सूरह दहूर हिंदी में – सूरह 76
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
कभी इंसान पर ज़माने में एक वक़्त गुज़रा है कि वह कोई क़ाबिले ज़िक्र चीज़ न था। हमने इंसान को एक मख्लूत (मिश्रित) बूंद से पैदा किया, हम उसे पलटते रहे। फिर हमने उसे सुनने वाला, देखने वाला बना दिया। हमने उसे राह समझाई, चाहे वह शुक्र करने वाला बने या इंकार करने वाला। (1-3)
हमने मुंकिरों के लिए ज़ंजीरें और तौक़ और भड़कती आग तैयार कर रखी है। नेक लोग ऐसे प्याले से पियेंगे जिसमें काफ़ूर की आमेज़िश होगी। उस चशमे स्रोत) से अल्लाह के बंदे पियेंगे। वे उसकी शाख्रें निकालेंगे। वे लोग वाजिबात (दायित्वों) को पूरा करते हैं और ऐसे दिन से डरते हैं जिसकी सख्ती आम होगी। और उसकी मुहब्बत पर खाना खिलाते हैं मोहताज को और यतीम को और क्रैदी को। हम जो तुम्हें खिलाते हैं तो अल्लाह की ख़ुशी चाहने के लिए। हम न तुमसे बदला चाहते और न शुक्रगुज़ारी। हम अपने रब की तरफ़ से एक सख्त और तल्ख़ (कठु) दिन का अंदेशा रखते हैं। पस अल्लाह ने उन्हें उस दिन की सख्ती से बचा लिया। और उन्हें ताज़गी और ख़ुशी अता फ़रमाई और उनके सब्र के बदले में उन्हें जन्नत और रेशमी लिबास अता किया। टेक लगाए होंगे उसमें तख््तों पर, उसमें न वे गर्मी से दो चार होंगे और न सर्दी से। जन्नत के साये उन पर झुके हुए होंगे और उनके फल उनके बस में होंगे। और उनके आगे चांदी के बर्तन और शीशे के प्याले गर्दिश में होंगे। शीशे चांदी के होंगे, जिन्हें भरने वालों ने मुनासिब अंदाज़ से भरा होगा। (4-16)
और वहां उन्हें एक और जाम पियाला जाएगा जिसमें सौंठ की आमेजिश होगी। यह उसमें एक चश्मा (स्रोत) है जिसे सलसबील कहा जाता है। और उनके पास फिर रहे होंगे ऐसे लड़के जो हमेशा लड़के ही रहेंगे, तुम उन्हें देखो तो समझो कि मोती हैं जो बिखेर दिए गए हैं। और तुम जहां देखोगे वहीं अज़ीम नेमत और अजीम बादशाही देखोगे। उनके ऊपर बारीक रेशम के सब्ज़ कपड़े होंगे और दबीज़ (गाढ़े) रेशम के सब्ज कपड़े भी, और उन्हें चांदी के कंगन पहनाए जाएंगे। और उनका रब उन्हें पाक़ीज़ा मशरूब (पेय) पिलाएगा। बेशक यह तुम्हारा सिला (प्रतिफल) है और तुम्हारी कोशिश मक़बूल (माननीय) हुई। (17-22)
हमने तुम पर क्रुरआन थोड़ा-थोड़ा करके उतारा है। पस तुम अपने रब के हुक्म पर सब्र करो और उनमें से किसी गुनाहगार या नाशुक्र की बात न मानो। और अपने रब का नाम सुबह व शाम याद करो। और रात को भी उसे सज्दा करो। और उसकी तस्बीह करो रात के लंबे हिस्से में। ये लोग जल्दी मिलने वाली चीज़ को चाहते हैं और उन्होंने छोड़ रखा है अपने पीछे एक भारी दिन को। हम ही ने उन्हें पैदा किया और हमने उनके जोड़बंद मज़बूत किए, और जब हम चाहेंगे उन्हीं जैसे लोग उनकी जगह बदल लाएंगे। यह एक नसीहत है, पस जो शख्स चाहे अपने रब की तरफ़ रास्ता इख़्तियार कर ले। और तुम नहीं चाह सकते मगर यह कि अल्लाह चाहे | बेशक अल्लाह जानने वाला हिक्मत (तत्वदर्शिता) वाला है। वह जिसे चाहता है अपनी रहमत में दाख़िल करता है, और ज़ालिमों के लिए उसने दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है। (23-31)