कविता

मन बहल जायेगा

“मन बहल जायेगा” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया ‘नवल’ द्वारा हिंदी खड़ी बोली में रचित कविता है। इस कविता की रचना 15 अप्रैल सन् 1968 में की गयी थी। इसमें कवि प्रिय का नैकट्य प्राप्त करने की आशा प्रदर्शित कर रहा है। पढ़ें और आनंद लें “मन बहल जायेगा” कविता का–

पास आओ तो ये मन बहल जायेगा।
मुस्करा दो नया गीत बन जायेगा॥

तुम रहो दूर मैं कैसे जीता रहूँ
जिन्दगी बन गयी इक बियावान है
तुम बिना गीत गाता रहूँ मैं अगर
गीत का यह महज एक अपमान है
शाप दे लो मुझे प्यार छीनो नहीं
साँस क्या दो घड़ी का ही मेहमान है।

दे रहा हूँ निमंत्रण तुम्हें प्यार का
पास बैठो तो जीवन सँभल जायेगा।

झूम कर जो उठी एक काली घटा
एक बीती कहानी की याद आ गई
प्राण का फिर पपीहा लगा कूकने-
नेह वंशी बजी रागिनी छा गई
साँस लेकर तुम्हारी बही जो हवा
धड़कनें बढ़ गई पीर घबरा गई।

मुश्किलों से कटी रात बरसात की
तुम मिलो गर तो मौसम बदल जायेगा।

एक आँधी उठी बीच मँझधार में
प्यार की नाव पड़ डगमगाने लगी
दूर होता मिलन का किनारा गया
याद मुझको तुम्हारी रुलाने लगी
बेबसी में बहुत कोसा तूफ़ान को
पर न कश्ती कहीं पर किनारे लगी।

इस तरह से छिपी हो क्यों आवाज दो,
ये उमड़ता हुआ ज्वार ढल जायेगा।

ये न सोचो अभी ज़िन्दगी बहुत है
व्यर्थ है साँस की आश करना यहाँ
किस तरह से निभेगा प्रणय का नियम
पाप है प्यार की बात करना जहाँ
इसलिए दूर ही दूर मत तुम रहो
क्या पता कल को हमको है जाना कहाँ?

बाँह का यदि सहारा नहीं मिल सका
चाँदनी को अँधेरा निगल जायेगा।

नवल सिंह भदौरिया

स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया हिंदी खड़ी बोली और ब्रज भाषा के जाने-माने कवि हैं। ब्रज भाषा के आधुनिक रचनाकारों में आपका नाम प्रमुख है। होलीपुरा में प्रवक्ता पद पर कार्य करते हुए उन्होंने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, सवैया, कहानी, निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाकार्य किया और अपने समय के जाने-माने नाटककार भी रहे। उनकी रचनाएँ देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हमारा प्रयास है कि हिंदीपथ के माध्यम से उनकी कालजयी कृतियाँ जन-जन तक पहुँच सकें और सभी उनसे लाभान्वित हों। संपूर्ण व्यक्तित्व व कृतित्व जानने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – श्री नवल सिंह भदौरिया का जीवन-परिचय

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!