सूरह अन नास हिंदी में – सूरह 114
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
कहो, मैं पनाह मांगता हूं लोगों के रब की, लोगों के बादशाह की, लोगों के माबूद (पूज्य) की। उसके शर (बुराई) से जो वसवसा डाले और छुप जाए। जो लोगों के दिलों में वसवसा डालता है, जिन्न में से और इंसान में से। (1-6)