धर्म

जीण माता चालीसा – Jeen Chalisa

जीण माता चालीसा में अद्भुत शक्ति सन्निहित है। जो व्यक्ति श्रद्धापूर्ण होकर जीण माता चालीसा (Jeen Mata Chalisa) का पाठ करता है उसके मन की हर इच्छा मां के आशीर्वाद से निश्चित ही पूर्ण हो जाती है।

जो भक्त नित्य ही माता का स्मरण करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं इसमें कोई शक नहीं है। इस जीण चालीसा (Jeen Chalisa) का पाठ करने वाले भक्त की रक्षा स्वयं मां करती हैं। माता दुष्टों का दलन और सज्जनों की सदैव रक्षा करने वाली हैं। इतिहास साक्षी के कि चाहे कोई बड़े-से-बड़ा बादशाह क्यों न हो उसे मां की शक्ति के आगे घुटने टेकने पड़े हैं। माता की शक्ति अपरमपार है। जो शुद्ध हृदय से माँ को याद करता है माँ उसे दर्शन अवश्य देती हैं। पढ़ें जीण चालीसा–

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॥ दोहा॥
श्री गरु पद समरण करी,
गोरी नंदन ध्याय।
वरनों माता जीण यश,
चरणों शीश नवाय॥

झाकी की अद्भत छवि, 
शोभा कही नजय।
जो नित समरे माय को,
कष्ट दूर हो जाय॥

॥ चोपाई ॥
जय जय जय श्री जीण भवानी।
दुष्ट दलन सनतन मन मानी॥

कैसी अनुपम छवि महतारी।
लख निशिदिन जाऊ बलहारी॥

राजपत घर जनम तुम्हारा।
जीण नाम मा का अति प्यारा॥

हर्षा नाम मातु का भाई।
प्यार बहन से है अधिकाई॥

मनसा पाप भाभी को आया।
बहन से ये नहीं छपे छपाया॥

तज के घर चल दीन्ही फ़ौरन।
निज भाभी से करके अनबन॥

नियत नार की हर्षा लख कर।
रोकन चला बहन को बढ़ कर॥

रुक जा रुक जा बहन हमारी।
घर चल सुन ले अरज हमारी॥

अब भेया मे घर नहीं जाती।
तज दी घर अरु सखा सघाती॥

इतना कह कर चली भवानी।
शुची सूमुखी अरु चतुर सयानी॥

पर्वत पर चढ़कर हुंकारी। 
पर्वत खंड हए अति भारी॥

भक्तो ने माँ का वर पाया।
वही महत एक भवन बनाया॥

रत्न जडित माँ का सिंहासन।
करे कौन कवी जिसका वर्णन॥

मस्तक बिंदिया दम दम दमके।
कानन कंडल चम चम चमके॥

गल में माल सोहे मोतियन की।
नक में बेसर है सुवरण की॥

हिंगलाज की रहने वाली।
कलकत्ते में तुम ही काली

नगर कोट की तुम ही ज्वाला
मात चण्डिका तुम हो बाला॥

वैष्णवी माँ मनसा तू ही।
अन्नपूर्णा जगदम्बा त ही॥

दुष्टो के घर घालक तुम ही।
भक्तो की प्रतिपालक तुम ही॥

महिषासुर की मर्दन हारी।
शुम्भ निशम्भ की गर्दन तारी॥

चंड मुड की तू सन्हारी।
रक्त बीज मारे महतारी॥

मुगल बादशाह बल नहीं जाना।
मंदिर तोडन को मन माना॥

पर्वत पर चढ़ कर तू आई।
कहे पूजारी सून मेरी माझा॥

इसको माँ अभिमान है भारी।
ये नहीं जाने शक्ति तुम्हारी॥

हार गया माँ से अभिमानी।
गिर चरणों में कीर्ति बखानी॥

गनाह बख्श मेरी खता बख्श दे।
दया दिखा मेरे प्राण बख्श दे॥

तेल सवा मन तुरंत चढ़ाया।
दीप जला तम नाश कराया॥

माँ की शक्ति अपरम्पारा।
वो समझे सो माँ का प्यारा॥

शुद्ध हदय से माँ का पूजन।
करे उसे माँ देती दर्शन॥

दुःख दरिद्र को पल में टारी।
सुख सम्पति भर दे महतारी॥

जो मनसा ले तोंकू जाये।
खाली लोट कभी न आये॥

बाँझ, दुखी और बुढ़ा बाला।
सब पर कृपा करे माँ ज्वाला॥

पीकर सुरा रहे मतवाली।
हर जन की करती रखवाली॥

सुरा प्रेम से करता अर्पण।
उसको माँ करती आलिंगन॥

चेत्र अश्विन कितना प्यारा।
पर्व पड़े माँ का अति भरा॥

दूर दूर से भक्त आवे।
मनवांछित फल माँ से पावे॥

जात जडूला कर गठ जोड़ा।
माँ के भवन से रिश्ता जोड़ा॥

करे कढाई भोग लगावे।
माँ चरणों में शीश झुकावे॥

जीण भवानी सिंह वाहिनी।
सभी समय माँ रहो दाहिनी॥

नित चालीसा जो पढे,
दुख दरिद्र मिट जाय॥

भ्रष्ट हए प्राणी भले,
सुधर सुपथ चल आय॥

ग्राम जीण सीकर जिला,
मंदिर बना विशाल॥

भवरा की रानी तू ही,
जीण भवानी काल॥

काजल शिखर विराजती,
ज्योति जलत दिन रात॥

भय भंजन करती सदा,
जीण भवानी मात॥

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॥ दोहा॥
जय दुर्गा जय अम्बिका,
जग जननी गिरिराय।
दया करो हे जगदम्बे,
विनय शीश लवाय॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर जीण चालीसा (Jeen Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें जीण चालीसा रोमन में–

Read Jeen Chalisa

॥ dohā॥
śrī garu pada samaraṇa karī,
gorī naṃdana dhyāya।
varanoṃ mātā jīṇa yaśa,
caraṇoṃ śīśa navāya॥

jhākī kī adbhata chavi,
śobhā kahī najaya।
jo nita samare māya ko,
kaṣṭa dūra ho jāya॥

॥ copāī ॥
jaya jaya jaya śrī jīṇa bhavānī।
duṣṭa dalana sanatana mana mānī॥

kaisī anupama chavi mahatārī।
lakha niśidina jāū balahārī॥

rājapata ghara janama tumhārā।
jīṇa nāma mā kā ati pyārā॥

harṣā nāma mātu kā bhāī।
pyāra bahana se hai adhikāī॥

manasā pāpa bhābhī ko āyā।
bahana se ye nahīṃ chape chapāyā॥

taja ke ghara cala dīnhī pha़aurana।
nija bhābhī se karake anabana॥

niyata nāra kī harṣā lakha kara।
rokana calā bahana ko baḍha़ kara॥

ruka jā ruka jā bahana hamārī।
ghara cala suna le araja hamārī॥

aba bheyā me ghara nahīṃ jātī।
taja dī ghara aru sakhā saghātī॥

itanā kaha kara calī bhavānī।
śucī sūmukhī aru catura sayānī॥

parvata para caḍha़kara huṃkārī।
parvata khaṃḍa hae ati bhārī॥

bhakto ne mā~ kā vara pāyā।
vahī mahata eka bhavana banāyā॥

ratna jaḍita mā~ kā siṃhāsana।
kare kauna kavī jisakā varṇana॥

mastaka biṃdiyā dama dama damake।
kānana kaṃḍala cama cama camake॥

gala meṃ māla sohe motiyana kī।
naka meṃ besara hai suvaraṇa kī॥

hiṃgalāja kī rahane vālī।
kalakatte meṃ tuma hī kālī॥

nagara koṭa kī tuma hī jvālā।
māta caṇḍikā tuma ho bālā॥

vaiṣṇavī mā~ manasā tū hī।
annapūrṇā jagadambā ta hī॥

duṣṭo ke ghara ghālaka tuma hī।
bhakto kī pratipālaka tuma hī॥

mahiṣāsura kī mardana hārī।
śumbha niśambha kī gardana tārī॥

caṃḍa muḍa kī tū sanhārī।
rakta bīja māre mahatārī॥

mugala bādaśāha bala nahīṃ jānā।
maṃdira toḍana ko mana mānā॥

parvata para caḍha़ kara tū āī।
kahe pūjārī sūna merī mājhā॥

isako mā~ abhimāna hai bhārī।
ye nahīṃ jāne śakti tumhārī॥

hāra gayā mā~ se abhimānī।
gira caraṇoṃ meṃ kīrti bakhānī॥

ganāha bakhśa merī khatā bakhśa de।
dayā dikhā mere prāṇa bakhśa de॥

tela savā mana turaṃta caढ़āyā।
dīpa jalā tama nāśa karāyā॥

mā~ kī śakti aparampārā।
vo samajhe so mā~ kā pyārā॥

śuddha hadaya se mā~ kā pūjana।
kare use mā~ detī darśana॥

duḥkha daridra ko pala meṃ ṭārī।
sukha sampati bhara de mahatārī॥

jo manasā le toṃkū jāye।
khālī loṭa kabhī na āye॥

bā~jha, dukhī aura buḍha़ā bālā।
saba para kṛpā kare mā~ jvālā॥

pīkara surā rahe matavālī।
hara jana kī karatī rakhavālī॥

surā prema se karatā arpaṇa।
usako mā~ karatī āliṃgana॥

cetra aśvina kitanā pyārā।
parva paḍa़e mā~ kā ati bharā॥

dūra dūra se bhakta āve।
manavāṃchita phala mā~ se pāve॥

jāta jaḍūlā kara gaṭha joḍa़ā।
mā~ ke bhavana se riśtā joḍa़ā॥

kare kaḍhāī bhoga lagāve।
mā~ caraṇoṃ meṃ śīśa jhukāve॥

jīṇa bhavānī siṃha vāhinī।
sabhī samaya mā~ raho dāhinī॥

nita cālīsā jo paḍhe,
dukha daridra miṭa jāya॥

bhraṣṭa hae prāṇī bhale,
sudhara supatha cala āya॥

grāma jīṇa sīkara jilā,
maṃdira banā viśāla॥

bhavarā kī rānī tū hī,
jīṇa bhavānī kāla॥

kājala śikhara virājatī,
jyoti jalata dina rāta॥

bhaya bhaṃjana karatī sadā,
jīṇa bhavānī māta॥

॥ dohā॥
jaya durgā jaya ambikā,
jaga jananī girirāya।
dayā karo he jagadambe,
vinaya śīśa lavāya॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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