धर्म

साथ देदो राम – Sath Dedo Ram Lyrics

पढ़ें “साथ देदो राम” लिरिक्स

हम हैं राही भटकते रहे उमर भर
साथ देदो तो शायद सुधर जाएंगे
हम हैं राही भटकते रहे उमर भर
साथ देदो तो शायद सुधर जाएंगे-2

तुमसे बांटी हर व्यथा, तुमसे बांटें अंशु
सीना है ये पत्थर सा पर दिल तो अंदर नाज़ुक
सबको जोड़ गांवों से पर खुद में पूरा टूटा हूं
पन्नो को मैं राख करूं या दिल ही जला दूं?
मैं भी तो इंसान प्रभु, मैं कर देता हूं गलती रोज
एक बार क्या बुरा बना ये ढूंढ रहे हैं गलती रोज
गलती खोज रोज मेरी एहसास मुझे ही देने लगे
तू कभी न सुधारेगा उठा के चल गलती का बोझ
आज अकेला फिर से हूं, पन्नो पे जज़्बात पड़े
बंदूक लगी बेचानी की दोनो मेरे हाथ खड़े
शिव तेरे मैं राम मेरे किसको बोलूं दिल की बात
दो मुख्य बैठा था अब सुबह के है पांच बाजे
मेरे ही दर्द के मैं सिलसिलों में खोया हूं
पचतावों के दागो को कल ही दिल से धोखा हूं
बिस्तर पे था लाश बना, कोशिश भी थी बड़ी करी
पर सच बोलूं तो राम मेरे ना तीन दिनों से सोया हूं

गलतियां हम किए होंगे, इंसान है माफ करना
गलतियां हम किए होंगे, इंसान है माफ करना

फिर से है ये भारी दिल, दिन भी तो अजीब हुआ
तीस दिनों का एक महीना मर के नसीब हुआ
जीने की इच्छा ना मेरी फिर उठी है दिल में
फिर से टूटा दुनिया से मैं, राम तेरे करीब हुआ
तेरी बनाई दुनिया में धोके सुबह शाम मिले
दिल में न भगवान मिला पर सबको चारो धाम मिले
चित्रकूट भी घूम मैं, घूम लिया तेरी नगरी में
नाम तेरा तो रोज मिला पर कभी नहीं श्री राम मिले
ऐसी भी क्या गलती करदी चोर गए क्यों नाथ हमें
कल गिरा जो नीचे तो कौन ही देगा हाथ हमें
कौन ही देगा साथ मेरा शिव तेरे हे नाथ मेरे
शबरी बांके बैठा हूं, आस पड़ी है पास मेरे

राम तेरे ही गीतों में शबरी बांके खोया हूं
इंतजार का बीज प्रभु काले युग में लड़का हूं
बिस्तर पे था लाश बना मैं, कोशिश मैंने बड़ी करी
पर सच बोलूं तो राम मेरे ना तीन दिनों से सोया हूं

हम हैं राही भटकते रहे उमर भर
साथ देदो तो शायद सुधर जाएंगे
हम हैं राही भटकते रहे उमर भर
साथ देदो तो शायद सुधर जाएंगे-2

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर इस भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें साथ देदो राम भजन रोमन में-

Read Sath Dedo Ram Lyrics

hama haiṃ rāhī bhaṭakate rahe umara bhara
sātha dedo to śāyada sudhara jāeṃge
hama haiṃ rāhī bhaṭakate rahe umara bhara
sātha dedo to śāyada sudhara jāeṃge-2

tumase bāṃṭī hara vyathā, tumase bāṃṭeṃ aṃśu
sīnā hai ye patthara sā para dila to aṃdara nāja़uka
sabako joḍa़ gāṃvoṃ se para khuda meṃ pūrā ṭūṭā hūṃ
panno ko maiṃ rākha karūṃ yā dila hī jalā dūṃ?
maiṃ bhī to iṃsāna prabhu, maiṃ kara detā hūṃ galatī roja
eka bāra kyā burā banā ye ḍhūṃḍha rahe haiṃ galatī roja
galatī khoja roja merī ehasāsa mujhe hī dene lage
tū kabhī na sudhāregā uṭhā ke cala galatī kā bojha
āja akelā phira se hūṃ, panno pe jaja़bāta paḍa़e
baṃdūka lagī becānī kī dono mere hātha khaḍa़e
śiva tere maiṃ rāma mere kisako bolūṃ dila kī bāta
do mukhya baiṭhā thā aba subaha ke hai pāṃca bāje
mere hī darda ke maiṃ silasiloṃ meṃ khoyā hūṃ
pacatāvoṃ ke dāgo ko kala hī dila se dhokhā hūṃ
bistara pe thā lāśa banā, kośiśa bhī thī baḍa़ī karī
para saca bolūṃ to rāma mere nā tīna dinoṃ se soyā hūṃ

galatiyāṃ hama kie hoṃge, iṃsāna hai māpha karanā
galatiyāṃ hama kie hoṃge, iṃsāna hai māpha karanā

phira se hai ye bhārī dila, dina bhī to ajība huā
tīsa dinoṃ kā eka mahīnā mara ke nasība huā
jīne kī icchā nā merī phira uṭhī hai dila meṃ
phira se ṭūṭā duniyā se maiṃ, rāma tere karība huā
terī banāī duniyā meṃ dhoke subaha śāma mile
dila meṃ na bhagavāna milā para sabako cāro dhāma mile
citrakūṭa bhī ghūma maiṃ, ghūma liyā terī nagarī meṃ
nāma terā to roja milā para kabhī nahīṃ śrī rāma mile
aisī bhī kyā galatī karadī cora gae kyoṃ nātha hameṃ
kala girā jo nīce to kauna hī degā hātha hameṃ
kauna hī degā sātha merā śiva tere he nātha mere
śabarī bāṃke baiṭhā hūṃ, āsa paḍa़ī hai pāsa mere

rāma tere hī gītoṃ meṃ śabarī bāṃke khoyā hūṃ
iṃtajāra kā bīja prabhu kāle yuga meṃ laḍa़kā hūṃ
bistara pe thā lāśa banā maiṃ, kośiśa maiṃne baḍa़ī karī
para saca bolūṃ to rāma mere nā tīna dinoṃ se soyā hūṃ

hama haiṃ rāhī bhaṭakate rahe umara bhara
sātha dedo to śāyada sudhara jāeṃge
hama haiṃ rāhī bhaṭakate rahe umara bhara
sātha dedo to śāyada sudhara jāeṃge-2

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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