मदन मोहन अष्टकम – Madana Mohana Ashtakam
मदन मोहन अष्टकम, जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा को गुणगान करने वाला है, भक्तों के लिए कई लाभ प्रदान करता है। मदन मोहन अष्टकम का पाठ करने से भक्तों की भक्ति में वृद्धि होती है, और वे भगवान के प्रति अधिक समर्पित होते हैं। इस अष्टकम का जाप मानसिक शांति और सुकून को बढ़ावा देता है और तनाव को कम करता है।
जय शङ्खगदाधर नीलकलेवर
पीतपटाम्बर देहि पदम् ।
जय चन्दनचर्चित कुण्डलमण्डित
कौस्तुभशोभित देहि पदम् ॥१॥
जय पङ्कजलोचन मारविमोहन
पापविखण्डन देहि पदम् ।
जय वेणुनिनादक रासविहारक
वङ्किम सुन्दर देहि पदम् ॥२॥
जय धीरधुरन्धर अद्भुतसुन्दर
दैवतसेवित देहि पदम् ।
जय विश्वविमोहन मानसमोहन
संस्थितिकारण देहि पदम् ॥३॥
जय भक्तजनाश्रय नित्यसुखालय
अन्तिमबान्धव देहि पदम् ।
जय दुर्जनशासन केलिपरायण
कालियमर्दन देहि पदम् ॥४॥
जय नित्यनिरामय दीनदयामय
चिन्मय माधव देहि पदम् ।
जय पामरपावन धर्मपरायण
दानवसूदन देहि पदम् ॥५॥
जय वेदविदांवर गोपवधूप्रिय
वृन्दावनधन देहि पदम् ।
जय सत्यसनातन दुर्गतिभञ्जन
सज्जनरञ्जन देहि पदम् ॥६॥
जय सेवकवत्सल करुणासागर
वाञ्छितपूरक देहि पदम् ।
जय पूतधरातल देवपरात्पर
सत्त्वगुणाकर देहि पदम् ॥७॥
जय गोकुलभूषण कंसनिषूदन
सात्वतजीवन देहि पदम् ।
जय योगपरायण संसृतिवारण
ब्रह्मनिरञ्जन देहि पदम् ॥८॥
॥ इति श्रीमदनमोहनाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह मदन मोहन अष्टकम (Pashupati Ashtakam) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह श्री मदनमोहनाष्टकम् रोमन में–
Sri Madana Mohana Ashtakam
jaya śaṅkhagadādhara nīlakalevara
pītapaṭāmbara dehi padam ।
jaya candanacarcita kuṇḍalamaṇḍita
kaustubhaśobhita dehi padam ॥1॥
jaya paṅkajalocana māravimohana
pāpavikhaṇḍana dehi padam ।
jaya veṇuninādaka rāsavihāraka
vaṅkima sundara dehi padam ॥2॥
jaya dhīradhurandhara adbhutasundara
daivatasevita dehi padam ।
jaya viśvavimohana mānasamohana
saṃsthitikāraṇa dehi padam ॥3॥
jaya bhaktajanāśraya nityasukhālaya
antimabāndhava dehi padam ।
jaya durjanaśāsana keliparāyaṇa
kāliyamardana dehi padam ॥4॥
jaya nityanirāmaya dīnadayāmaya
cinmaya mādhava dehi padam ।
jaya pāmarapāvana dharmaparāyaṇa
dānavasūdana dehi padam ॥5॥
jaya vedavidāṃvara gopavadhūpriya
vṛndāvanadhana dehi padam ।
jaya satyasanātana durgatibhañjana
sajjanarañjana dehi padam ॥6॥
jaya sevakavatsala karuṇāsāgara
vāñchitapūraka dehi padam ।
jaya pūtadharātala devaparātpara
sattvaguṇākara dehi padam ॥7॥
jaya gokulabhūṣaṇa kaṃsaniṣūdana
sātvatajīvana dehi padam ।
jaya yogaparāyaṇa saṃsṛtivāraṇa
brahmanirañjana dehi padam ॥8॥
॥ iti śrīmadanamohanāṣṭakaṃ sampūrṇam ॥
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