धर्म

रविदास चालीसा – Ravidas Chalisa

रविदास चालीसा का पाठ इच्छाओं को पूरा करता है और हृदय में भक्तिभाव पैदा करता है। गुरु रविदास चालीसा (Ravidas Chalisa) को नित्य पढ़ना मन को शुद्ध करता है। संत रविदास का उज्ज्वल चरित्र पूरे देश में पूजा जाता है।

मध्यकाल में वे हिंदू धर्म की पताका की तरह थे। आइए, स्वयं का आत्मकल्याण करने के लिए पढ़ें रविदास चालीसा–

॥ दोहा ॥
बन्दौं वीणा पाणि को,
देहु आय मोहिं ज्ञान।
पाय बुद्धि रविदास को,
करौं चरित्र बखान॥

मातु की महिमा अमित है,
लिखि न सकत है दास।
ताते आयों शरण में,
पुरवहु जन की आस॥

॥ चौपाई॥
जै होवै रविदास तुम्हारी,
कृपा करहु हरिजन हितकारी।

राहू भक्त तुम्हारे ताता,
कर्मा नाम तुम्हारी माता।

काशी ढिंग माडुर स्थाना,
वर्ण अछुत करत गुजराना।

द्वादश वर्ष उम्र जब आई,
तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई।

रामानन्द के शिष्य कहाये,
पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये।

शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों,
ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों।

गंग मातु के भक्त अपारा,
कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा।

पंडित जन ताको लै जाई,
गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई।

हाथ पसारि लीन्ह चौगानी,
भक्त की महिमा अमित बखानी।

चकित भये पंडित काशी के,
देखि चरित भव भय नाशी के।

रत्न जटित कंगन तब दीन्हाँ,
रविदास अधिकारी कीन्हाँ।

पंडित दीजो भक्त को मेरे,
आदि जन्म के जो हैं चेरे।

पहुँचे पंडित ढिग रविदासा,
दै कंगन पुरइ अभिलाषा।

तब रविदास कही यह बाता,
दूसर कंगन लावहु ताता।

पंडित जन तब कसम उठाई,
दूसर दीन्ह न गंगा माई।

तब रविदास ने वचन उचारे,
पंडित जन सब भये सुखारे।

जो सर्वदा रहै मन चंगा,
तौ घर बसति मातु है गंगा।

हाथ कठौती में तब डारा,
दूसर कंगल एक निकारा।

चित संकोचित पंडित कीन्हें,
अपने अपने मारग लीन्हें।

तब से प्रचलित एक प्रसंगा,
मन चंगा तो कठौती में गंगा।

एक बार फिरि परयो झमेला,
मिलि पंडितजन कीन्हों खेला।

सालिग राम गंग उतरावै,
सोई प्रबल भक्त कहलावै।

सब जन गये गंग के तीरा,
मूरति तैरावन बिच नीरा।

डूब गई सबकी मझधारा,
सबके मन भयो दुःख अपारा।

पत्थर मूर्ति रही उतराई,
सुर नर मिलि जयकार मचाई।

रहयो नाम रविदास तुम्हारा,
मच्यों मगर महँ हाहाकारा।

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो,
जन्म जनेऊ आप दिखाओ।

देखि चकित भये सब नर नारी,
विद्वानन सुधि बिसरी सारी।

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों,
चकित उनहुँ का तुम करि दीन्हों।

गुरु गोरखहिं दीन्ह उपदेशा,
उन मान्यो तकि संत विशेषा।

सदना पीर तर्क बहु कीन्हाँ,
तुम ताको उपदेश है दीन्हाँ।

मन महँ हारयो सदन कसाई,
जो दिल्ली में खबरि सुनाई।

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई,
लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई।

अपने गृह तब तुमहिं बुलावा,
मुस्लिम होन हेतु समुझावा।

मानी नहिं तुम उसकी बानी,
बंदीगृह काटी है रानी।

कृष्ण दरश पाये रविदासा,
सफल भई तुम्हरी सब आशा।

ताले टूटि खुल्यो है कारा,
माम सिकन्दर के तुम मारा।

काशी पुर तुम कहँ पहुँचाई,
दै प्रभुता अरुमान बड़ाई।

मीरा योगावति गुरु कीन्हों,
जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो।

तिनको दै उपदेश अपारा,
कीन्हों भव से तुम निस्तारा।

॥ दोहा ॥
ऐसे ही रविदास ने,
कीन्हें चरित अपार।
कोई कवि गावै कितै,
तहूं न पावै पार॥

नियम सहित हरिजन अगर,
ध्यान धरै चालीसा।
ताकी रक्षा करेंगे,
जगतपति जगदीशा॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर गुरु रविदास चालीसा (Ravidas Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें गुरु रविदास चालीसा रोमन में–

Read Ravidas Chalisa

॥ dohā ॥
bandauṃ vīṇā pāṇi ko,
dehu āya mohiṃ jñāna।
pāya buddhi ravidāsa ko,
karauṃ caritra bakhāna॥

mātu kī mahimā amita hai,
likhi na sakata hai dāsa।
tāte āyoṃ śaraṇa meṃ,
puravahu jana kī āsa।

॥ caupāī॥
jai hovai ravidāsa tumhārī,
kṛpā karahu harijana hitakārī।

rāhū bhakta tumhāre tātā,
karmā nāma tumhārī mātā।

kāśī ḍhiṃga māḍura sthānā,
varṇa achuta karata gujarānā।

dvādaśa varṣa umra jaba āī,
tumhare mana hari bhakti samāī।

rāmānanda ke śiṣya kahāye,
pāya jñāna nija nāma baḍha़āye।

śāstra tarka kāśī meṃ kīnhoṃ,
jñānina ko upadeśa hai dīnhoṃ।

gaṃga mātu ke bhakta apārā,
kauḍa़ī dīnha unahiṃ upahārā।

paṃḍita jana tāko lai jāī,
gaṃga mātu ko dīnha caḍha़āī।

hātha pasāri līnha caugānī,
bhakta kī mahimā amita bakhānī।

cakita bhaye paṃḍita kāśī ke,
dekhi carita bhava bhaya nāśī ke।

ratna jaṭita kaṃgana taba dīnhā~,
ravidāsa adhikārī kīnhā~।

paṃḍita dījo bhakta ko mere,
ādi janma ke jo haiṃ cere।

pahu~ce paṃḍita ḍhiga ravidāsā,
dai kaṃgana purai abhilāṣā।

taba ravidāsa kahī yaha bātā,
dūsara kaṃgana lāvahu tātā।

paṃḍita jana taba kasama uṭhāī,
dūsara dīnha na gaṃgā māī।

taba ravidāsa ne vacana ucāre,
paṃḍita jana saba bhaye sukhāre।

jo sarvadā rahai mana caṃgā,
tau ghara basati mātu hai gaṃgā।

hātha kaṭhautī meṃ taba ḍārā,
dūsara kaṃgala eka nikārā।

cita saṃkocita paṃḍita kīnheṃ,
apane apane māraga līnheṃ।

taba se pracalita eka prasaṃgā,
mana caṃgā to kaṭhautī meṃ gaṃgā।

eka bāra phiri parayo jhamelā,
mili paṃḍitajana kīnhoṃ khelā।

sāliga rāma gaṃga utarāvai,
soī prabala bhakta kahalāvai।

saba jana gaye gaṃga ke tīrā,
mūrati tairāvana bica nīrā।

ḍūba gaī sabakī majhadhārā,
sabake mana bhayo duḥkha apārā।

patthara mūrti rahī utarāī,
sura nara mili jayakāra macāī।

rahayo nāma ravidāsa tumhārā,
macyoṃ magara maha~ hāhākārā।

cīri deha tuma dugdha bahāyo,
janma janeū āpa dikhāo।

dekhi cakita bhaye saba nara nārī,
vidvānana sudhi bisarī sārī।

jñāna tarka kabirā saṃga kīnhoṃ,
cakita unahu~ kā tuma kari dīnhoṃ।

guru gorakhahiṃ dīnha upadeśā,
una mānyo taki saṃta viśeṣā।

sadanā pīra tarka bahu kīnhā~,
tuma tāko upadeśa hai dīnhā~।

mana maha~ hārayo sadana kasāī,
jo dillī meṃ khabari sunāī।

muslima dharma kī suni kubaḍa़āī,
lodhi sikandara gayo gussāī।

apane gṛha taba tumahiṃ bulāvā,
muslima hona hetu samujhāvā।

mānī nahiṃ tuma usakī bānī,
baṃdīgṛha kāṭī hai rānī।

kṛṣṇa daraśa pāye ravidāsā,
saphala bhaī tumharī saba āśā।

tāle ṭūṭi khulyo hai kārā,
māma sikandara ke tuma mārā।

kāśī pura tuma kaha~ pahu~cāī,
dai prabhutā arumāna baḍa़āī।

mīrā yogāvati guru kīnhoṃ,
jinako kṣatriya vaṃśa pravīno।
tinako dai upadeśa apārā,
kīnhoṃ bhava se tuma nistārā।

॥ dohā ॥
aise hī ravidāsa ne,
kīnheṃ carita apāra।
koī kavi gāvai kitai,
tahūṃ na pāvai pāra॥

niyama sahita harijana agara,
dhyāna dharai cālīsā।
tākī rakṣā kareṃge,
jagatapati jagadīśā॥

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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