धर्म

सूरह अल मुनाफ़िक़ून हिंदी में – सूरह 63

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

जब मुनाफ़िक़ (पाखंडी) तुम्हारे पास आते हैं तो कहते हैं कि हम गवाही देते हैं कि आप बेशक अल्लाह के रसूल हैं, और अल्लाह जानता है कि बेशक तुम उसके रसूल हो, और अल्लाह गवाही देता है कि ये मुनाफ़िक्रीन (पाखंडी) झूठे हैं। उन्होंने अपनी क़समों को ढाल बना रखा है, फिर वे रोकते हैं अल्लाह की राह से, बेशक निहायत बुरा है जो वे कर रहे हैं। यह इस सबब से है कि वे ईमान लाए फिर उन्होंने कुफ़ किया, फिर उनके दिलों पर मुहर कर दी गई, पस वे नहीं समझते। (1-3)

और जब तुम उन्हें देखो तो उनके जिस्म तुम्हें अच्छे लगते हैं, और अगर वे बात करते हैं तो तुम उनकी बात सुनते हो, गोया कि वे लकड़ियां हैं टेक लगाई हुई। वे हर ज़ोर की आवाज़ को अपने ख़िलाफ़ समझते हैं। यही लोग दुश्मन हैं, पस उनसे बचो। अल्लाह उन्हें हलाक करे, वे कहां फिरे जाते हैं। और जब उनसे कहा जाता है कि आओ, अल्लाह का रसूल तुम्हारे लिए इस्तिग़फ़ार (माफ़ी की दुआ) करे तो वे अपना सर फेर लेते हैं। और तुम उन्हें देखोगे कि वे तकब्बुर (घमंड) करते हुए बेरुख़ी करते हैं। उनके लिए यकसां (समान) है, तुम उनके लिए मग्फ़िरत (माफ़ी) की दुआ करो या मग्फ़िरत की दुआ न करो, अल्लाह हरगिज़ उन्हें माफ़ न करेगा। अल्लाह नाफ़रमान लोगों को हिदायत नहीं देता। (4-6)

यही हैं जो कहते हैं कि जो लोग अल्लाह के रसूल के पास हैं उन पर ख़र्च मत करो यहां तक कि वे मुंतशिर (तितर-बितर) हो जाएं। और आसमानों और ज़मीन के ख़ज़ाने अल्लाह ही के हैं लेकिन मुनाफ़िक्रीन (पाखंडी) नहीं समझते। वे कहते हैं कि अगर हम मदीना लौटे तो इज़्ज़त वाला वहां से ज़िल्लत वाले को निकाल देगा। हालांकि इज़्जत अल्लाह के लिए और उसके रसूल के लिए और मोमिनीन के लिए है, मगर मुनाफ़िक्रीन (पाखंडी) नहीं जानते। (7-8)

ऐ ईमान वालो, तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद तुम्हें अल्लाह की याद से ग़ाफ़िल न करने पाएं, और जो ऐसा करेगा तो वही घाटे में पड़ने वाले लोग हैं। और हमने जो कुछ तुम्हें दिया है उसमें से ख़र्च करो इससे पहले कि तुम में से किसी की मौत आ जाए, फिर वह कहे कि ऐ मेरे रब, तूने मुझे कुछ और मोहलत क्यों न दी कि मैं सदक़ा (दान) करता और नेक लोगों में शामिल हो जाता। और अल्लाह हरगिज़ किसी जान को मोहलत नहीं देता जबकि उसकी मीआद (नियत समय) आ जाए, और अल्लाह जानता है जो कुछ तुम करते हो। (9-11)

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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