कविता

तुम जो भी गीत उजाले का गाओ कम है

“तुम जो भी गीत उजाले का गाओ कम है” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया ‘नवल’ द्वारा हिंदी खड़ी बोली में रचित कविता है। इसमें जीवन में सर्वत्र अधिकाधिक सकारात्मकता फैलाने का आशावादी सन्देश है। पढ़ें यह कविता–

सूरज के ऊपर अब भी काला बादल है।
चन्दा की आँखों में भी गहरा काजल है।
मानवता अब तक भटक रही अँधियारे में।
तुम जो भी गीत उजाले का गाओ कम है।

माना हमने हर एक पथिक, मंजिल तक नहीं पहुँच पाता
कुछ स्वप्न अधूरे ही रहते, मनचाहा गीत न गा पता
लेकिन दु:ख की मजबूरी भी कुछ होती है
हर आँसू की भी जिम्मेदार होती है।

मिल जाए तुमको समय हृदय में झाँको तो
नैतिकता का है मूल्य बड़ा यदि आँको तो
इसलिए कुर्सियों से इतना कहना पड़ता
तुम जितना भी मेरा मन दुलराओ कम है।

तुम जो भी गीत उजाले का गाओ कम है।

हर सेवक हैं चिल्लाने से सेवा वरदान नहीं होती,
निस्वार्थ भाव के बिना कभी पूजा भगवान नहीं होती।
यश बिना किए कुछ मिल जाये सच्ची वह चाह नहीं होती,
धन में लिपटी अभिलाषाओं की अच्छी राह नहीं होती।

ऊपर से बगुला भगत बने, भीतर से कौआ काले हैं,
वे पीर पराई क्या जाने, किसको जीवन के लाले हैं
ऐसे ही ढोंगी-पाखण्डी, पुजारियों से कहना पड़ता,
तुम जितना भी गंगाजल ढुलकाओ कम है।

तुम जो भी गीत उजाले का गाओ कम है।

जब तुम बचपन घर में भूखा सो जाता है,
है नाम जवानी का लाचारी मज़बूरी।
नित जहाँ बुढ़ापा मन ही मन ललचाता है,
साधना अधूरी ही है, समझो ना पूरी।

इसलिए दर्द के द्वार-द्वार लोरी लाओ,
जब तक इतना करने के शक्ति नहीं तुममें।
तुम जितना भी मुझको, बहकाओ कम है।

तुम जो गीत उजाले का गाओ कम है।

सोचा था हमने अब जीवन मुस्कायेगा,
जीवन के गीत जवानी का दिन गायेगा।
वृद्धावस्था गीता माता-सी पावन है,
मानव धरती पर स्वर्ग झुकाकर लाएगा।

लेकिन हम आपस में ही नित बँटते जाते,
तो सचमुच ही हम सब मिटने वाले हैं।
तुम घाव मेरा जितना भी सहलाओ कम है,

तुम जो भी गीत उजाले का गाओ कम है।

नवल सिंह भदौरिया

स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया हिंदी खड़ी बोली और ब्रज भाषा के जाने-माने कवि हैं। ब्रज भाषा के आधुनिक रचनाकारों में आपका नाम प्रमुख है। होलीपुरा में प्रवक्ता पद पर कार्य करते हुए उन्होंने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, सवैया, कहानी, निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाकार्य किया और अपने समय के जाने-माने नाटककार भी रहे। उनकी रचनाएँ देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हमारा प्रयास है कि हिंदीपथ के माध्यम से उनकी कालजयी कृतियाँ जन-जन तक पहुँच सकें और सभी उनसे लाभान्वित हों। संपूर्ण व्यक्तित्व व कृतित्व जानने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – श्री नवल सिंह भदौरिया का जीवन-परिचय

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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