धर्म

सूरह रअद हिंदी में – अर-रअद (सूरह 13)

सूरह रअद कुरान शरीफ का तेरहवाँ सूरह है। कहते हैं कि जो सच्चे दिल से सूरह रअद पढ़ता है उसपर कभी बिजली नहीं गिरती। जो भी सूरह रअद को पढ़ता है उसे इतना इनाम मिलता है जितने बादल आज तक धरती के ऊपर से गुज़रे हैं। पढ़ें सूरह रअद-

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

अलिफ़० लाम० मीम० रा०। ये किताबे इलाही की आयतें हैं। और जो कुछ तुम्हारे ऊपर तुम्हारे रब की तरफ़ से उतरा है वह हक़ (सत्य) है। मगर अक्सर लोग नहीं मानते। अल्लाह ही है जिसने आसमान को बुलन्द किया बगैर ऐसे सुतून स्तंभ) के जो तुम्हें नज़र आएं। फिर वह अपने तख़्त पर मुतमक्किन (आसीन) हुआ और उसने सूरज और चांद को एक क़ानून का पाबंद बनाया, हर एक एक मुक़र्रर वक़्त पर चलता है। अल्लाह ही हर काम का इंतिज़ाम करता है। वह निशानियों को खोल खोल कर बयान करता है ताकि तुम अपने रब से मिलने का यक्रीन करो। और वही है जिसने ज़मीन को फैलाया। और उसमें पहाड़ और नदियां रख दीं और हर क़िस्म के फलों के जोड़े इसमें पैदा किए। वह रात को दिन पर उढ़ा देता है। बेशक इन चीज़ों में निशानियां हैं उन लोगों के लिए जो ग़ौर करें। और ज़मीन में पास-पास मुख्तलिफ़ क्रितओ (भू-भाग) हैं और अंगूरों के बाग़ हैं और खेती है और खजूरें हैं, उनमें से कुछ इकहरे हैं और कुछ दोहरे। सब एक ही पानी से सैराब होते हैं। और हम एक को दूसरे पर पैदावार में फ़ौक़ियत (्रेष्ठता) देते हैं बेशक इनमें निशानियां हैं उन लोगों के लिए जो ग़ौर करें। (1-4)

और अगर तुम तअज्जुब (आश्चर्य) करो तो तअज्जुब के क़ाबिल उनका यह क़ौल है कि- जब वे मिट्टी हो जाएंगे तो क्या हम नए सिरे से पैदा किए जाएंगे। ये वे लोग हैं जिन्होंने अपने रब का इंकार किया और ये वे लोग हैं जिनकी गर्दनों में तौक़ पड़े हुए हैं वे आग वाले लोग हैं, वे उसमें हमेशा रहेंगे। वे भलाई से पहले बुराई के लिए जल्दी कर रहे हैं। हालांकि उनसे पहले मिसालें गुज़र चुकी हैं और तुम्हारा रब लोगों के ज़ुल्म के बावजूद उन्हें माफ़ करने वाला है। और बेशक तुम्हारा रब सख्त सज़ा देने वाला है। और जिन लोगों ने इंकार किया वे कहते हैं कि इस शख्स पर उसके रब की तरफ़ से कोई निशानी क्‍यों नहीं उतरी। तुम तो सिर्फ़ ख़बरदार कर देने वाले हो। और हर क़ौम के लिए एक राह बताने वाला है। अल्लाह जानता है हर मादा के हमल (गर्भ) को। और जो कुछ रहमों में घटता या बढ़ता है उसे भी। और हर चीज़ का उसके यहां एक अंदाज़ा है। वह पोशीदा और ज़ाहिर को जानने वाला है, सबसे बड़ा है, सबसे बरतर | तुम में से कोई शख्स चुपके से बात कहे और जो पुकार कर कहे और जो रात में छुपा हुआ हो। और दिन में चल रहा हो, ख़ुदा के लिए सब यकसां (समान) हैं। हर शख्स के आगे और पीछे उसके निगरां (रक्षक) हैं जो अल्लाह के हुक्म से उसकी देखभाल कर रहे हैं। बेशक अल्लाह किसी क़ौम की हालत को नहीं बदलता जब तक कि वे उसे न बदल डालें जो उनके जी में है। और जब अल्लाह किसी क़ौम पर कोई आफ़त लाना चाहता है तो फिर उसके हटने की कोई सूरत नहीं और अल्लाह के सिवा उसके मुक़ाबले में कोई उनका मददगार नहीं। वही है जो तुम्हें बिजली दिखाता है जिससे डर भी पैदा होता है और उम्मीद भी। और वही है जो पानी से लदे हुए बादल उठाता है। और बिजली की गरज उसकी हम्द (प्रशंसा) के साथ उसकी पाकी बयान करती है और फ़रिश्ते भी उसके ख़ौफ़ से। और वह बिजलियां भेजता है, फिर जिस पर चाहे उन्हें गिरा देता है और वे लोग ख़ुदा के बाब (विषय) में झगड़ते हैं, हालांकि वह ज़बरदस्त है क्रुव्वत वाला है। (5-13)

सच्चा पुकारना सिर्फ़ ख़ुदा के लिए है। और उसके सिवा जिनको लोग पुकारते हैं वे उनकी इससे ज़्यादा दादरसी (सहायता) नहीं कर सकते जितना पानी उस शख्स की करता है जो अपने दोनों हाथ पानी की तरफ़ फैलाए हुए हो ताकि वह उसके मुंह तक पहुंच जाए और वह उसके मुंह तक पहुंचने वाला नहीं। और मुंकिरीन की पुकार सब बेफ़ायदा है। (14)

और आसमानों और ज़मीन में जो भी हैं सब ख़ुदा ही को सज्दा करते हैं। ख़ुशी से या मजबूरी से और उनके साये भी सुबह व शाम। कहो, आसमानों और ज़मीन का रब कौन है। कह दो कि अल्लाह। कहो, क्या फिर भी तुमने उसके सिवा ऐसे मददगार बना रखे हैं जो ख़ुद अपनी ज़ात के नफ़ा और नुक़्सान का भी इख्तियार नहीं रखते | कहो, क्या अंधा और आंखों वाला दोनों बराबर हो सकते हैं। या क्या अंधेरा और उजाला दोनों बराबर हो जाएंगे। क्या उन्होंने ख़ुदा के ऐसे शरीक ठहराए हैं जिन्होंने भी पैदा किया है जैसा कि अल्लाह ने पैदा किया, फिर पैदाइश उनकी नज़र में मुशतबह (संदिग्ध) हो गई। कहो, अल्लाह हर चीज़ का पैदा करने वाला है और वही है अकेला, ज़बरदस्त | अल्लाह ने आसमान से पानी उतारा। फिर नाले अपनी-अपनी मिक़्दार के मुवाफ़िक़ बह निकले। फिर सैलाब ने उभरते झाग को उठा लिया और इसी तरह का झाग उन चीज़ों में भी उभर आता है जिन्हें लोग ज़ेवर या असबाब बनाने के लिए आग में पिघलाते हैं। इस तरह अल्लाह हक़ (सत्य) और बातिल (असत्य) की मिसाल बयान करता है। पस झाग तो सूखकर जाता रहता है और जो चीज़ इंसानों को नफ़ा पहुंचाने वाली है वह ज़मीन में ठहर जाती है। अल्लाह इसी तरह मिसालें बयान करता है। (15-17)

जिन लोगों ने अपने रब की पुकार को लब्बैक कहा उनके लिए भलाई है और जिन लोगों ने उसकी पुकार को न माना, अगर उनके पास वह सब कुछ हो जो ज़मीन में है, और उसके बराबर और भी तो वह सब अपनी रिहाई के लिए दे डालें। उन लोगों का हिसाब सख़्त होगा और उनका ठिकाना जहन्नम होगा। और वह कैसा बुरा ठिकाना है। जो शख्स यह जानता है कि जो कुछ तुम्हारे रब की तरफ़ से उतारा गया है वह हक़ (सत्य) है, क्या वह उसके मानिंद हो सकता है जो अंधा है। नसीहत तो अक़ल वाले लोग ही क़ुबूल करते हैं। (18-19)

वे लोग जो अल्लाह के अहद (वचन) को पूरा करते हैं और उसके अहद को नहीं तोड़ते। और जो उसे जोड़ते हैं जिसे अल्लाह ने जोड़ने का हुक्म दिया है और वे अपने रब से डरते हैं और वे बुरे हिसाब का अंदेशा रखते हैं और जिन्होंने अपने रब की रिज़ा के लिए सब्र किया। और नमाज़ क़ायम की। और हमारे दिए में से पोशीदा और एलानिया ख़र्च किया। और जो बुराई को भलाई से मिटाते हैं। आख़िरत का घर इन्हीं लोगों के लिए है। अबदी (चिरस्थाई) बाग़ जिनमें वे दाख़िल होंगे। और वे भी जो उसके अहल बनें, उनके आबा व अज्दाद ([पूर्वज) और उनकी बीवियों और उनकी औलाद में से। और फ़रिश्ते हर दरवाज़े से उनके पास आएंगे, कहेंगे तुम लोगों पर सलामती हो उस सब्र के बदले जो तुमने किया। पस क्या ही खूब है यह आख़िरत का घर। और जो लोग अल्लाह के अहद को मज़बूत करने के बाद तोड़ते हैं और उसे काटते हैं जिसे अल्लाह ने जोड़ने का हुक्म दिया है और ज़मीन में फ़साद करते हैं, ऐसे लोगों पर लानत है और उनके लिए बुरा घर है। अल्लाह जिसे चाहता है रोज़ी ज़्यादा देता है और जिसके लिए चाहता है तंग कर देता है। और वे दुनिया की ज़िंदगी पर खुश हैं। और दुनिया की ज़िंदगी आख़िरत के मुक़ाबले में एक मताए क़लील (अल्प सुख-सामग्री) के सिवा और कुछ नहीं। (20-26)

और जिन्होंने इंकार किया वे कहते हैं कि इस शख्स पर उसके रब की तरफ़ से कोई निशानी क्‍यों नहीं उतारी गई। कहो कि अल्लाह जिसे चाहता है गुमराह करता है और वह रास्ता उसे दिखाता है जो उसकी तरफ़ मुतवज्जह हो | वे लोग जो ईमान लाए और जिनके दिल अल्लाह की याद से मुतमइन होते हैं। सुनो, अल्लाह की याद ही से दिलों को इत्मीनान हासिल होता है। जो ईमान लाए और जिन्होंने अच्छे काम किए उनके लिए ख़ुशख़बरी है और अच्छा ठिकाना है। इसी तरह हमने तुम्हें भेजा है, एक उम्मत में जिससे पहले बहुत सी उम्मतें गुज़र चुकी हैं, ताकि तुम लोगों को वह पैग़ाम सुना दो जो हमने तुम्हारी तरफ़ भेजा है। और वे मेहरबान ख़ुदा का इंकार कर रहे हैं। कहो कि वही मेरा रब है, उसके सिवा कोई माबूद (पूज्य) नहीं, उसी पर मैंने भरोसा किया और उसी की तरफ़ लौटना है। (27-30)

और अगर ऐसा क़ुरआन उतरता जिससे पहाड़ चलने लगते, या उससे ज़मीन टुकड़े हो जाती या उससे मुर्दे बोलने लगते- बल्कि सारा इख़्तियार अल्लाह ही के लिए है। क्या ईमान लाने वालों को इससे इत्मीनान नहीं कि अगर अल्लाह चाहता तो सारे लोगों को हिदायत दे देता। और इंकार करने वालों पर कोई न कोई आफ़त आती रहती है, उनके आमाल के सबब से, या उनकी बस्ती के क़रीब कहीं नाज़िल होती रहेगी, यहां तक कि अल्लाह का वादा आ जाए। यक़ीनन अल्लाह वादे के ख़िलाफ़ नहीं करता | और तुमसे पहले भी रसूलों का मज़ाक़ उड़ाया गया तो मैंने इंकार करने वालों को ढील दी, फिर मैंने उन्हें पकड़ लिया। तो देखो कैसी थी मेरी सज़ा। (31-32)

फिर क्‍या जो हर शख्स से उसके अमल का हिसाब करने वाला है, और लोगों ने अल्लाह के शरीक बना लिए हैं। कहो कि उनका नाम लो। कया तुम अल्लाह को ऐसी चीज़ की ख़बर दे रहे हो जिसे वह ज़मीन में नहीं जानता। या तुम ऊपर ही ऊपर बातें कर रहे हो बल्कि इंकार करने वालों को उनका फ़रेब ख़ुशनुमा बना दिया गया है। और वे रास्ते से रोक दिए गए हैं। और अल्लाह जिसे गुमराह करे उसे कोई राह बताने वाला नहीं। उनके लिए दुनिया की ज़िंदगी में भी अज़ाब है और आख़िरत का अज़ाब तो बहुत सख्त है। कोई उन्हें अल्लाह से बचाने वाला नहीं। (33-34)

और जन्नत की मिसाल जिसका मुत्तक़रियों (डर रखने वालों) से वादा किया गया है यह है कि उसके नीचे नहरें बहती होंगी। उसका फल और साया हमेशा रहेगा। यह अंजाम उन लोगों का है जो ख़ुदा से डरें और मुंकिरों का अंजाम आग है। और जिन लोगों को हमने किताब दी थी वे उस चीज़ पर ख़ुश हैं जो तुम पर उतारी गई है। और उन गिरोहों में ऐसे भी हैं जो उसके कुछ हिस्से का इंकार करते हैं। कहो कि मुझे हुक्म दिया गया है कि मैं अल्लाह की इबादत करूँ और किसी को उसका शरीक न ठहराऊं। मैं उसी की तरफ़ बुलाता हूं और उसी की तरफ़ मेरा लौटना है और इसी तरह हमने उसे एक हुक्म की हैसियत से अरबी में उतारा है। और अगर तुम उनकी ख़्वाहिशों की पैरवी करो बाद इसके कि तुम्हारे पास इल्म आ चुका है तो ख़ुदा के मुक़ाबले में तुम्हारा न कोई मददगार होगा और न कोई बचाने वाला। (35-37)

और हमने तुमसे पहले कितने रसूल भेजे और हमने उन्हें बीवियां और औलाद अता किया और किसी रसूल के लिए यह मुमकिन नहीं कि वह अल्लाह की आज्ञा के बगैर कोई निशानी ले आए | हर एक वादा लिखा हुआ है। अल्लाह जिसे चाहे मिटाता है और जिसे चाहे बाक़ी रखता है। और उसी के पास है असल किताब। और जिसका हम उनसे वादा कर रहे हैं उसका कुछ हिस्सा हम तुम्हें दिखा दें या हम तुम्हें वफ़ात दे दें, पस तुम्हारे ऊपर सिर्फ़ पहुंचा देना है और हमारे ऊपर है हिसाब लेना। कया वे देखते नहीं कि हम ज़मीन की तरफ़ उसे उसके अतराफ़ (चतुर्दिक) से कम करते चले आ रहे हैं। और अल्लाह फ़ैसला करता है, कोई उसके फ़ैसले को हटाने वाला नहीं और वह जल्द हिसाब लेने वाला है। जो उनसे पहले थे उन्होंने भी तदबीरें कीं मगर तमाम तदबीरें अल्लाह के इख़्तियार में हैं। वह जानता है कि हर एक कया कर रहा है और मुंकिरीन जल्द जान लेंगे कि आख़िरत का घर किस के लिए है। (38-42)

और मुंकिरीन कहते हैं कि तुम ख़ुदा के भेजे हुए नहीं हो, कहो कि मेरे और तुम्हारे दर्मियान अल्लाह की गवाही काफ़ी है। और उसकी गवाही जिसके पास किताब का इल्म है। (43)

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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