धर्म

धर्म, दर्शन और अध्यात्म आदि से जुड़ी किताबें पढ़ें यहाँ

धर्मस्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद द्वारा शिष्य को व्यापार वाणिज्य करने के लिए प्रोत्साहित करना

स्वामीजी द्वारा शिष्य को व्यापार वाणिज्य करने के लिएप्रोत्साहित करना – वास्तविक शिक्षा किसे कहते हैं – वास्तविक शिक्षा किसे कहते हैं आदि।

Read More
स्वामी विवेकानंद

“उद्बोधन” पत्र की स्थापना – इस पत्र के लिए स्वामी त्रिगुणातीतानन्दजी का अमित कष्ट तथा त्याग

स्थान – बेलुड़, किराये का मठ वर्ष – १८९८ ईसवी विषय – “उद्बोधन” पत्र की स्थापना – इस पत्र के

Read More
धर्मस्वामी विवेकानंद

भगिनी निवेदिता आदि के साथ स्वामी विवेकानंद का अलीपुर पशुशालादेखने जाना

भगिनी निवेदिता आदि के साथ स्वामीजी का अलीपुर पशुशालादेखने जाना – पशुशाला देखते समय वार्तालाप तथा हँसी – सम्बन्ध में महामुनि पतंजलि का मत आदि।

Read More
धर्मस्वामी विवेकानंद

श्रीरामकृष्ण मठ को अद्वितीय धर्मक्षेत्र बना लेने की स्वामी विवेकानंद की इच्छा

श्रीरामकृष्ण मठ को अद्वितीय धर्मक्षेत्र बना लेने की स्वामीजी की इच्छा – मठ में ब्रह्मचारियों को किस प्रकार शिक्षा देने का संकल्प था आदि।

Read More
धर्मस्वामी विवेकानंद

भारत की उन्नति का उपाय क्या है?

भारत की उन्नति का उपाय क्या है? – दूसरों के लिए कर्म काअनुष्ठान या कर्मयोग। आप भी पढ़ें और समझने की कोशिश करे भारत की उन्नति का उपाय।

Read More
धर्मस्वामी विवेकानंद

शुद्ध ज्ञान व शुद्ध भक्ति एक हैं

शुद्ध ज्ञान व शुद्ध भक्ति एक हैं – पूर्णप्रज्ञ न होने पर प्रेम कीअनुभूति असम्भव है – यथार्थ ज्ञान और भक्ति प्राप्त न हो, तभी तक विवाद है आदि।

Read More
धर्मस्वामी विवेकानंद

धर्म प्राप्त करना हो तो गृहस्थ व संन्यासी दोनों के लिएकामकांचन के प्रति आसक्त्ति का त्याग करना एक जैसा ही आवश्यक है

धर्म प्राप्त करना हो तो गृहस्थ व संन्यासी दोनों के लिएकामकांचन के प्रति आसक्त्ति का त्याग करना एक जैसा ही आवश्यक है -कृपासिद्ध किसे कहते हैं।

Read More
धर्मस्वामी विवेकानंद

खाद्याखाद्य का विचार कैसे करना होगा

खाद्याखाद्य का विचार कैसे करना होगा – मांसाहार किसे करना उचित है – भारत के वर्णाश्रम धर्म का किस रूप में फिर से उद्धार होने की आवश्यकता है।

Read More
धर्मस्वामी विवेकानंद

स्थान, काल आदि की शुद्धता का विचार कब तक

स्थान, काल आदि की शुद्धता का विचार कब तक – आत्मा के प्रकट होने के विघ्नों को जो विनष्ट करती है वही साधना है – निष्काम कर्म किये कहते हैं।

Read More
हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!