख़्तियार हो जाए, न नाफ़रमानी करे और न ज़्यादती करे, तो तेरा रब बख्शने वाला मेहरबान है। और यहूद पर हमने सारे नाख़ून वाले जानवर हराम किए थे और गाय और बकरी की चरबी हराम की सिवा उसके जो उनकी पीठ या अंतड़ियों से लगी हो या किसी हड़डी से मिली हुई हो। यह सज़ा दी थी हमने उन्हें उनकी सरकशी पर और यक्रीनन हम सच्चे हैं। पस अगर वे तुम्हें झुठलाएं तो कह दो कि तुम्हारा रब बड़ी वसीअ (व्यापक) रहमत वाला है। और उसका अज़ाब मुजरिम लोगों से टल नहीं सकता। (144-148)
जिन्होंने शिर्क किया वे कहेंगे कि अगर अल्लाह चाहता तो हम शिर्क न करते और न हमारे बाप दादा करते और न हम किसी चीज़ को हराम कर लेते। इसी तरह झुठलाया उन लोगों ने भी जो इनसे पहले हुए हैं। यहां तक कि उन्होंने हमारा अज़ाब चखा। कहो क्या तुम्हारे पास कोई इल्म है जिसे तुम हमारे सामने पेश करो। तुम तो सिर्फ़ गुमान की पैरवी कर रहे हो और महज़ अटकल से काम लेते हो। कहो कि पूरी हुज्जत तो अल्लाह की है। और अगर अल्लाह चाहता तो तुम सबको हिदायत दे देता। कहो कि अपने गवाहों को लाओ जो इस पर गवाही दें कि अल्लाह ने इन चीज़ों को हराम ठहराया है। अगर वे झूठी गवाही दे भी दें तो तुम उनके साथ गवाही न देना, और तुम उन लोगों की ख़्वाहिशों की पैरवी न करो जिन्होंने हमारी निशानियों को झुठलाया और जो आख़िरत (परलोक) पर ईमान नहीं रखते और दूसरों को अपने रब का हमसर (समकक्ष) ठहराते हैं। (149-151)
कहो, आओ मैं सुनाऊं वे चीज़ें जो तुम्हारे रब ने तुम पर हराम की हैं। यह कि तुम उसके साथ किसी चीज़ को शरीक न करो और मां बाप के साथ नेक सुलूक करो और अपनी औलाद को मुफ़्लिसी के डर से क़त्ल न करो। हम तुम्हें भी रोज़ी देते हैं और उन्हें भी। और बेहयाई के काम के पास न जाओ चाहे वह ज़ाहिर हो या पोशीदा। और जिस जान को अल्लाह ने हराम ठहराया उसे न मारो मगर हक़ पर। ये बातें हैं जिनकी ख़ुदा ने तुम्हें हिदायत फ़रमाई है ताकि तुम अक़्ल से काम लो। और यतीम के माल के पास न जाओ मगर ऐसे तरीक़े से जो बेहतर हो यहां तक कि वह अपनी जवानी को पहुंच जाए। और नाप तौल में पूरा इंसाफ़ करो। हम किसी के ज़िम्मे वही चीज़ लाज़िम करते हैं जिसकी उसे ताक़त हो। और जब बोलो तो इंसाफ़ की बात बोलो चाहे मामला अपने रिश्तेदार ही का हो। और अल्लाह के अहद (वचन) को पूरा करो। ये चीज़ें हैं जिनका अल्लाह ने तुम्हें हुक्म दिया है ताकि तुम नसीहत पकड़ो। और अल्लाह ने हुक्म दिया कि यही मेरी सीधी शाहराह है। पस इसी पर चलो और दूसरे रास्तों पर न चलो कि वे तुम्हें अल्लाह के रास्ते से जुदा कर देंगी। यह अल्लाह ने तुम्हें हुक्म दिया है ताकि तुम बचते रहो। फिर हमने मूसा को किताब दी नेक काम करने वालों पर अपनी नेमतें पूरी करने के लिए और हर बात की तफ़्सील और हिदायत और रहमत ताकि वे अपने रब के मिलने का यकीन करें। और इसी तरह हमने यह किताब उतारी है, एक बरकत वाली किताब | पस इस पर चलो और अल्लाह से डरो ताकि तुम पर रहमत की जाए। इसलिए कि तुम यह न कहने लगो कि किताब तो हमसे पहले के दो गिरोहों को दी गई थी और हम उन्हें पढ़ने पढ़ाने से बेखबर थे। या कहो कि अगर हम पर किताब उतारी जाती तो हम उनसे बेहतर राह पर चलने वाले होते। पस आ चुकी तुम्हारे पास तुम्हारे रब की तरफ़ से एक रोशन दलील और हिदायत और रहमत। तो उससे ज़्यादा ज़ालिम कौन होगा जो अल्लाह की निशानियों को झुठलाए और उनसे मुंह मोड़े। जो लोग हमारी निशानियों से एराज़ (उपेक्षा) करते हैं हम उन्हें उनके एराज़ की पादाश में बहुत बुरा अज़ाब देंगे। ये लोग क्या इसके मुंतज़िर हैं कि उनके पास फ़रिश्ते आएं या तुम्हारा रब आए या तुम्हारे रब की निशानियों में से कोई निशानी ज़ाहिर हो। जिस दिन तुम्हारे रब की निशानियों में से कोई निशानी आ पहुंचेगी तो किसी शख्स को उसका ईमान नफ़ा न देगा जो पहले ईमान न ला चुका हो या अपने ईमान में कुछ नेकी न की हो। कहो तुम राह देखो, हम भी राह देख रहे हैं। (152-159)
जिन्होंने अपने दीन में राहें निकालीं और गिरोह-गिरोह बन गए तुम्हें उनसे कुछ सरोकार नहीं। उनका मामला अल्लाह के हवाले है। फिर वही उन्हें बता देगा जो वे करते थे। जो शख्स नेकी लेकर आएगा तो उसके लिए उसका दस गुना है। और जो शख्स बुराई लेकर आएगा तो उसे बस उसके बराबर बदला मिलेगा और उन पर ज़ुल्म नहीं किया जाएगा। कहो मेरे रब ने मुझे सीधा रास्ता बता दिया है। सही दीने इब्राहीम की मिल्लत की तरफ़ जो यकसू थे और मुश्रिकीन में से न थे। कहो मेरी नमाज़ और मेरी कुर्बानी, मेरा जीना और मेरा मरना अल्लाह के लिए है जो रब है सारे जहान का। कोई उसका शरीक नहीं। और मुझे इसी का हुक्म मिला है और मैं सबसे पहले फ़रमांबरदार हूं। कहो, क्या मैं अल्लाह के सिवा कोई और रब तलाश करूं जबकि वही हर चीज़ का रब है और जो शख्स भी कोई कमाई करता है वह उसी पर रहता है। और कोई बोझ उठाने वाला दूसरे का बोझ न उठाएगा। फिर तुम्हारे रब ही की तरफ़ तुम्हारा लौटना है। पस वह तुम्हें बता देगा वह चीज़ जिसमें तुम इख्तेलाफ़ (मतभेद) करते थे। और वही है जिसने तुम्हें ज़मीन में एक दूसरे का जानशीन बनाया और तुममें से एक का रुत्बा दूसरे पर बुलन्द किया। ताकि वह आज़माए तुम्हें अपने दिए हुए में। तुम्हारा रब जल्द सज़ा देने वाला है और बेशक वह बख्शने वाला मेहरबान है। (160-166)