धर्म

पंच परमेष्ठी की आरती – Panch Parmeshthi Aarti

पंच परमेष्ठी की आरती (Panch Parmeshthi Aarti) वस्तुतः णमोकार मंत्र का ही विस्तार है। जो इस पंच परमेष्ठी की आरती को नित्य करता है उसके जीवन में कोई कमी नहीं रहती है और वह व्यक्ति अनन्त आनंद का भागी बनता है। वह इस संसार सागर को सरलता से पार करने में समर्थ हो जाता है। ऐसे व्यक्ति के लिए सारे कष्ट और दुःख तिरोहित हो जाते हैं एवं सफलता सदैव उसके निकट रहती है। परम पद में स्थित परमेष्ठी कृपा-सिंधु सतत प्रवाहित हो रहा है। आवश्यकता है श्रद्धा से पूर्ण होकर पंच परमेष्ठी की आरती का गायन करने की। पढ़ें पंच परमेष्ठी की आरती–

इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे॥

पहली आरति श्रीजिनराजा,
भव दधि पार उतार जिहाजा।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे॥

दूसरी आरति सिद्धन केरी,
सुमिरन करत मिटे भव फेरी।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे॥

तीजी आरति सूरि मुनिंदा,
जनम मरन दु:ख दूर करिंदा।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे॥

चौथी आरति श्री उवझाया,
दर्शन देखत पाप पलाया।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे॥

पाँचमि आरति साधु तिहारी,
कुमति विनाशन शिव अधिकारी।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे॥

छट्ठी ग्यारह प्रतिमाधारी,
श्रावक वंदूं आनंदकारी।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे॥

सातमि आरति श्रीजिनवानी,
‘द्यानत’ सुरग मुकति सुखदानी।
इह विधि मंगल आरति कीजे,
पंच परमपद भज सुख लीजे॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू जैन स्वजनों के आग्रह पर पंच परमेष्ठी की आरती (Panch Parmeshthi Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें पंच परमेष्ठी की आरती रोमन में–

iha vidhi maṃgala ārati kīje,
paṃca paramapada bhaja sukha līje।
iha vidhi maṃgala ārati kīje,
paṃca paramapada bhaja sukha līje॥

pahalī ārati śrījinarājā,
bhava dadhi pāra utāra jihājā।
iha vidhi maṃgala ārati kīje,
paṃca paramapada bhaja sukha līje॥

dūsarī ārati siddhana kerī,
sumirana karata miṭe bhava pherī।
iha vidhi maṃgala ārati kīje,
paṃca paramapada bhaja sukha līje॥

tījī ārati sūri muniṃdā,
janama marana du:kha dūra kariṃdā।
iha vidhi maṃgala ārati kīje,
paṃca paramapada bhaja sukha līje॥

cauthī ārati śrī uvajhāyā,
darśana dekhata pāpa palāyā।
iha vidhi maṃgala ārati kīje,
paṃca paramapada bhaja sukha līje॥

pā~cami ārati sādhu tihārī,
kumati vināśana śiva adhikārī।
iha vidhi maṃgala ārati kīje,
paṃca paramapada bhaja sukha līje॥

chaṭṭhī gyāraha pratimādhārī,
śrāvaka vaṃdūṃ ānaṃdakārī।
iha vidhi maṃgala ārati kīje,
paṃca paramapada bhaja sukha līje॥

sātami ārati śrījinavānī,
‘dyānata’ suraga mukati sukhadānī।
iha vidhi maṃgala ārati kīje,
paṃca paramapada bhaja sukha līje॥

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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