सूरह अल मुज़्ज़म्मिल हिंदी में – सूरह 73
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
ऐ कपड़े में लिपटने वाले, रात में क्रियाम (नमाज़ के लिए खड़ा होना) कर मगर थोड़ा हिस्सा। आधी रात या उससे कुछ कम कर दो। या उससे कुछ बढ़ा दो, और कुरआन को ठहर-ठहर कर पढ़ो | हम तुम पर एक भारी बात डालने वाले हैं। (1-5)
बेशक रात का उठना सख्त रौंदता है और बात ठीक निकलती है। बेशक तुम्हें दिन में बहुत काम रहता है। और अपने रब का नाम याद करो और उसकी तरफ़ मुतवज्जह हो जाओ सबसे अलग होकर | वह मश्रिक़ (पूर्व) और मग्रिब (पश्चिम) का मालिक है, उसके सिवा कोई इलाह (पृज्य-प्रभु) नहीं, पस तुम उसे अपना कारसाज़ बना लो। और लोग जो कुछ कहते हैं उस पर सब्र करो। और भल्री तरह उनसे अलग हो जाओ और झुठलाने वाले ख़ुशहाल लोगों का मामला मुझ पर छोड़ दो और उन्हें थोड़ी ढील दे दो। हमारे पास बेड़ियां हैं और दोज़ख़ है। और गले में फंस जाने वाला खाना है और दर्दनाक अज़ाब है। जिस दिन ज़मीन और पहाड़ हिलने लगेंगे और पहाड़ रेत के फिसलते हुए तोदे (ढेर) हो जाएंगे। (6-14)
हमने तुम्हारी तरफ़ एक रसूल भेजा है, तुम पर गवाह बनाकर, जिस तरह हमने फ़िरऔन की तरफ़ एक रसूल भेजा। फिर फ़िरऔन ने रसूल का कहा न माना तो हमने उसे पकड़ा सख़्त पकड़ना। पस अगर तुमने इंकार किया तो तुम उस दिन के अज़ाब से कैसे बचोगे जो बच्चों को बूढ़ा कर देगा जिसमें आसमान फट जाएगा, बेशक उसका वादा पूरा होकर रहेगा। यह एक नसीहत है, पस जो चाहे अपने रब की तरफ़ राह इख़्तियार कर ले। (15-19) बेशक तुम्हारा रब जानता है कि तुम दो तिहाई रात के क़रीब या आधी रात या एक तिहाई रात क्रियाम (नमाज़ के लिए खड़ा होना) करते हो, और एक गिरोह तुम्हारे साथियों में से भी। और अल्लाह ही रात और दिन का अंदाज़ा ठहराता है, उसने जाना कि तुम उसे पूरा न कर सकोगे पस उसने तुम पर मेहरबानी फ़रमाई, अब क्रुरआन से पढ़ो जितना तुम्हें आसान हो, उसने जाना कि तुम में बीमार होंगे और कितने लोग अल्लाह के फ़ज़्ल की तलाश में ज़मीन में सफ़र करेंगे। और दूसरे ऐसे लोग भी होंगे जो अल्लाह की राह में जिहाद करेंगे, पस उसमें से पढ़ो जितना तुम्हें आसान हो, और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात अदा करो और अल्लाह को क़र्ज़ दो अच्छा क़र्ज़। और जो भलाई तुम अपने लिए आगे भेजोगे उसे अल्लाह के यहां मौजूद पाओगे, वह बेहतर है और सवाब में ज़्यादा, और अल्लाह से माफ़ी मांगो, बेशक अल्लाह बख़्शने वाला, मेहरबान है। (20)

