धर्म

सूरह क़ाफ़ हिंदी में – सूरह 50

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

क़ाफ़० | क़सम है बाअज़्मत क्रुरआन की। बल्कि उन्हें तअज्जुब हुआ कि उनके पास उन्हीं में से एक डराने वाला आया, पस मुंकिरों ने कहा कि यहतअज्जुब की चीज़ है। क्या जब हम मर जाएंगे और मिट्टी हो जाएंगे, यह दुबारा ज़िंदा होना बहुत बईद (दूर की बात) है। हमें मालूम है जितना ज़मीन उनके अंदर से घटाती है और हमारे पास किताब है जिसमें सब कुछ महफ़ूज़ है। बल्कि उन्होंने हक़ को झुठलाया है जबकि वह उनके पास आ चुका है, पस वे उलझन में पड़े हुए हैं। (1-5)

क्या उन लोगों ने अपने ऊपर आसमान को नहीं देखा, हमने कैसा उसे बनाया और उसे रौनक़ दी और उसमें कोई दरार नहीं। और ज़मीन को हमने फैलाया और उसमें पहाड़ डाल दिए और उसमें हर क्रिस्म की रौनक़ की चीज़ उगाई, समझाने को और याद दिलाने को हर उस बंदे के लिए जो रुजूअ करे। और हमने आसमान से बरकत वाला पानी उतारा, फिर उससे हमने बाग़ उगाए और काटी जाने वाली फ़सलें। और खजूरों के लम्बे दरख़्त जिनमें तह-ब-तह ख़ोशे लगते हैं, बंदों की रोज़ी के लिए। और हमने उसके ज़रिए से मुर्दा ज़मीन को ज़िंदा किया। इसी तरह ज़मीन से निकलना होगा। (6-11)

उनसे पहले नूह की क़ौम और अर-रस वाले और समूद। और आद और फ़िरऔन और लूत के भाई और ऐका वाले और तुब्बअ की क़ौम ने भी झुठलाया। सबने पैग़म्बरों को झुठलाया, पस मेरा डराना उन पर वाक़ेअ होकर रहा। क्या हम पहली बार पैदा करने से आजिज़ रहे। बल्कि ये लोग नए सिरे से पैदा करने की तरफ़ से शुबह में हैं। (12-15)

और हमने इंसान को पैदा किया और हम जानते हैं उन बातों को जो उसके दिल में आती हैं। और हम रगे गर्दन से भी ज़्यादा उससे क़रीब हैं। जब दो लेने वाले लेते रहते हैं जो कि दाई और बाईं तरफ़ बैठे हैं। कोई लफ़्ज़ वह नहीं बोलता मगर उसके पास एक मुस्तइद (चुस्त) निगरां (सतर्क निरीक्षक) मौजूद है। (16-18)

और मौत की बेहोशी हक़ के साथ आ पहुंची। यह वही चीज़ है जिससे तू भागता था। और सूर फूंका जाएगा, यह डराने का दिन होगा। हर शख्स इस तरह आ गया कि उसके साथ एक हांकने वाला है और एक गवाही देने वाला। तुम उससे ग़फ़लत में रहे, पस हमने तुम्हारे ऊपर से पर्दा हटा दिया, पस आज तुम्हारी निगाह तेज़ है। और उसके साथ का फ़रिश्ता कहेगा, यह जो मेरे पास था हाज़िर है। जहन्नम में डाल दो नाशुक्र, मुख़ालिफ़ को। नेकी से रोकने वाला, हद से बढ़ने वाला, शुबह डालने वाला। जिसने अल्लाह के साथ दूसरे माबूद (पूज्य) बनाए, पस उसे डाल दो सख्त अज़ाब में | उसका साथी शैतान कहेगा कि ऐ हमारे रब मैंने इसे सरकश नहीं बनाया बल्कि वह ख़ुद राह भूला हुआ, दूर पड़ा था। इर्शाद होगा, मेरे सामने झगड़ा न करो और मैंने पहले ही तुम्हें अज़ाब से डरा दिया था। मेरे यहां बात बदली नहीं जाती और मैं बंदों पर ज़ुल्म करने वाला नहीं हूं। (19-29)

जिस दिन हम जहन्नम से कहेंगे, क्या तू भर गई। और वह कहेगी कि कुछ और भी है। और जन्नत डरने वालों के क़रीब लाई जाएगी, कुछ दूर न रहेगी। यह है वह चीज़ जिसका तुमसे वादा किया जाता था, हर रुजूज़ करने वाले और याद रखने वाले के लिए। जो शख्स रहमान से डरा बिना देखे और रुजूअ होने वाला दिल लेकर आया, दाख़िल हो जाओ उसमें सलामती के साथ, यह दिन हमेशा रहेगा। वहां उनके लिए वह सब होगा जो वे चाहें, और हमारे पास मज़ीद (और भी) है। (30-35)

और हम उनसे पहले कितनी ही क्रौमों को हलाक कर चुके हैं, वे क़ुब्बत (शक्ति) में उनसे ज़्यादा थीं, पस उन्होंने मुल्कों को छान मारा कि है कोई पनाह की जगह। इसमें याददिहानी है उस शख्स के लिए जिसके पास दिल हो या वह कान लगाए मुतवज्जह होकर। (36-37)

और हमने आसमानों और ज़मीन को और जो कुछ उनके दर्मियान है छः दिन में बनाया और हमें कुछ थकान नहीं हुई। पस जो कुछ वे कहते हैं उस पर सब्र करो और अपने रब की तस्बीह करो हम्द (प्रशंसा) के साथ, सूरज निकलने से पहले और उसके डूबने से पहले। और रात में उसकी तस्बीह करो और सज्दों के पीछे। (38-40)

और कान लगाए रखो कि जिस दिन पुकारने वाला बहुत क़रीब से पुकारेगा। जिस दिन लोग यक़ीन के साथ चिंधाड़ को सुनेंगे वह निकलने का दिन होगा। बेशक हम ही जिलाते हैं और हम ही मारते हैं और हमारी ही तरफ़ लौटना है। जिस दिन ज़मीन उन पर से खुल जाएगी, वे सब दौड़ते होंगे, यह इकट्ठा करना हमारे लिए आसान है। (41-44)

हम जानते हैं जो कुछ ये लोग कह रहे हैं। और तुम उन पर जब्र करने वाले नहीं हो। पस तुम कुरआन के ज़रिए उस शख्स को नसीहत करो जो मेरे डराने से डरे। (45)

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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