धर्म

सूरह अल मुमतहिनह हिंदी में – सूरह 60

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

ऐ ईमान वालो, तुम मेरे दुश्मनों और अपने दुश्मनों को दोस्त न बनाओ, तुम उनसे दोस्ती का इज़्हार करते हो हालांकि उन्होंने उस हक़ (सत्य) का इंकार किया जो तुम्हारे पास आया, वे रसूल को और तुम्हें इस वजह से जलावतन [निर्वाहित) करते हैं कि तुम अपने रब, अल्लाह पर ईमान लाए। अगर तुम मेरी राह में जिहाद और मेरी रिज़ामंदी की तलब के लिए निकले हो, तुम छुपाकर उन्हें दोस्ती का पैग़ाम भेजते हो। और मैं जानता हूं जो कुछ तुम छुपाते हो। और जो कुछ तुम ज़ाहिर करते हो। और जो शख्स तुम में से ऐसा करेगा वह राहेरास्त से भटक गया। अगर वे तुम पर क्राबू पा जाएं तो वे तुम्हारे दुश्मन बन जाएंगे। और अपने हाथ और अपनी ज़बान से तुम्हें आज़ार (पीड़ा) पहुंचाएंगे। और चाहेंगे कि तुम भी किसी तरह मुंकिर हो जाओ। तुम्हारे रिश्तेदार और तुम्हारी औलाद क़रियामत के दिन तुम्हारे काम न आएंगे, वह तुम्हारे दर्मियान फ़ैसला करेगा, और अल्लाह देखने वाला है जो कुछ तुम करते हो। (1-3)

तुम्हारे लिए इब्राहीम और उसके साथियों में अच्छा नमूना है, जबकि उन्होंने अपनी क़ौम से कहा कि हम अलग हैं तुमसे और उन चीज़ों से जिनकी तुम अल्लाह के सिवा इबादत करते हो, हम तुम्हारे मुंकिर हैं और हमारे और तुम्हारे दर्मियान हमेशा के लिए अदावत (बैर) और बेज़ारी (दुराव) ज़ाहिर हो गई यहां तक कि तुम अल्लाह वाहिद पर ईमान लाओ। मगर इब्राहीम का अपने बाप से यह कहना कि मैं आपके लिए माफ़ी मांगूंगा, और मैं आपके लिए अल्लाह के आगे किसी बात का इख़्तियार नहीं रखता। ऐ हमारे रब, हमने तेरे ऊपर भरोसा किया और हम तेरी तरफ़ रुजूअ हुए और तेरी ही तरफ़ लौटना है। ऐ हमारे रब, हमें मुंकिरों के लिए फ़ितना न बना, और ऐ हमारे रब, हमें बख्श दे, बेशक तू ज़बरदस्त है, हिक्मत वाला है। बेशक तुम्हारे लिए उनके अंदर अच्छा नमूना है, उस शख्स के लिए जो अल्लाह का और आख़िरत के दिन का उम्मीदवार हो। और जो शख्स रूगर्दानी (अवहेलना) करेगा तो अल्लाह बेनियाज़ (निस्पृह) है, तारीफ़ों वाला है। उम्मीद है कि अल्लाह तुम्हारे और उन लोगों के दर्मियान दोस्ती पैदा कर दे जिनसे तुमने दुश्मनी की। और अल्लाह सब कुछ कर सकता है, और अल्लाह बख्शने वाला, मेहरबान है। (4-7)

अल्लाह तुम्हें उन लोगों से नहीं रोकता जिन्होंने दीन के मामले में तुमसे जंग नहीं की। और तुम्हें तुम्हारे घरों से नहीं निकाला कि तुम उनसे भलाई करो और तुम उनके साथ इंसाफ़ करो। बेशक अल्लाह इंसाफ़ करने वालों को पसंद करता है। अल्लाह बस उन लोगों से तुम्हें मना करता है जो दीन के मामले में तुमसे लड़े और तुम्हें तुम्हारे घरों से निकाला | और तुम्हारे निकालने में मदद की कि तुम उनसे दोस्ती करो, और जो उनसे दोस्ती करे तो वही लोग ज़ालिम हैं। (8-9)

ऐ ईमान वालो, जब तुम्हारे पास मुसलमान औरतें हिजरत (स्थान-परिवर्तन) करके आएं तो तुम उन्हें जांच लो, अल्लाह उनके ईमान को ख़ूब जानता है। पस अगर तुम जान लो कि वे मोमिन हैं तो उन्हें मुंकिरों की तरफ़ न लौटाओ। न वे औरतें उनके लिए हलाल हैं और न वे उन औरतों के लिए हलाल हैं। और मुंकिर शोहरों ने जो कुछ ख़र्च किया वह उन्हें अदा कर दो। और तुम पर कोई गुनाह नहीं अगर तुम उनसे निकाह कर लो जबकि तुम उनके महर उन्हें अदा कर दो। और तुम मुंकिर औरतों को अपने निकाह में न रोके रहो। और जो कुछ तुमने ख़र्च किया है उसे मांग लो। और जो कुछ मुंकिरों ने ख़र्च किया वे भी तुमसे मांग लें। यह अल्लाह का हुक्म है, वह तुम्हारे दर्मियान फ़ैसला करता है, और अल्लाह जानने वाला, हिक्मत वाला है। और अगर तुम्हारी बीवियों के महर में से कुछ मुंकिरों की तरफ़ रह जाए, फिर तुम्हारी नौबत आए तो जिनकी बीवियां गई हैं उन्हें अदा कर दो जो कुछ उन्होंने ख़र्च किया। और अल्लाह से डरो जिस पर तुम ईमान लाए हो। (10-11)

ऐ नबी जब तुम्हारे पास मोमिन औरतें इस बात पर बैअत (प्रतिज्ञा) के लिए आएं कि वे अल्लाह के साथ किसी चीज़ को शरीक न करेंगी। और वे चोरी न करेंगी। और वे बदकारी न करेंगी। और वे अपनी औलाद को क़॒त्ल न करेंगी। और वे अपने हाथ और पांव के आगे कोई बोहतान गढ़कर न लाएंगी। और वे किसी मारूफ़ (सत्कर्म) में तुम्हारी नाफ़रमानी न करेंगी तो उनसे बैअत ले लो और उनके लिए अल्लाह से बख्शिश की दुआ करो, बेशक अल्लाह बख्शने वाला मेहरबान है। (12)

ऐ ईमान वालो तुम उन लोगों को दोस्त न बनाओ जिनके ऊपर अल्लाह का ग़ज़ब हुआ, वे आख़िरत से नाउम्मीद हो गए हैं जिस तरह क्ब्रों में पड़े हुए मुंकिर नाउम्मीद हैं। (13)

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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