धर्म

सूरह अल हाक़्क़ह हिंदी में – सूरह 69

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

वह होने वाली। क्‍या है वह होनी वाली। और तुम क्‍या जानो कि क्‍या है वह होने वाली। समूद और आद ने उस खड़खड़ाने वाली चीज़ को झुठलाया। पस समूद, तो वे एक सख्त हादसे से हलाक कर दिए गए। और आद, तो वे एक तेज़ व तुंद हवा से हलाक किए गए। उसे अल्लाह ने सात रात और आठ दिन उन पर मुसललत रखा, पस तुम देखते हो कि वहां वे इस तरह गिरे हुए पड़े हैं गोया कि वे खजूरों के खोखले तने हों। तो क्या तुम्हें उनमें से कोई बचा हुआ नज़र आता है। और फ़िरऔन और उससे पहले वालों और उल्टी हुई बस्तियों ने जुर्म किया। उन्होंने अपने रब के रसूल की नाफ़रमानी की तो अल्लाह ने उन्हें बहुत सख्त पकड़ा। और जब पानी हद से गुज़र गया तो हमने तुम्हें कश्ती में सवार कराया। ताकि हम उसे तुम्हारे लिए यादगार बना दें, और याद रखने वाले कान उसे याद रखें। (1-12)

पस जब सूर में यकबारगी फूंक मारी जाएगी। और ज़मीन और पहाड़ों को उठाकर एक ही बार में रेज़ा-रेज़ा कर दिया जाएगा। तो उस दिन वाक़ेअ (घटित) होने वाली वाक़रेअ हो जाएगी। और आसमान फट जाएगा तो वह उस रोज़ बिल्कुल बोदा होगा। और फ़रिश्ते उसके किनारों पर होंगे, और तेरे रब के आर्श को उस दिन आठ फ़रिश्ते अपने ऊपर उठाए होंगे। उस दिन तुम पेश किए जाओगे, तुम्हारी कोई बात पोशीदा (छुपी) न होगी। (13-18)

पस जिस शख्स को उसका आमालनामा (कर्म-पत्र) उसके दाएं हाथ में दिया जाएगा तो वह कहेगा कि लो मेरा आमालनामा पढ़ लो। मैंने गुमान रखा था कि मुझे मेरा हिसाब पेश आने वाला है। पस वह एक पसंदीदा ऐश में होगा। ऊंचे बाग़ में उसके फल झुके पड़ रहे होंगे। खाओ और पियो मज़े के साथ, उन आमाल के बदले में जो तुमने गुज़रे दिनों में किए हैं। और जिस शख्स का आमालनामा उसके बाएं हाथ में दिया जाएगा, तो वह कहेगा काश मेरा आमालनामा मुझे न दिया जाता | और मैं न जानता कि मेरा हिसाब कया है। काश वही मौत फ़ैसलाकुन होती। मेरा माल मेरे काम न आया। मेरा इक़्तेदार (सत्ता-अधिकार) ख़त्म हो गया। इस शख्स को पकड़ो, फिर इसे तौक़ पहनाओ | फिर इसे जहन्नम में दाख़िल कर दो। फिर एक ज़ंजीर में जिसकी पैमाइश सत्तर हाथ है इसे जकड़ दो। यह शख्स ख़ुदाए अज़ीम पर ईमान न रखता था। और वह ग़रीबों को खाना खिलाने पर नहीं उभारता था। पस आज यहां इसका कोई हमदर्द नहीं। और ज़ख््मों के धोवन के सिवा उसके लिए कोई खाना नहीं। उसे गुनाहगारों के सिवा कोई और न खाएगा। (19-37)

पस नहीं, मैं क़सम खाता हूं उन चीज़ों की जिन्हें तुम देखते हो, और जिन्हें तुम नहीं देखते हो। बेशक यह एक बाइज़्ज़त रसूल का कलाम है। और वह किसी शायर का कलाम नहीं। तुम बहुत कम ईमान लाते हो। और यह किसी काहिन (भविष्यवक्ता) का कलाम नहीं, तुम बहुम कम ग़ौर करते हो | ख़ुदावंद आलम की तरफ़ से उतारा हुआ है। और अगर वह कोई बात गढ़कर हमारे ऊपर लगाता तो हम उसका दायां हाथ पकड़ते। फिर हम उसकी रगे दिल काट देते। फिर तुम में से कोई इससे हमें रोकने वाला न होता। और बिलाशुबह यह याददिहानी है डरने वालों के लिए। और हम जानते हैं कि तुम में इसके झुठलाने वाले हैं और वह मुंकिरों के लिए पछतावा है। और यह यक़ीनी हक़ है। पस तुम अपने अज़ीम रब के नाम की तस्बीह करो। (38-52)

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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