धर्म

फागुन की रुत फिर से आयी – Fagun Ki Rut Fir Se Aayi Lyrics

पढ़ें “फागुन की रुत फिर से आयी” लिरिक्स

फागुन की रुत फिर से आई,
खाटू नगरी चालो,
श्याम निशान उठालो,
श्याम कुंड के पावन जल में,
चलके डुबकी लगालो,
श्याम निशान उठालो॥

गाँव-गाँव और शहर-शहर से,
तेरी प्रेमी जाते,
लाखों-लाखों रंग-बिरंगे,
श्याम ध्वजा लहराते,
श्याम का जयकारा करते,
करते खाटू को चालो,
श्याम निशान उठालो॥

श्याम हवेली तक रींगस से,
लंबी लगी कतारें,
फागुन मेला आया भक्तों,
बाबा हमे पुकारे,
लड्डू-मेवे और इत्र का,
भोग श्याम को चढालो,
श्याम निशान उठालो॥

ये मौका बड़भागी उठावे,
खाटू नगरी जावे,
सांवरिये का दर्शन करके,
माल-खजाना पावे,
अब भी समय है टिकट करा लो,
भाग्य ‘कुणाल’ जगालो॥

फागुन की रुत फिर से आई,
खाटू नगरी चालो,
श्याम निशान उठालो,
श्याम कुंड के पावन जल में,
चलके डुबकी लगालो,
श्याम निशान उठालो॥

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम श्याम भजन को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस भजन को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें जिस के घर में खाटू वाले भजन रोमन में-

Read Fagun Ki Rut Fir Se Aayi Lyrics

phāguna kī ruta phira se āī,
khāṭū nagarī cālo,
śyāma niśāna uṭhālo,
śyāma kuṃḍa ke pāvana jala meṃ,
calake ḍubakī lagālo,
śyāma niśāna uṭhālo॥

gā~va-gā~va aura śahara-śahara se,
terī premī jāte,
lākhoṃ-lākhoṃ raṃga-biraṃge,
śyāma dhvajā laharāte,
śyāma kā jayakārā karate,
karate khāṭū ko cālo,
śyāma niśāna uṭhālo॥

śyāma havelī taka rīṃgasa se,
laṃbī lagī katāreṃ,
phāguna melā āyā bhaktoṃ,
bābā hame pukāre,
laḍḍū-meve aura itra kā,
bhoga śyāma ko caḍhālo,
śyāma niśāna uṭhālo॥

ye maukā baड़bhāgī uṭhāve,
khāṭū nagarī jāve,
sāṃvariye kā darśana karake,
māla-khajānā pāve,
aba bhī samaya hai ṭikaṭa karā lo,
bhāgya ‘kuṇāla’ jagālo॥

phāguna kī ruta phira se āī,
khāṭū nagarī cālo,
śyāma niśāna uṭhālo,
śyāma kuṃḍa ke pāvana jala meṃ,
calake ḍubakī lagālo,
śyāma niśāna uṭhālo॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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