धरा पर चरन तो धरो
“धरा पर चरन तो धरो” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें कवि वास्तविकता के धरातल पर रहने का आह्वान कर रहा है।
Read More“धरा पर चरन तो धरो” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें कवि वास्तविकता के धरातल पर रहने का आह्वान कर रहा है।
Read More“शब्द गंगाजल चढ़ाता ही रहूँगा” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें कवि चिर गीत गाने का वादा कर रहा है।
Read More“गीत गा लो अभी” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें कवि बता रहा है कि प्रत्येक पल को पूर्ण रूप से जीना चाहिए।
Read More“मन बहल जायेगा” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। कवि प्रिय का नैकट्य प्राप्त करने की आशा प्रदर्शित कर रहा है। पढ़े यह कविता।
Read More“अरे बावरे” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें कवि आशाओं के धूमिल होने पर एक तरह की विरक्ति का भाव दर्शा रहा है। पढ़े यह कविता
Read More“तेरा द्वार नहीं मिल पाया” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। कवि उस पथ को पाने की अधीरता व्यक्त कर रहा है, जो मंज़िल तक ले जा सके।
Read More“ज्योतिर्मय दान दो” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें कवि समाज को आगे ले जाने वाले ज्योतिर्मय दान की परिकल्पना कर रहा है।
Read More”ज्ञान प्रदीप जलाओ” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इस कविता में कठिन समय के अंधेरे में ज्ञान-ज्योति जलाने का आह्वान है।
Read More“तुम मेरे गीतों में आओ” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इस कविता में जीवनरूपी अमूर्त प्रिय से गीतों में आने का निवेदन है।
Read More“प्राण तुम्हें पहचान न पाते” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। कवि यहाँ अमूर्त प्रिय को पहचानने की चेष्टा कर रहा है।
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