गुरु नानक जी की आरती – Aarti Guru Nanak Dev Ji
गुरु नानक जी की आरती (Aarti Guru Nanak Dev Ji) एक ऐसा मेघ है जो शिष्यों पर अविरल कृपा-वृष्टि करने में समर्थ है। उनका कृपा-सिंधु अपार है जो सबके हृदयों को तृप्त करता है। कहते हैं कि गुरु नानक जी की आरती करने से उनकी दिव्य ज्योति हृदय में प्रकट होती है और जीवन सद्गुणों की ओर उन्मुख होने लगता है। उनके उपदेश आज भी जन-जन को आह्लादित करते हैं और सत्पथ पर लगाते हैं। गुरु नानक देव जी का बताय गया मार्ग निश्चित ही आत्म-कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करता है। पढ़ें गुरु नानक जी की आरती–
धनासरी महला १ आरती ੴ सतिगुर प्रसादि॥
गगन मै थालु रवि चंदु दीपक
बने तारिका मंडल जनक मोती॥
धूपु मल आनलो पवणु चवरो करे
सगल बनराइ फूलंत जोती॥
कैसी आरती होइ भव खंडना तेरी आरती॥
अनहता सबद वाजंत भेरी रहाउ॥
सहस तव नैन नन नैन है तोहि कउ
सहस मूरति नना एक तोही॥
सहस पद बिमल नन एक पद गंध बिनु
सहस तव गंध इव चलत मोही॥
सभ महि जोति जोति है सोइ॥
तिस कै चानणि सभ महि चानणु होइ॥
गुर साखी जोति परगटु होइ॥
जो तिसु भावै सु आरती होइ॥
हरि चरण कमल मकरंद लोभित मनो
अनदिनो मोहि आही पिआसा॥
कृपा जलु देहि नानक सारिंग
कउ होइ जा ते तेरै नामि वासा॥
गगन मै थालु, रवि चंदु दीपक बने,
तारका मंडल, जनक मोती।
धूपु मलआनलो, पवण चवरो करे,
सगल बनराइ फुलन्त जोति॥
कैसी आरती होइ॥
भवखंडना तेरी आरती॥
अनहत सबद बाजंत भेरी॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर गुरु नानक जी की आरती (Aarti Guru Nanak Dev Ji) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें गुरु नानक जी की आरती रोमन में–
dhanāsarī mahalā 1 āratī ੴ satigura prasādi ॥
gagana mai thālu ravi caṃdu dīpaka
bane tārikā maṃḍala janaka motī ॥
dhūpu mala ānalo pavaṇu cavaro kare
sagala banarāi phūlaṃta jotī॥
kaisī āratī hoi bhava khaṃḍanā terī āratī॥
anahatā sabada vājaṃta bherī rahāu ॥
sahasa tava naina nana naina hai tohi kau
sahasa mūrati nanā eka tohī॥
sahasa pada bimala nana eka pada gaṃdha binu
sahasa tava gaṃdha iva calata mohī॥
sabha mahi joti joti hai soi॥
tisa kai cānaṇi sabha mahi cānaṇu hoi॥
gura sākhī joti paragaṭu hoi॥
jo tisu bhāvai su āratī hoi॥
hari caraṇa kamala makaraṃda lobhita mano
anadino mohi āhī piāsā॥
kṛpā jalu dehi nānaka sāriṃga
kau hoi jā te terai nāmi vāsā॥
gagana mai thālu, ravi caṃdu dīpaka bane,
tārakā maṃḍala, janaka motī।
dhūpu malaānalo, pavaṇa cavaro kare,
sagala banarāi phulanta joti॥
kaisī āratī hoi॥
bhavakhaṃḍanā terī āratī॥
anahata sabada bājaṃta bherī॥