बृहस्पति देव की आरती – Brihaspati Dev Ki Aarti
बृहस्पति देव की आरती (Brihaspati Dev Ki Aarti) का पाठ प्रायः बृहस्पतिवार के दिन उपवास रखने वाले भक्त करते हैं। इसमें बृहस्पति देव की असीम शक्तियाँ समाहित हैं और इस आरती को करने से निश्चित ही वह शक्तियाँ जीवन के हर पहलू में उतरने लगती हैं। वे सभी पातकों का नाश करने वाले तथा दयासिंधु हैं। बृहस्पति देव की आरती गाने से अवश्य ही उनकी कृपा प्राप्त होती है। जो उनकी शरण में जाता है वे उसकी रक्षा करते हैं तथा उसकी सारी बाधाएँ दूर करते हैं। बृहस्पतिवार व्रत कथा पढ़ने और बृहस्पति देव जी की आरती करने से मन की सभी इच्छाएँ भी स्वयमेव पूरी होने लगती हैं। साथ ही संसार में यश व उन्नति की प्राप्ति भी होती है। पढ़ें बृहस्पति देव की आरती–
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ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा…
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा…
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा…
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा…
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा…
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा…
जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।
जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे।।
ॐ जय बृहस्पति देवा…
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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर बृहस्पति देव की आरती (Brihaspati Dev Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें बृहस्पति जी की आरती रोमन में–
oṃ jaya bṛhaspati devā, jaya bṛhaspati devā।
china-china bhoga lagāūṃ, kadalī phala mevā।।
oṃ jaya bṛhaspati devā…
tuma pūrṇa paramātmā, tuma aṃtaryāmī।
jagatapitā jagadīśvara, tuma sabake svāmī।।
oṃ jaya bṛhaspati devā…
caraṇāmṛta nija nirmala, saba pātaka hartā।
sakala manoratha dāyaka, kṛpā karo bhartā।।
oṃ jaya bṛhaspati devā…
tana, mana, dhana arpaṇa kara, jo jana śaraṇa paḍa़e।
prabhu prakaṭa taba hokara, ākara dvāra khaḍa़e।।
oṃ jaya bṛhaspati devā…
dīnadayāla dayānidhi, bhaktana hitakārī।
pāpa doṣa saba hartā, bhava baṃdhana hārī।।
oṃ jaya bṛhaspati devā…
sakala manoratha dāyaka, saba saṃśaya tāro।
viṣaya vikāra miṭāo, saṃtana sukhakārī।।
oṃ jaya bṛhaspati devā…
jo koī āratī terī prema sahita gāve।
jeṣṭānaṃda baṃda so-so niścaya pāve।।
oṃ jaya bṛhaspati devā…