धर्म

शीतला चालीसा – Sheetla Mata Chalisa

शीतला चालीसा का पाठ मूक को छंद गाने की शक्ति देता है, दुर्बल को बलवान बना देता है और मूर्ख को ज्ञानी बना देता है। शीतला माता चालीसा (Sheetla Mata Chalisa) के प्रतिदिन गायन से माँ शीतला की छत्रछाया प्राप्त होती है और दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं रह जाता है।

माँ का नित्य स्मरण बल, बुद्धि और ज्ञान को विकसित करने वाला है। अभी पढ़ें शीतला चालीसा (Sheetla Chalisa)–

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॥ दोहा॥
जय जय माता शीतला,
तुमहिं धेरै जो ध्यान।
होय विमल शीतल हृदय,
विकसै बुद्धि बलज्ञान॥

घट घट वासी शीतला,
शीतल प्रभा तुम्हार।
शीतल छइयां में झुलई,
मइया पलना डार ।॥

॥ चौपाई॥
जय जय जय शीतला भवानी,
जय जग जननि सकल गुणखानी।

गृह – गृह शक्ति तुम्हारी राजित,
पूरण शरदचंद्र समसाजित।

विस्फोटक से जलत शरीरा,
शीतल करत हरत सब पीरा।

मातु शीतला तव शुभनामा,
सबके गाढ़े आवहिं कामा।

शोकहरी शंकरी भवानी,
बाल-प्राणरक्षी सुख दानी।

शुचि मार्जनी कलश करराजै,
मस्तक तेज सूर्य समराजै।

चौसठ योगिन संग में गावैं,
वीणा ताल मृदंग बजावैं।

नृत्य नाथ भैरो दिखाएं,
सहज शेष शिव पार न पावै।

धन्य-धन्य धात्री महारानी,
सुरनर मुनि तब सुयश बखानी।

ज्वाला रूप महा बलकारी,
दैत्य एक विस्फोटक भारी।

घर-घर प्रविशत कोई न रक्षत,
रोग रूप धरि बालक भक्षत।

हाहाकार मच्यो जगभारी,
सक्यो न जब संकट टारी।

तब मैया धरि अद्भुत रूपा,
करमें लिये मार्जनी सूपा।

विस्फोटकहिं पकड़ि कर लीन्ह्यो,
मुसल प्रहार बहुविधि कीन्ह्यो।

बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा,
मैया नहीं भल मैं कछु चीन्हा।

अबनहिं मातु, काहुगृह जइहौं,
जहाँ अपवित्र सकल दुःख हरिहैं।

भभकत तन, शीतल हैवै जइहैं,
विस्फोटक भयघोर नसइहैं।

श्री शीतलहिं भजे कल्याना,
वचन सत्य भाषे भगवाना।

विस्फोटक भय जिहि गृह भाई,
भजै देवि कहँ यही उपाई।

कलश शीतला का सजवावै,
द्विज से विधिवत पाठ करावै।

तुम्हीं शीतला, जग की माता,
तुम्हीं पिता जग की सुखदाता।

तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी,
नमो नमामि शीतले देवी।

नमो सुक्खकरणी दुःखहरणी,
नमो-नमो जगतारणि तरणी।

नमो नमो त्रलोक्य वन्दिनी,
दुखदारिद्रादिक निकन्दनी।

श्री शीतला, शेढ़ला, महला,
रुणलीह्युणनी मातु मंदला।

हो तुम दिगम्बर तनुधारी,
शोभित पंचनाम असवारी।

रासभ, खर बैशाख सुनन्दन,
गर्दभ दुर्वाकंद निकन्दन।

सुमिरत संग शीतला माई,
जाहि सकल दुख दूर पराई।

गलका, गलगन्डादि जुहोई
ताकर मंत्र न औषधि कोई।

एक मातु जी का आराधन,
और नहिं कोई है साधन।

निश्चय मातु शरण जो आवै,
निर्भय मन इच्छित फल पावै।

कोढ़ी, निर्मल काया धारै,
अन्धा, दृग-निज दृष्टि निहारै।

वन्ध्या नारि पुत्र को पावै,
जन्म दरिद्र धनी होई जावै।

मातु शीतला के गुण गावत,
लखा मूक को छन्द बनावत।

यामे कोई करै जनि शंका,
जग में मैया का ही डंका।

भनत रामसुन्दर प्रभुदासा
तट प्रयाग से पूरब पासा।

पुरी तिवारी मोर मोर निवासा,
ककरा गंगा तट दुर्वासा।

अब विलम्ब मैं तोहि पुकारत,
मातु कृपा कौ बाट निहारत।

पड़ा क्षर तव आस लगाई,
रक्षा करहु शीतला माई।

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर शीतला चालीसा (Sheetla Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें शीतला चालीसा रोमन में–

Read Sheetla Chalisa

॥dohā॥
jaya jaya mātā śītalā,
tumahiṃ dherai jo dhyāna।
hoya vimala śītala hṛdaya,
vikasai buddhi balajñāna॥

ghaṭa ghaṭa vāsī śītalā,
śītala prabhā tumhāra।
śītala chaiyāṃ meṃ jhulaī,
maiyā palanā ḍāra ।॥

॥caupāī॥
jaya jaya jaya śītalā bhavānī,
jaya jaga janani sakala guṇakhānī।

gṛha – gṛha śakti tumhārī rājita,
pūraṇa śaradacaṃdra samasājita।

visphoṭaka se jalata śarīrā,
śītala karata harata saba pīrā।

mātu śītalā tava śubhanāmā,
sabake gāḍha़e āvahiṃ kāmā।

śokaharī śaṃkarī bhavānī,
bāla-prāṇarakṣī sukha dānī।

śuci mārjanī kalaśa kararājai,
mastaka teja sūrya samarājai।

causaṭha yogina saṃga meṃ gāvaiṃ,
vīṇā tāla mṛdaṃga bajāvaiṃ।

nṛtya nātha bhairo dikhāeṃ,
sahaja śeṣa śiva pāra na pāvai।

dhanya-dhanya dhātrī mahārānī,
suranara muni taba suyaśa bakhānī।

jvālā rūpa mahā balakārī,
daitya eka visphoṭaka bhārī।

ghara-ghara praviśata koī na rakṣata,
roga rūpa dhari bālaka bhakṣata।

hāhākāra macyo jagabhārī,
sakyo na jaba saṃkaṭa ṭārī।

taba maiyā dhari adbhuta rūpā,
karameṃ liye mārjanī sūpā।

visphoṭakahiṃ pakaḍa़i kara līnhyo,
musala prahāra bahuvidhi kīnhyo।

bahuta prakāra vaha vinatī kīnhā,
maiyā nahīṃ bhala maiṃ kachu cīnhā।

abanahiṃ mātu, kāhugṛha jaihauṃ,
jahā~ apavitra sakala duḥkha harihaiṃ।

bhabhakata tana, śītala haivai jaihaiṃ,
visphoṭaka bhayaghora nasaihaiṃ।

śrī śītalahiṃ bhaje kalyānā,
vacana satya bhāṣe bhagavānā।

visphoṭaka bhaya jihi gṛha bhāī,
bhajai devi kaha~ yahī upāī।

kalaśa śītalā kā sajavāvai,
dvija se vidhivata pāṭha karāvai।

tumhīṃ śītalā, jaga kī mātā,
tumhīṃ pitā jaga kī sukhadātā।

tumhīṃ jagaddhātrī sukhasevī,
namo namāmi śītale devī।

namo sukkhakaraṇī duḥkhaharaṇī,
namo-namo jagatāraṇi taraṇī।

namo namo tralokya vandinī,
dukhadāridrādika nikandanī।
śrī śītalā, śeḍha़lā, mahalā,
ruṇalīhyuṇanī mātu maṃdalā।

ho tuma digambara tanudhārī,
śobhita paṃcanāma asavārī।

rāsabha, khara baiśākha sunandana,
gardabha durvākaṃda nikandana।

sumirata saṃga śītalā māī,
jāhi sakala dukha dūra parāī।

galakā, galaganḍādi juhoī
tākara maṃtra na auṣadhi koī।

eka mātu jī kā ārādhana,
aura nahiṃ koī hai sādhana।

niścaya mātu śaraṇa jo āvai,
nirbhaya mana icchita phala pāvai।

koḍha़ī, nirmala kāyā dhārai,
andhā, dṛga-nija dṛṣṭi nihārai।

vandhyā nāri putra ko pāvai,
janma daridra dhanī hoī jāvai।

mātu śītalā ke guṇa gāvata,
lakhā mūka ko chanda banāvata।

yāme koī karai jani śaṃkā,
jaga meṃ maiyā kā hī ḍaṃkā।

bhanata rāmasundara prabhudāsā
taṭa prayāga se pūraba pāsā।

purī tivārī mora mora nivāsā,
kakarā gaṃgā taṭa durvāsā।

aba vilamba maiṃ tohi pukārata,
mātu kṛpā kau bāṭa nihārata।

paḍa़ā kṣara tava āsa lagāī,
rakṣā karahu śītalā māī।

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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