धर्म

तुलसी माता की आरती – Tulsi Ji Ki Aarti

तुलसी माता की आरती गाने से सारे पाप विनष्ट हो जाते हैं और सुख-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। सच्चे हृदय से तुलसी माता की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) गाने वाले भक्त का अन्तःकरण शुद्ध हो जाता है। शुद्ध हृदय व्यक्ति जीवन में स्वतः ही सत्, चित् व आनंद को आकर्षित करता है।

धीरे-धीरे सभी बाधाएँ भी समाप्त होती चली जाती हैं। तुलसी माता भगवान विष्णु को परम प्रिय हैं। अतः उनकी प्रसन्नता भगवान् श्री हरि की कृपा भी आकर्षित करती है। समस्त विश्व में ऐसा क्या है जो श्री हरि की कृपा से न हो सके? पढ़ें तुलसी जी की आरती–

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जय तुलसी माता, सब जग की सुख दाता॥
जय तुलसी माता…

सब योगों के ऊपर,सब लोगों के ऊपर
रुज से रक्षा कर – के भव त्राता॥
जय तुलसी माता…

बटु पुत्री हे श्यामा सुर बल्ली हे ग्राम्या।
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे सो नर तर जाता॥
जय तुलसी माता…

हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी तुम हो विख्याता॥
जय तुलसी माता…

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लेकर जन्म विजन में आई दिव्य भवन में।
मानवलोक तुम्हीं से सुख सम्पत्ति पाता॥
जय तुलसी माता…

हरि को तुम अति प्यारी श्याम वरुण कुमारी।
प्रेम अजब है उनका तुमसे कैसा नाता॥
जय तुलसी माता…

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर तुलसी माता की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें तुलसी माता की आरती रोमन में–

Read Tulsi Ji Ki Aarti

jaya tulasī mātā, saba jaga kī sukha dātā॥jaya॥
jaya tulasī mātā…

saba yogoṃ ke ūpara,
saba logoṃ ke ūpara। ruja se rakṣā karake bhava trātā॥jaya॥
jaya tulasī mātā…

baṭu putrī he śyāmā sura ballī he grāmyā।
viṣṇu priye jo tumako seve so nara tara jātā॥jaya॥
jaya tulasī mātā…

hari ke śīśa virājata tribhuvana se ho vaṃdita।
patita janoṃ kī tāriṇī tuma ho vikhyātā॥jaya॥
jaya tulasī mātā…

lekara janma vijana meṃ āī divya bhavana meṃ।
mānavaloka tumhīṃ se sukha sampatti pātā॥jaya॥
jaya tulasī mātā…

hari ko tuma ati pyārī śyāma varuṇa kumārī।
prema ajaba hai unakā tumase kaisā nātā॥jaya॥
jaya tulasī mātā…

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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