धर्म

नाम रामायण – Naam Ramayan

नाम रामायण (Naam Ramayan) एक संक्षिप्त लेकिन अद्भुत ग्रंथ है। रामायण के पाठ की महिमा तो प्रत्येक हिंदू जानता ही है। महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण महाकाव्य और महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत ग्रंथ की कथाएँ सबने सुनी हैं। रामायण का पाठ करने से सभी पाप-ताप दूर हो जाते हैं और भगवान श्री राम की निर्मल भक्ति प्राप्त होती है। यद्यपि रामायण एक बहुत बड़ा ग्रंथ है और इसे पढ़ने में या इसके श्रवण में काफ़ी समय लगता है। संक्षिप्त “नाम रामायण” का पाठ भी वही फल देता है जो रामायण पढ़ने का फल है। इसमें मात्र 108 छोटे श्लोकों में पूरी राम-कथा आ जाती है। रामायण मनका 108 की ही तरह संस्कृत के इस छोटे-से स्तोत्र का पाठ प्रभु राम की कृपा आकृष्ट करने का अद्भुत उपाय है। नाम रामायण में सभी सातों काण्ड समाहित हैं। इसका पाठ सरलता से प्रतिदिन किया जा सकता है। विशेषतः भारत के दक्षिणी क्षेत्रों में नाम रामायण का बहुत प्रचार-प्रसार है। पढ़ें नाम रामायण नामक यह अद्भुत स्तोत्र–

बालकाण्डः

शुद्धब्रह्मपरात्पर राम्॥१॥
कालात्मकपरमेश्वर राम्॥२॥
शेषतल्पसुखनिद्रित राम्॥३॥
ब्रह्माद्यामरप्रार्थित राम्॥४॥
चण्डकिरणकुलमण्डन राम्॥५॥
श्रीमद्दशरथनन्दन राम्॥६॥
कौसल्यासुखवर्धन राम्॥७॥
विश्वामित्रप्रियधन राम्॥८॥
घोरताटकाघातक राम्॥९॥
मारीचादिनिपातक राम्॥१०॥
कौशिकमखसंरक्षक राम्॥११॥
श्रीमदहल्योद्धारक राम्॥१२॥
गौतममुनिसम्पूजित राम्॥१३॥
सुरमुनिवरगणसंस्तुत राम्॥१४॥
नाविकधावितमृदुपद राम्॥१५॥
मिथिलापुरजनमोहक राम्॥१६॥
विदेहमानसरञ्जक राम्॥१७॥
त्र्यम्बककार्मुकभञ्जक राम्॥१८॥
सीतार्पितवरमालिक राम्॥१९॥
कृतवैवाहिककौतुक राम्॥२०॥
भार्गवदर्पविनाशक राम्॥२१॥
श्रीमदयोध्यापालक राम्॥२२॥
राम् राम् जय राजा राम्।
राम् राम् जय सीता राम्॥

अयोध्याकाण्डः

अगणितगुणगणभूषित राम्॥२३॥
अवनीतनयाकामित राम्॥२४॥
राकाचन्द्रसमानन राम्॥२५॥
पितृवाक्याश्रितकानन राम्॥२६॥
प्रियगुहविनिवेदितपद राम्॥२७॥
तत्क्षालितनिजमृदुपद राम्॥२८॥
भरद्वाजमुखानन्दक राम्॥२९॥
चित्रकूटाद्रिनिकेतन राम्॥३०॥
दशरथसन्ततचिन्तित राम्॥३१॥
कैकेयीतनयार्थित राम्॥३२॥
विरचितनिजपितृकर्मक राम्॥३३॥
भरतार्पितनिजपादुक राम्॥३४॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम्॥

अरण्यकाण्डः

दण्डकवनजनपावन राम्॥३५॥
दुष्टविराधविनाशन राम्॥३६॥
शरभङ्गसुतीक्ष्णार्चित राम्॥३७॥
अगस्त्यानुग्रहवर्धित राम्॥३८॥
गृध्राधिपसंसेवित राम्॥३९॥
पञ्चवटीतटसुस्थित राम्॥४०॥
शूर्पणखार्तिविधायक राम्॥४१॥
खरदूषणमुखसूदक राम्॥४२॥
सीताप्रियहरिणानुग राम्॥४३॥
मारीचार्तिकृदाशुग राम्॥४४॥
विनष्टसीतान्वेषक राम्॥४५॥
गृध्राधिपगतिदायक राम्॥४६॥
शबरीदत्तफलाशन राम्॥४७॥
कबन्धबाहुच्छेदक राम्॥४८॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम्॥

किष्किन्धाकाण्डः

हनुमत्सेवितनिजपद राम्॥४९॥
नतसुग्रीवाभीष्टद राम्॥५०॥
गर्वितवालिसंहारक राम्॥५१॥
वानरदूतप्रेषक राम्॥५२॥
हितकरलक्ष्मणसंयुत राम्॥५३॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम्॥

सुन्दरकाण्डः

कपिवरसन्ततसंस्मृत राम्॥५४॥
तद्‍गतिविघ्नध्वंसक राम्॥५५॥
सीताप्राणाधारक राम्॥५६॥
दुष्टदशाननदूषित राम्॥५७॥
शिष्टहनूमद्‍भूषित राम्॥५८॥
सीतावेदितकाकावन राम्॥५९॥
कृतचूडामणिदर्शन राम्॥६०॥
कपिवरवचनाश्वासित राम्॥६१॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम्॥

युद्धकाण्डः

रावणनिधनप्रस्थित राम्॥६२॥
वानरसैन्यसमावृत राम्॥६३॥
शोषितसरिदीशार्थित राम्॥६४॥
विभीषणाभयदायक राम्॥६५॥
पर्वतसेतुनिबन्धक राम्॥६६॥
कुम्भकर्णशिरच्छेदक राम्॥६७॥
राक्षससङ्घविमर्दक राम्॥६८॥
अहिमहिरावणचारण राम्॥६९॥
संहृतदशमुखरावण राम्॥७०॥
विधिभवमुखसुरसंस्तुत राम्॥७१॥
खस्थितदशरथवीक्षित राम्॥७२॥
सीतादर्शनमोदित राम्॥७३॥
अभिषिक्तविभीषणनत राम्॥७४॥
पुष्पकयानारोहण राम्॥७५॥
भरद्वाजादिनिषेवण राम्॥७६॥
भरतप्राणप्रियकर राम्॥७७॥
साकेतपुरीभूषण राम्॥७८॥
सकलस्वीयसमानत राम्॥७९॥
रत्नलसत्पीठास्थित राम्॥८०॥
पट्टाभिषेकालङ्कृत राम्॥८१॥
पार्थिवकुलसम्मानित राम्॥८२॥
विभीषणार्पितरङ्गक राम्॥८३॥
कीशकुलानुग्रहकर राम्॥८४॥
सकलजीवसंरक्षक राम्॥८५॥
समस्तलोकाधारक राम्॥८६॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम्॥

उत्तरकाण्डः

आगतमुनिगणसंस्तुत राम्॥८७॥
विश्रुतदशकण्ठोद्भव राम्॥८८॥
सीतालिङ्गननिर्वृत राम्॥८९॥
नीतिसुरक्षितजनपद राम्॥९०॥
विपिनत्याजितजनकज राम्॥९१॥
कारितलवणासुरवध राम्॥९२॥
स्वर्गतशम्बुकसंस्तुत राम्॥९३॥
स्वतनयकुशलवनन्दित राम्॥९४॥
अश्वमेधक्रतुदीक्षित राम्॥९५॥
कालावेदितसुरपद राम्॥९६॥
आयोध्यकजनमुक्तिद राम्॥९७॥
विधिमुखविबुधानन्दक राम्॥९८॥
तेजोमयनिजरूपक राम्॥९९॥
संसृतिबन्धविमोचक राम्॥१००॥
धर्मस्थापनतत्पर राम्॥१०१॥
भक्तिपरायणमुक्तिद राम्॥१०२॥
सर्वचराचरपालक राम्॥१०३॥
सर्वभवामयवारक राम्॥१०४॥
वैकुण्ठालयसंस्थित राम्॥१०५॥
नित्यानन्दपदस्थित राम्॥१०६॥
राम् राम् जय राजा राम्॥१०७॥
राम् राम् जय सीता राम्॥१०८॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम्॥

॥इति नामरामायणम् सम्पूर्णम्॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर नाम रामायण (Naam Ramayan) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें नाम रामायण रोमन में–

bālakāṇḍaḥ

śuddhabrahmaparātpara rām॥1॥
kālātmakaparameśvara rām॥2॥
śeṣatalpasukhanidrita rām॥3॥
brahmādyāmaraprārthita rām॥4॥
caṇḍakiraṇakulamaṇḍana rām॥5॥
śrīmaddaśarathanandana rām॥6॥
kausalyāsukhavardhana rām॥7॥
viśvāmitrapriyadhana rām॥8॥
ghoratāṭakāghātaka rām॥9॥
mārīcādinipātaka rām॥10॥
kauśikamakhasaṃrakṣaka rām॥11॥
śrīmadahalyoddhāraka rām॥12॥
gautamamunisampūjita rām॥13॥
suramunivaragaṇasaṃstuta rām॥14॥
nāvikadhāvitamṛdupada rām॥15॥
mithilāpurajanamohaka rām॥16॥
videhamānasarañjaka rām॥17॥
tryambakakārmukabhañjaka rām॥18॥
sītārpitavaramālika rām॥19॥
kṛtavaivāhikakautuka rām॥20॥
bhārgavadarpavināśaka rām॥21॥
śrīmadayodhyāpālaka rām॥22॥
rām rām jaya rājā rām।
rām rām jaya sītā rām॥

ayodhyākāṇḍaḥ

agaṇitaguṇagaṇabhūṣita rām॥23॥
avanītanayākāmita rām॥24॥
rākācandrasamānana rām॥25॥
pitṛvākyāśritakānana rām॥26॥
priyaguhaviniveditapada rām॥27॥
tatkṣālitanijamṛdupada rām॥28॥
bharadvājamukhānandaka rām॥29॥
citrakūṭādriniketana rām॥30॥
daśarathasantatacintita rām॥31॥
kaikeyītanayārthita rām॥32॥
viracitanijapitṛkarmaka rām॥33॥
bharatārpitanijapāduka rām॥34॥
rām rām jaya rājā rām ।
rām rām jaya sītā rām॥

araṇyakāṇḍaḥ

daṇḍakavanajanapāvana rām॥35॥
duṣṭavirādhavināśana rām॥36॥
śarabhaṅgasutīkṣṇārcita rām॥37॥
agastyānugrahavardhita rām॥38॥
gṛdhrādhipasaṃsevita rām॥39॥
pañcavaṭītaṭasusthita rām॥40॥
śūrpaṇakhārtividhāyaka rām॥41॥
kharadūṣaṇamukhasūdaka rām॥42॥
sītāpriyahariṇānuga rām॥43॥
mārīcārtikṛdāśuga rām॥44॥
vinaṣṭasītānveṣaka rām॥45॥
gṛdhrādhipagatidāyaka rām॥46॥
śabarīdattaphalāśana rām॥47॥
kabandhabāhucchedaka rām॥48॥
rām rām jaya rājā rām ।
rām rām jaya sītā rām॥

kiṣkindhākāṇḍaḥ

hanumatsevitanijapada rām॥49॥
natasugrīvābhīṣṭada rām॥50॥
garvitavālisaṃhāraka rām॥51॥
vānaradūtapreṣaka rām॥52॥
hitakaralakṣmaṇasaṃyuta rām॥53॥
rām rām jaya rājā rām ।
rām rām jaya sītā rām॥

sundarakāṇḍaḥ

kapivarasantatasaṃsmṛta rām॥54॥
tad‍gativighnadhvaṃsaka rām॥55॥
sītāprāṇādhāraka rām॥56॥
duṣṭadaśānanadūṣita rām॥57॥
śiṣṭahanūmad‍bhūṣita rām॥58॥
sītāveditakākāvana rām॥59॥
kṛtacūḍāmaṇidarśana rām॥60॥
kapivaravacanāśvāsita rām॥61॥
rām rām jaya rājā rām ।
rām rām jaya sītā rām॥

yuddhakāṇḍaḥ

rāvaṇanidhanaprasthita rām॥62॥
vānarasainyasamāvṛta rām॥63॥
śoṣitasaridīśārthita rām॥64॥
vibhīṣaṇābhayadāyaka rām॥65॥
parvatasetunibandhaka rām॥66॥
kumbhakarṇaśiracchedaka rām॥67॥
rākṣasasaṅghavimardaka rām॥68॥
ahimahirāvaṇacāraṇa rām॥69॥
saṃhṛtadaśamukharāvaṇa rām॥70॥
vidhibhavamukhasurasaṃstuta rām॥71॥
khasthitadaśarathavīkṣita rām॥72॥
sītādarśanamodita rām॥73॥
abhiṣiktavibhīṣaṇanata rām॥74॥
puṣpakayānārohaṇa rām॥75॥
bharadvājādiniṣevaṇa rām॥76॥
bharataprāṇapriyakara rām॥77॥
sāketapurībhūṣaṇa rām॥78॥
sakalasvīyasamānata rām॥79॥
ratnalasatpīṭhāsthita rām॥80॥
paṭṭābhiṣekālaṅkṛta rām॥81॥
pārthivakulasammānita rām॥82॥
vibhīṣaṇārpitaraṅgaka rām॥83॥
kīśakulānugrahakara rām॥84॥
sakalajīvasaṃrakṣaka rām॥85॥
samastalokādhāraka rām॥86॥
rām rām jaya rājā rām ।
rām rām jaya sītā rām॥

uttarakāṇḍaḥ

āgatamunigaṇasaṃstuta rām॥87॥
viśrutadaśakaṇṭhodbhava rām॥88॥
sītāliṅgananirvṛta rām॥89॥
nītisurakṣitajanapada rām॥90॥
vipinatyājitajanakaja rām॥91॥
kāritalavaṇāsuravadha rām॥92॥
svargataśambukasaṃstuta rām॥93॥
svatanayakuśalavanandita rām॥94॥
aśvamedhakratudīkṣita rām॥95॥
kālāveditasurapada rām॥96॥
āyodhyakajanamuktida rām॥97॥
vidhimukhavibudhānandaka rām॥98॥
tejomayanijarūpaka rām॥99॥
saṃsṛtibandhavimocaka rām॥100॥
dharmasthāpanatatpara rām॥101॥
bhaktiparāyaṇamuktida rām॥102॥
sarvacarācarapālaka rām॥103॥
sarvabhavāmayavāraka rām॥104॥
vaikuṇṭhālayasaṃsthita rām॥105॥
nityānandapadasthita rām॥106॥
rām rām jaya rājā rām॥107॥
rām rām jaya sītā rām॥108॥
rām rām jaya rājā rām ।
rām rām jaya sītā rām॥

॥iti nāmarāmāyaṇam sampūrṇam॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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