सूरह अल अलक़ हिंदी में – सूरह 96
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
पढ़ अपने रब के नाम से जिसने पैदा किया। पैदा किया इंसान को अलक़ खून के लोथड़े) से | पढ़ और तेरा रब बड़ा करीम है जिसने इल्म सिखाया क़ल्म से। इंसान को वह कुछ सिखाया जो वह जानता न था। हरगिज नहीं, इंसान सरकशी करता है। इस बिना पर कि वह अपने को आत्मनिर्भर देखता है। बेशक तेरे रब ही की तरफ़ लौटना है। क्या तुमने देखा उस शख्स को जो मना करता है, एक बंदे को जब वह नमाज़ अदा करता हो तुम्हारा क्या ख्याल है, अगर वह हिदायत पर हो। या डर की बात सिखाता हो तुम्हारा क्या ख्याल है, अगर उसने झुठलाया और रूगर्दानी (अवहेलना) की। कया उसने नहीं जाना कि अल्लाह देख रहा है। हरगिज़ नहीं, अगर वह बाज़ न आया तो हम पेशानी के बाल पकड़कर उसे खींचेंगे। उस पेशानी को जो झूठी गुनाहगार है। अब वह बुला ले अपने हामियों को। हम भी दोजख़ के फ़रिश्तों को बुलाएंगे। हरगिज़ नहीं, उसकी बात न मान और सज्दा कर और क़रीब हो जा। (1-19)