सूरह अबस हिंदी में – सूरह 80
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
उसने त्यौरी चढ़ाई और बेरुख़ी बरती इस बात पर कि अंधा उसके पास आया। और तुम्हें क्या ख़बर कि वह सुधर जाए या नसीहत को सुने तो नसीहत उसके काम आए। जो शख्स बेपरवाही बरतता है, तुम उसकी फ़िक्र में पड़ते हो। हालांकि तुम पर कोई ज़िम्मेदारी नहीं अगर वह न सुधरे। और जो शख्स तुम्हारे पास दौड़ता हुआ आता है और वह डरता है, तो तुम उससे बेपरवाही बरतते हो। हरगिज़ नहीं, यह तो एक नसीहत है, पस जो चाहे याददिहानी हासिल करे। वह ऐसे सहीफ़ों (ग्रंथों) में है जो मुकर्रम हैं, बुलन्द मर्तबा हैं, पाकीज़ा हैं, मुअज़्ज़ज़, नेक कातिबों के हाथों में। (1-16)
बुरा हो आदमी का, वह कैसा नाशुक्र है। उसे किस चीज़ से पैदा किया है, एक बूंद से। उसे पैदा किया। फिर उसके लिए अंदाज़ा ठहराया। फिर उसके लिए राह आसान कर दी। फिर उसे मौत दी, फिर उसे क़॒ब्र में ले गया। फिर जब वह चाहेगा उसे दुबारा ज़िंदा कर देगा। हरगिज़ नहीं, उसने पूरा नहीं किया जिसका अल्लाह ने उसे हुक्म दिया था। पस इंसान को चाहिए कि वह अपने खाने को देखे। हमने पानी बरसाया अच्छी तरह, फिर हमने ज़मीन को अच्छी तरह फाड़ा। फिर उगाए उसमें ग़ल्ले और अंगूर और तरकारियां और जैतून और खजूर और घने बाग और फल और सब्ज़ा, तुम्हारे लिए और तुम्हारे मवेशियों के लिए सामाने हयात (जीवन-सामग्री) के तौर पर (7-32)
पस जब वह कानों को बहरा कर देने वाला शोर बरपा होगा। जिस दिन आदमी भागेगा अपने भाई से, और अपनी मां से और अपने बाप से, और अपनी बीवी से और अपने बेटों से | उनमें से हर शख़्स को उस दिन ऐसा फ़िक्र लगा होगा जो उसे किसी और तरफ़ मुतवज्जह न होने देगा। कुछ चेहरे उस दिन रोशन होंगे, हंसते हुए, ख़ुशी करते हुए। और कुछ चेहरों पर उस दिन ख़ाक उड़ रही होगी, उन पर स्याही छाई हुई होगी। यही लोग मुंकिर हैं, ढीठ हैं। (33-42)