अहोई माता की आरती
अहोई माता की आरती अहोई अष्टमी के दिन पूजा और कथा के उपरान्त गाई जाती है। इससे पूजन में हुई सभी भूलों का परिहार होता है। जो भक्त श्रद्धा पूर्वक इसे पढ़ता है, उसके पापों का नाश होता है और मनोकामनाएँ पूर्ण होने लगती हैं। संतान सुखी और दीर्घजीवी होती है। अहोई माता की आरती (Ahoi Mata Aarti) पढ़ने से सहज ही होई माता की कृपा भी बरसने लगती है। ऐसा करने से अरोग्यता और दीर्घायु का लाभ भी मिलता है। पढ़ें अहोई माता की आरती–
जय अहोई माता जय अहोई माता ।
तुमको निशिदिन सेवत हर विष्णु विधाता।
जय अहोई माता…
ब्रह्माणी रुद्राणी कमला तू ही हे जगमाता।
सूर्य चन्द्रमा ध्यवत ऋषि गाता।
जय अहोई माता…
माता रूप निरंजन सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुझको ध्यावत नित मंगल आता।
जय अहोई माता…
तू ही पाताल वसन्ती, तू ही शुभ दाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशन जगनिधि से त्राता।
जय अहोई माता…
जिस घर थारो बासो वाही में गुण आता।
कर न सके सोई मन नहीं घड़काता।
जय अहोई माता…
तुम बिना सुख ने होवे पुत्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव तुम बिन कोई नहीं घड़काता।
जय अहोई माता…
शुभ गुण सुन्दर मुक्ता क्षीर निधि जाता।
रत्न चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।
जय अहोई माता…
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।
जय अहोई माता…