धर्म

सूरह अल मुरसलात हिंदी में – सूरह 77

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

क़सम है हवाओं की जो छोड़ दी जाती हैं। फिर वे तूफ़ानी रफ़्तार से चलती हैं। और बादलों को उठाकर फैलाती हैं। फिर मामले को जुदा करती हैं। फिर याददिहानी डालती हैं। उज्ज के तौर पर या डरावे के तौर पर। जो वादा तुमसे किया जा रहा है वह ज़रूर वाक्रेअ (घटित) होने वाला है। (1-7)

पस जब सितारे बेनूर हो जाऐँंगे। और जब आसमान फट जाएगा। और जब पहाड़ रेज़ा-रेज़ा कर दिए जाएंगे। और जब पैग़म्बर मुअय्यन (निश्चित) वक़्त पर जमा किए जाएंगे। किस दिन के लिए वे टाले गए हैं। फ़ैसले के दिन के लिए। और तुम्हें क्या ख़बर कि फ़ैसले का दिन क्‍या है। तबाही है उस दिन झुठलाने वालों के लिए। क्या हमने अगलों को हलाक नहीं किया। फिर हम उनके पीछे भेजते हैं पिछलों को | हम मुजरिमों के साथ ऐसा ही करते हैं। ख़राबी है उस दिन झुठलाने वालों के लिए। (8-19)

क्या हमने तुम्हें एक हक़ीर (तुच्छ) पानी से पैदा नहीं किया। फिर उसे एक महफ़ूज़ जगह रखा, एक मुक़र्रर मुद्दुत तक। फिर हमने एक अंदाज़ा ठहराया, हम कैसा अच्छा अंदाज़ा ठहराने वाले हैं। ख़राबी है उस दिन झुठलाने वालों की। क्या हमने ज़मीन को समेटने वाला नहीं बनाया, ज़िंदों के लिए और मुर्दों के लिए। और हमने उसमें ऊंचे पहाड़ बनाए और तुम्हें मीठा पानी पिलाया। उस रोज़ ख़राबी है झुठलाने वालों के लिए। (20-28)

चलो उस चीज़ की तरफ़ जिसे तुम झुठलाते थे। चलो तीन शाख़ों वाले साये की तरफ़ | जिसमें न साया है और न वह गर्मी से बचाता है। वह अंगारे बरसाएगा जैसे कि ऊंचा महल, ज़र्द ऊंटों की मानिंद, उस दिन ख़राबी है झुठलाने वालों के लिए। यह वह दिन है जिसमें लोग बोल न सकेंगे। और न उन्हें इजाज़त होगी कि वे उज़् पेश करें। ख़राबी है उस दिन झुठलाने वालों के लिए। यह फ़ैसले का दिन है। हमने तुम्हें और अगले लोगों को जमा कर लिया। पस अगर कोई तदबीर हो तो मुझ पर तदबीर चलाओ। ख़राबी है उस दिन झुठलाने वालों के लिए। (29-40)

बेशक डरने वाले साये में और चशमों (स्रोतों) में होंगे, और फलों में जो वे चाहें। मज़े के साथ खाओ और पियो। उस अमल के बदले में जो तुम करते थे। हम नेक लोगों को ऐसा ही बदला देते हैं। ख़राबी है उस दिन झुठलाने वालों के लिए। खाओ ओर बरत लो थोड़े दिन, बेशक तुम गुनाहगार हो। ख़राबी है उस दिन झुठटलाने वालों के लिए। और जब उनसे कहा जाता है कि झुको तो वे नहीं झुकते | ख़राबी है उस दिन झुठलाने वालों के लिए। अब इसके बाद वे किस बात पर ईमान लाएंगे। (41-50)

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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