सूरह अल जुमुअह हिंदी में – सूरह 62
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
अल्लाह की तस्बीह कर रही है हर वह चीज़ जो आसमानों में है और जो ज़मीन में है। जो बादशाह है, पाक है, ज़बरदस्त है, हिक््मत (तत्वदर्शिता) वाला है। वही है जिसने उम्मियों के अंदर एक रसूल उन्हीं में से उठाया, वह उन्हें उसकी आयतें पढ़कर सुनाता है। और उन्हें पाक करता है और उन्हें किताब और हिक्मत (तत्वदर्शिता) की तालीम देता है, और वे इससे पहले खुली गुमराही में थे और दूसरों के लिए भी उनमें से जो अभी उनमें शामिल नहीं हुए, और वह ज़बरदस्त है, हिक््मत वाला है। यह अल्लाह का फ़ज़्ल (अनुग्रह) है, वह देता है जिसे चाहता है, और अल्लाह बड़े फ़ज़्ल वाला है। (1-4)
जिन लोगों को तौरात का हामिल (धारक) बनाया गया फिर उन्होंने उसे न उठाया, उनकी मिसाल उस गथे की सी है जो किताबों का बोझ उठाए हुए हो। क्या ही बुरी मिसाल है उन लोगों की जिन्होंने अल्लाह की आयतों को झुठलाया, और अल्लाह ज़ालिम लोगों को हिदायत नहीं देता। कहो कि ऐ यहूदियो, अगर तुम्हारा गुमान है कि तुम दूसरों के मुक़ाबले में अल्लाह के महबूब हो तो तुम मौत की तमन्ना करो, अगर तुम सच्चे हो। और वे कभी इसकी तमन्ना न करेंगे उन कामों की वजह से जिन्हें उनके हाथ आगे भेज चुके हैं। और अल्लाह ज़ालिमों को ख़ूब जानता है। कहो कि जिस मौत से तुम भागते हो वह तुम्हें आकर रहेगी, फिर तुम पोशीदा और ज़ाहिर के जानने वाले के पास ले जाए जाओगे, फिर वह तुम्हें बता देगा जो तुम करते रहे हो। (5-8)
ऐ ईमान वालो, जब जुमा के दिन की नमाज़ के लिए पुकारा जाए तो अल्लाह की याद की तरफ़ चल पड़ो और ख़रीद व फ़रोख्त छोड़ दो, यह तुम्हारे लिए बेहतर है अगर तुम जानो। फिर जब नमाज़ पूरी हो जाए तो ज़मीन में फैल जाओ और अल्लाह का फ़ज़्ल तलाश करो, और अल्लाह को कसरत (अधिकता) से याद करो, ताकि तुम फ़लाह पाओ। और जब वे कोई तिजारत या खेल तमाशा देखते हैं तो उसकी तरफ़ दौड़ पड़ते हैं। और तुम्हें खड़ा हुआ छोड़ देते हैं, कहो कि जो अल्लाह के पास है वह खेल तमाशे और तिजारत से बेहतर है, और अल्लाह बेहतरीन रिज़्क़ देने वाला है। (9-11)