धर्म

सूरह अल फुरक़ान हिंदी में – सूरह 25

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

बड़ी बाबरकत है वह ज़ात जिसने अपने बंदे पर फ़ुरक़ान उतारा ताकि वह जहान वालों के लिए डराने वाला हो। वह जिसके लिए आसमानों और ज़मीन की बादशाही है। और उसने कोई बेटा नहीं बनाया और बादशाही में कोई उसका शरीक नहीं। और उसने हर चीज़ को पैदा किया और उसका एक अंदाज़ा मुक़र्रर किया। और लोगों ने उसके सिवा ऐसे माबूद (पूज्य) बनाए जो किसी चीज़ को पैदा नहीं करते, वे ख़ुद पैदा किए जाते हैं। और वे ख़ुद अपने लिए न किसी नुक्सान का इख्तियार रखते हैं और न किसी नफ़ा का। और न वे किसी के मरने का इख़्तियार रखते हैं और न किसी के जीने का। (1-3)

और मुंकिर लोग कहते हैं कि यह सिर्फ़ एक झूठ है जिसे उसने गढ़ा है। और कुछ दूसरे लोगों ने इसमें उसकी मदद की है। पस ये लोग ज़ुल्म और झूठ के मुरतकिब हुए। और वे कहते हैं कि ये अगलों की बेसनद बातें हैं जिन्हें उसने लिखवा लिया है। पस वे उसे सुबह व शाम सुनाई जाती हैं। कहो कि इसे उसने उतारा है जो आसमानों और ज़मीन के भेद को जानता है। बेशक वह बख्शने वाला रहम करने वाला है। (4-6)

और वे कहते हैं कि यह कैसा रसूल है जो खाना खाता है और बाज़ारों में चलता फिरता है। क्‍यों न इसके पास कोई फ़रिश्ता भेजा गया कि वह इसके साथ रहकर डराता या इसके लिए कोई ख़ज़ाना उतारा जाता। या इसके लिए कोई बाग़ होता जिससे वह खाता। और ज़ालिमों ने कहा कि तुम लोग एक सहरज़दा (जादूग्रस्त) आदमी की पैरवी कर रहे हो। देखो वे कैसी-कैसी मिसालें तुम्हारे लिए बयान कर रहे हैं। पस वे बहक गए हैं, फिर वे राह नहीं पा सकते। (7-9)

बड़ा बाबरकत है वह। अगर वह चाहे तो तुम्हें इससे भी बेहतर चीज़ दे दे। ऐसे बाग़ात जिनके नीचे नहरें जारी हों, और तुम्हें बहुत से महल दे दे। बल्कि उन्होंने क्रियामत को झुठला दिया है। और हमने ऐसे शख्स के लिए जो क़रियामत को झुठलाए दोज़ख़ तैयार कर रखी है। जब वह उन्हें दूर से देखेगी तो वे उसका बिफरना और दहाड़ना सुनेंगे। और जब वे उसकी किसी तंग जगह में बांध कर डाल दिए जाएंगे तो वे वहां मौत को पुकारेंगें। आज एक मौत को न पुकारो, और बहुत सी मौत को पुकारो। कहो कया यह बेहतर है या हमेशा की जन्नत जिसका वादा ख़ुदा से डरने वालों से किया गया है, वह उनके लिए बदला और ठिकाना होगी। उसमें उनके लिए वह सब होगा जो वे चाहेंगे, वे उसमें हमेशा रहेंगे। यह तेरे रब के ज़िम्मे एक वादा है वाजिबुल अदा। (10-6)

और जिस दिन वह उन्हें जमा करेगा और उन्हें भी जिनकी वे अल्लाह के सिवा इबादत करते हैं, फिर वह कहेगा, क्या तुमने मेरे उन बंदों को गुमराह किया या वे ख़ुद रास्ते से भटक गए। वे कहेंगे कि पाक है तेरी ज़ात। हमें यह सज़ावार न था कि हम तेरे सिवा दूसरों को कारसाज़ तज्वीज़ करें। मगर तूने उन्हें और उनके बाप दादा को दुनिया का सामान दिया। यहां तक कि वे नसीहत को भूल गए। और हलाक होने वाले बने। पस उन्होंने तुम्हें तुम्हारी बातों में झूठा ठहरा दिया। अब न तुम ख़ुद टल सकते हो और न कोई मदद पा सकते हो। और तुम में से जो शख्स ज़ुल्म करेगा हम उसे एक बड़ा अज़ाब चखाएंगे। (17-19)

और हमने तुमसे पहले जितने पैग़म्बर भेजे सब खाना खाते थे और बाज़ारों में चलते फिरते थे। और हमने तुम्हें एक दूसरे के लिए आज़माइश बनाया है। क्या तुम सब्र करते हो। और तुम्हारा रब सब कुछ देखता है। (20)

और जो लोग हमारे सामने पेश होने का अंदेशा नहीं रखते वे कहते हैं कि हमारे ऊपर फ़रिश्ते क्यों नहीं उतारे गए। या हम अपने रब को देख लेते। उन्होंने अपने जी में अपने को बहुत बड़ा समझा और वे हद से गुज़र गए हैं सरकशी में | जिस दिन वे फ़रिश्तों को देखेंगे। उस दिन मुजरिमों के लिए कोई ख़ुशख़बरी न होगी। और वे कहेंगे कि पनाह, पनाह। और हम उनके हर अमल की तरफ़ बढ़ेंगे जो उन्होंने किया था और फिर उसे उड़ती हुई ख़ाक बना देंगे। जन्नत वाले उस दिन बेहतरीन ठिकाने में होंगे। और निहायत अच्छी आरामगाह में | (21-24)

और जिस दिन आसमान बादल से फट जाएगा। और फ़रिश्ते लगातार उतारे जाएंगे। उस दिन हक़ीक़ी बादशाही सिर्फ़ रहमान की होगी। और वह दिन मुंकिरों पर बड़ा सख़्त होगा। और जिस दिन ज़ालिम अपने हाथों को काटेगा, वह कहेगा कि काश्ञ मैंने रसूल के साथ राह इख़्तियार की होती। हाय मेरी शामत, काश मैं फ़लां शख्स को दोस्त न बनाता। उसने मुझे नसीहत से बहका दिया बाद इसके कि वह मेरे पास आ चुकी थी। और शैतान है ही इंसान को दग़ा देने वाला। और रसूल कहेगा कि ऐ मेरे रब मेरी क़ौम ने इस कुरआन को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर दिया। और इसी तरह हमने मुजरिमों में से हर नबी के दुश्मन बनाए। और तुम्हारा रब काफ़ी है रहनुमाई के लिए और मदद करने के लिए। (25-31)

और इंकार करने वालों ने कहा कि इसके ऊपर पूरा कुरआन क्‍यों नहीं उतारा गया। ऐसा इसलिए है ताकि इसके ज़रिए से हम तुम्हारे दिल को मज़बूत करें और हमने इसे ठहर-ठहर कर उतारा है। और ये लोग कैसा ही अजीब सवाल तुम्हारे सामने लाएं मगर हम उसका ठीक जवाब और बेहतरीन वज़ाहत तुम्हें बता देंगे। जो लोग अपने मुंह के बल जहन्नम की तरफ़ ले जाए जाएंगे। उन्हीं का बुरा ठिकाना है। और वही हैं राह से बहुत भटके हुए। और हमने मूसा को किताब दी। और उसके साथ उसके भाई हारून को मददगार बनाया। फिर हमने उनसे कहा कि तुम दोनों उन लोगों के पास जाओ जिन्होंने हमारी आयतों को झुठला दिया है। फिर हमने उन्हें बिल्कुल तबाह कर दिया। और नूह की क़ौम को भी हमने गर्क़ कर दिया जबकि उन्होंने रसूलों को झुठलाया और हमने उन्हें लोगों के लिए एक निशानी बना दिया। और हमने ज़ालिमों के लिए दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है। और आद और समूद को और अर-रस वालों को और उनके दर्मियान बहुत सी क़ौमों को। और हमने उनमें से हर एक को मिसालें सुनाई और हमने हर एक को बिल्कुल बर्बाद कर दिया। और ये लोग उस बस्ती पर से गुज़रे हैं जिस पर बुरी तरह पत्थर बरसाए गए। क्या वे उसे देखते नहीं रहे हैं। बल्कि वे लोग दुबारा उठाए जाने की उम्मीद नहीं रखते। (32-40)

और वे जब तुम्हें देखते हैं तो वे तुम्हारा मज़ाक़ बना लेते हैं। क्या यही है जिसे ख़ुदा ने रसूल बनाकर भेजा है। इसने तो हमें हमारे माबूदों (पूज्यों) से हटा ही दिया होता। अगर हम उन पर जमे न रहते। और जल्द ही उन्हें मालूम हो जाएगा जब वे अज़ाब को देखेंगे कि सबसे ज़्यादा बेराह कौन है। (41-42)

क्या तुमने उस शख्स को देखा जिसने अपनी ख़्वाहिश को अपना माबूद (पूज्य) बना रखा है। पस कया तुम उसका ज़िम्मा ले सकते हो। या तुम ख्याल करते हो कि उनमें से अक्सर सुनते और समझते हैं। वे तो महज़ जानवरों की तरह हैं बल्कि वे उनसे भी ज़्यादा बेराह हैं। (43-44)

क्या तुमने अपने रब की तरफ़ नहीं देखा कि वह किस तरह साये को फैला देता है। और अगर वह चाहता तो वह उसे ठहरा देता। फिर हमने सूरज को उस पर दलील बनाया। फिर हमने आहिस्ता-आहिस्ता उसे अपनी तरफ़ समेट लिया। और वही है जिसने तुम्हारे लिए रात को पर्दा और नींद को राहत बनाया और दिन को जी उठना का वक़्त बनाया | और वही है जो अपनी रहमत से पहले हवाओं को ख़ुशख़बरी बनाकर भेजता है। और हम आसमान से पाक पानी उतारते हैं। ताकि उसके ज़रिये से मुर्दा ज़मीन में जान डाल दें। और उसे पिलाएं अपनी मख्लूक़ात में से बहुत से जानवरों और इंसानों को। (45-49)

और हमने इसे उनके दर्मियान तरह-तरह से बयान किया है ताकि वे सोचें। फिर भी अक्सर लोग नाशुक्री किए बगैर नहीं रहते। और अगर हम चाहते तो हर बस्ती में एक डराने वाला भेज देते। पस तुम मुंकिरों की बात न मानो और इस (कुरआन) के ज़रिये से उनके साथ बड़ा जिहाद करो। (50-52)

और वही है जिसने दो समुद्रों को मिलाया। यह मीठा है प्यास बुझाने वाला और यह खारी है कडुवा। और उसने उनके दर्मियान एक पर्दा रख दिया और एक मज़बूत आड़। और वही है जिसने इंसान को पानी से पैदा किया। फिर उसे ख़ानदान वाला और सुसराल वाला बनाया। और तुम्हारा रब बड़ी क़ुदरत वाला है। (53-54)

और वे अल्लाह को छोड़कर उन चीज़ों की इबादत करते हैं जो उन्हें न नफ़ा पहुंचा सकती हैं और न नुक्सान | और मुंकिर तो अपने रब के ख़िलाफ़ मददगार बना हुआ है। और हमने तुम्हें सिर्फ़ ख़ुशख़बरी देने वाला और डराने वाला बनाकर भेजा है। तुम कहो कि मैं तुमसे इस पर कोई उजरत (बदला) नहीं मांगता, मगर यह कि जो चाहे वह अपने रब का रास्ता पकड़ ले। (55-57)

और ज़िंदा खुदा पर, जो कभी मरने वाला नहीं, भरोसा रखो और उसकी हम्द (प्रशंसा) के साथ उसकी तस्बीह करो। और वह अपने बंदों के गुनाहों से बाख़बर रहने के लिए काफ़ी है। जिसने पैदा किया आसमानों और ज़मीन को और जो कुछ उनके दर्मियान है, छः दिन में। फिर वह तख़्त पर मुतमक्किन (आसीन) हुआ। रहमान, पस उसे किसी जानने वाले से पूछो। और जब उनसे कहा जाता है कि रहमान को सज्दा करो तो कहते हैं कि रहमान क्‍या है। क्या हम उसे सज्दा करें जिसे तू हमसे कहे। और उनका बिदकना और बढ़ जाता है। (58-60)

बड़ी बाबरकत है वह ज़ात जिसने आसमान में बुर्ज बनाए और उसमें एक चराग़ (सूरज) और एक चमकता चांद रखा। और वही है जिसने रात और दिन को एक के बाद दूसरे आने वाला बनाया, उस शख्स के लिए जो सबक़ लेना चाहे और शुक्रगुज़ार बनना चाहे। (61-62)

और रहमान के बंदे वे हैं जो ज़मीन पर आजिज़ी (नम्नता) के साथ चलते हैं। और जब जाहिल लोग उनसे बात करते हैं तो वे कह देते हैं कि तुम्हें सलाम | और जो अपने रब के आगे सज्दा और क्ियाम में रातें गुज़ारते हैं। और जो कहते हैं कि ऐ हमारे रब जहन्नम के अज़ाब को हमसे दूर रख। बेशक उसका अज़ाब पूरी तबाही है। बेशक वह बुरा ठिकाना है और बुरा मक़ाम है। और वे लोग कि जब वे खर्च करते हैं तो न फ़ुज़ूल ख़र्ची करते हैं और न तंगी करते हैं। और उनका ख़र्च इसके दर्मियान एतदाल (मध्य-मार्ग) पर होता है। (63-67)

और जो अल्लाह के सिवा किसी दूसरे माबूद (पूज्य) को नहीं पुकारते। और वे अल्लाह की हराम की हुई किसी जान को क़त्ल नहीं करते मगर हक़ पर। और वे बदकारी (व्यभिचार) नहीं करते। और जो शख्स ऐसे काम करेगा तो वह सज़ा से दो चार होगा। क्रियामत के दिन उसका अज़ाब बढ़ता चला जाएगा। और वह उसमें हमेशा ज़लील होकर रहेगा। मगर जो शख्स तौबा करे और ईमान लाए और नेक काम करे तो अल्लाह ऐसे लोगों की बुराइयों को भलाइयों से बदल देगा। और अल्लाह बख्शने वाला मेहरबान है। और जो शख्स तौबा करे और नेक काम करे तो वह दरहक़ीक़त अल्लाह की तरफ़ रुजूअ कर रहा है। (68-71)

और जो लोग झूठे काम में शामिल नहीं होते। और जब किसी बेहूदा चीज़ से उनका गुज़र होता है तो संजीदगी के साथ गुज़र जाते हैं। और वे ऐसे हैं कि जब उन्हें उनके रब की आयतों के ज़रिए नसीहत की जाती है तो वे उन पर बहरे और अंधे होकर नहीं गिरते। और जो कहते हैं कि ऐ हमारे रब, हमें हमारी बीवी और औलाद की तरफ़ से आंखों की ठंडक अता फ़रमा और हमें परहेज़गारों का इमाम बना। (72-74)

ये लोग हैं कि उन्हें बालाख़ाने (उच्च भवन) मिलेंगे इसलिए कि उन्होंने सब्र किया। और उनमें उनका इस्तक़बाल दुआ और सलाम के साथ होगा। वे उनमें हमेशा रहेंगे। वह खूब जगह है ठहरने की और ख़ूब जगह है रहने की। कहो कि मेरा रब तुम्हारी परवाह नहीं रखता। अगर तुम उसे न पुकारो। पस तुम झुठला चुके तो वह चीज़ अनक़रीब होकर रहेगी। (75-77)

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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