धर्म

होली खेल रहे नंदलाल – Holi Khel Rahe Nandlal

होली खेल रहे नंदलाल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में॥

नंदगांव के छैल बिहारी,
बरसाने कि राधा प्यारी,
हिलमिल खेले गोपी ग्वाल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
होली खेल रहे नन्दलाल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में॥

ढप-ढोल मजीरा बाजे,
कान्हा मुख मुरली साजे,
ए री सब नाचत दे दे ताल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
होली खेल रहे नन्दलाल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में॥

रंग भर पिचकारी मारी,
रंग में रंग दारी सारी,
ए री मेरे मुख पर मलो गुलाल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
होली खेल रहे नदलाल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में॥

होली खेल रहे नंदलाल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में॥

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम इस भजन को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस भजन को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें Holi Khel Rahe Nandlal रोमन में-

Holi Khel Rahe Nandlal Lyrics

holī khela rahe naṃdalāla,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ॥

naṃdagāṃva ke chaila bihārī,
barasāne ki rādhā pyārī,
hilamila khele gopī gvāla,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ,
holī khela rahe nandalāla,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ॥

ḍhapa-ḍhola majīrā bāje,
kānhā mukha muralī sāje,
e rī saba nācata de de tāla,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ,
holī khela rahe nandalāla,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ॥

raṃga bhara picakārī mārī,
raṃga meṃ raṃga dārī sārī,
e rī mere mukha para malo gulāla,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ,
holī khela rahe nadalāla,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ॥

holī khela rahe naṃdalāla,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ,
vṛṃdāvana kuñja galina meṃ॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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