धर्म

सूरह अत तग़ाबुन हिंदी में – सूरह 64

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

अल्लाह की तस्बीह कर रही है हर चीज़ जो आसमानों में है और हर चीज़ जो ज़मीन में है। उसी की बादशाही है और उसी के लिए तारीफ़ है और वह हर चीज़ पर क़ादिर है। वही है जिसने तुम्हें पैदा किया, फिर तुम में से कोई मुंकिर है और कोई मोमिन, और अल्लाह देख रहा है जो कुछ तुम करते हो। उसने आसमानों और ज़मीन को ठीक तौर पर पैदा किया और उसने तुम्हारी सूरत बनाई तो निहायत अच्छी सूरत बनाई, और उसी की तरफ़ है लौटना | वह जानता है जो कुछ आसमानों और ज़मीन में है। और वह जानता है जो कुछ तुम छुपाते हो और जो तुम ज़ाहिर करते हो। और अल्लाह दिलों तक की बातों का जानने वाला है। (1-4)

क्या तुम्हें उन लोगों की ख़बर नहीं पहुंची जिन्होंने इससे पहले इंकार किया, फिर उन्होंने अपने किए का वबाल चखा और उनके लिए एक दर्दनाक अज़ाब है। यह इसलिए कि उनके पास उनके रसूल खुली दलीलों के साथ आए, तो उन्होंने कहा कि क्या इंसान हमारी रहनुमाई करेंगे। पस उन्होंने इंकार किया और मुंह फेर लिया, और अल्लाह उनसे बेपरवाह हो गया, और अल्लाह बेनियाज़ (निस्पृषहठ) है, तारीफ़ वाला है। (5-6)

इंकार करने वालों ने दावा किया कि वे हरगिज़ दुबारा उठाए न जाएंगे, कहो कि हां, मेरे रब की क़सम तुम ज़रूर उठाए जाओगे, फिर तुम्हें बताया जाएगा जो कुछ तुमने किया है, और यह अल्लाह के लिए बहुत आसान है। पस अल्लाह पर ईमान लाओ और उसके रसूल पर और उस नूर (प्रकाश) पर जो हमने उतारा है। और अल्लाह जानता है जो कुछ तुम करते हो। जिस दिन वह तुम सबको एक जमा होने के दिन जमा करेगा, यही दिन हार जीत का दिन होगा। और जो शख्स अल्लाह पर ईमान लाया होगा और उसने नेक अमल किया होगा, अल्लाह उसके गुनाह उससे दूर कर देगा और उसे बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें बहती होंगी वे हमेशा उनमें रहेंगे। यही है बड़ी कामयाबी। और जिन लोगों ने इंकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया वही आग वाले हैं, उसमें हमेशा रहेंगे, और वह बुरा ठिकाना है। (7-10)

जो मुसीबत भी आती है अल्लाह के इज़्न (अनुज्ञा) से आती है। और जो शख्स अल्लाह पर ईमान रखता है अल्लाह उसके दिल को राह दिखाता है, और अल्लाह हर चीज़ को जानने वाला है। और तुम अल्लाह की इताअत (आज्ञापालन) करो और रसूल की इताअत करो। फिर अगर तुम एराज़ (उपेक्षा) करोगे तो हमारे रसूल पर बस साफ़-साफ़ पहुंचा देना है। अल्लाह, उसके सिवा कोई इलाह (पूज्य-प्रभु) नहीं, और ईमान लाने वालों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिए। (11-13)

ऐ ईमान वालो, तुम्हारी कुछ बीवियां और कुछ औलाद तुम्हारे दुश्मन हैं, पस तुम उनसे होशियार रहो, और अगर तुम माफ़ कर दो और दरगुज़र करो और बख्श दो तो अल्लाह बख्शने वाला, रहम करने वाला है। तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद आज़माइश की चीज़ हैं, और अल्लाह के पास बहुत बड़ा अज़ है। पस तुम अल्लाह से डरो जहां तक हो सके। और सुनो और मानो और ख़र्च करो, यह तुम्हारे लिए बेहतर है, और जो शख्स दिल की तंगी से महफ़ूज़ रहा तो ऐसे ही लोग फ़लाह (कल्याण, सफलता) पाने वाले हैं। अगर तुम अल्लाह को अच्छा क़र्ज़ दोगे तो वह उसे तुम्हारे लिए कई गुना बढ़ा देगा और तुम्हें बख्श देगा, और अल्लाह क़द्रदां है, बुर्दबार (उदार) है। ग़ायब और हाज़िर को जानने वाला है, ज़बरदस्त है, हकीम (तत्वदर्शी) है। (14-18)

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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