धर्म

विठ्ठल आरती – Vitthal Aarti

विठ्ठल आरती (Vitthal Aarti) का पाठ जीवन को कल्याण के पथ पर ले जाता है। विट्ठल या विठोबा भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण जी का रूप हैं। पंढरपुर के भगवान विठोबा करुणा-स्वरूप हैं। वे अपने भक्तों की कठिन-से-कठिन परिस्थितियों में भी रक्षा करते हैं। भगवान विठ्ठल आरती का गायन उनकी हैतुकी कृपा प्राप्त करने का सरल साधन है। जो व्यक्ति विठ्ठल आरती करता है उसपर विठोबा का आशीष अवश्य बरसता है। उनकी शक्ति अंतहीन है और उनका दिव्य रूप भक्तों के मन को श्रद्धापूरित करने वाला है। सच्चे हृदय से विठ्ठल आरती गाकर जो उन्हें बुलाता है भगवान उसके लिए निश्चित ही आते हैं। इसका प्रत्येक शब्द एक शक्तिकण है जिसमें अनंत ऊर्जा विद्यमान है। पांडुरंग हरि की कृपा गंगा तो सतत प्रवाहित हो रही है। आवश्यकता है तो भक्तिभाव से परिपूर्ण होकर उसमें निमज्जन करने की। 

येई हो विठ्ठले माझे माऊली ये॥
निढळावरी कर ठेऊनी वाट मी पाहे॥धृ.॥

आलिया गेलीया हातीं धाडी निरोप॥
पंढरपुरी आहे माझा मायबाप॥
येई हो विठ्ठले माझे माऊली ये …

पिंवळा पीतांबर कैसा गगनी झळकला॥
गरुडावरी बैसून माझा कैवारी आला॥
येई हो विठ्ठले माझे माऊली ये …

विठोबाचे राज आम्हां नित्य दिपवाळी॥
विष्णुदास नामा जीवेंभावे ओंवाळी॥
येई हो विठ्ठले माझे माऊली ये …

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर विठ्ठल आरती (Vitthal Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें विठ्ठल आरती रोमन में–

yeī ho viṭhṭhale mājhe māūlī ye॥
niḍhaḻāvarī kara ṭheūnī vāṭa mī pāhe॥dhṛ.॥

āliyā gelīyā hātīṃ dhāḍī niropa॥
paṃḍharapurī āhe mājhā māyabāpa॥
yeī ho viṭhṭhale mājhe māūlī ye…

piṃvaḻā pītāṃbara kaisā gaganī jhaḻakalā॥
garuḍāvarī baisūna mājhā kaivārī ālā॥
yeī ho viṭhṭhale mājhe māūlī ye…

viṭhobāce rāja āmhāṃ nitya dipavāḻī॥
viṣṇudāsa nāmā jīveṃbhāve oṃvāḻī॥
yeī ho viṭhṭhale mājhe māūlī ye …

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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