धर्म

अमृत बरसे माता रानी – Amrit Barse Mata Rani

अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार,
माता रानी के द्वार आंबे रानी के द्वार,
अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार…..

माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे,
माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे…..

नही जाना नही जाना दरबार से खाली नही जाना,
नही जाना नही जाना दरबार से खाली नही जाना…

इस अमृत में भक्त ध्यानु होक मस्त नहाया,
अंतर मन के खुल गए द्वारे निर्मल हो गई काया,
माँ की धुन में खो कर उस ने दुनिया को बिसराया,
माई ज्वाला के चरणों में अपना शीश चढ़ाया,
अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार……

माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे,
माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे…

पाना है पाना है दरबार से सब कुछ पाना है,
पाना है पाना है दरबार से सब कुछ पाना है…..

इस अमृत का श्री धर ने भी पिया प्रेम प्याला,
रोम रोम में फिर गई उसके माँ के नाम की माला,
कन्या रूप में वैष्णो माँ का हुआ जो दर्श निराला,
नाच पड़ा वो भक्ति रस में हो कर के मत वाला,
अमृत बरसे बरसे जी चिंता हरनी के द्वार…

माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे,
माई के भवन में अमृत बरसे माई के भवन में अमृत बरसे……

ले जाएंगे मन की मुरादे ले जाएंगे ले जाएंगे मन की मुरादे ले जाएंगे,
ले जाएंगे मन की मुरादे ले जाएंगे ले जाएंगे मन की मुरादे ले जाएंगे…

इस अमृत के दो चार छीटे जिन भगतो पे बरसे,
वो जन्मो की प्यास बुजा गए प्यासे फिर न तरसे,
मन चाहे फल पाए उन्हों ने महा दाती के दर से,
मैया उनकी बनी ख्वाईया हो गे पार भवर से,
अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार……

अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार,
अमृत बरसे बरसे जी नैना देवी के द्वार मनसा देवी के द्वार…..

नही जाना नही जाना दरबार से खाली नही जाना,
नही जाना नही जाना दरबार से खाली नही जाना……

पाना है पाना है दरबार से सब कुछ पाना है,
पाना है पाना है दरबार से सब कुछ पाना है…

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर हम यह अमृत बरसे माता रानी भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह भजन रोमन में–

Read Amrit Barse Mata Rani Lyrics

amṛta barase barase jī mātā rānī ke dvāra,
mātā rānī ke dvāra āṃbe rānī ke dvāra,
amṛta barase barase jī mātā rānī ke dvāra…..

māī ke bhavana meṃ amṛta barase māī ke bhavana meṃ amṛta barase,
māī ke bhavana meṃ amṛta barase māī ke bhavana meṃ amṛta barase…..

nahī jānā nahī jānā darabāra se khālī nahī jānā,
nahī jānā nahī jānā darabāra se khālī nahī jānā…

isa amṛta meṃ bhakta dhyānu hoka masta nahāyā,
aṃtara mana ke khula gae dvāre nirmala ho gaī kāyā,
mā~ kī dhuna meṃ kho kara usa ne duniyā ko bisarāyā,
māī jvālā ke caraṇoṃ meṃ apanā śīśa caḍha़āyā,
amṛta barase barase jī mātā rānī ke dvāra……

māī ke bhavana meṃ amṛta barase māī ke bhavana meṃ amṛta barase,
māī ke bhavana meṃ amṛta barase māī ke bhavana meṃ amṛta barase…

pānā hai pānā hai darabāra se saba kucha pānā hai,
pānā hai pānā hai darabāra se saba kucha pānā hai…..

isa amṛta kā śrī dhara ne bhī piyā prema pyālā,
roma roma meṃ phira gaī usake mā~ ke nāma kī mālā,
kanyā rūpa meṃ vaiṣṇo mā~ kā huā jo darśa nirālā,
nāca paḍa़ā vo bhakti rasa meṃ ho kara ke mata vālā,
amṛta barase barase jī ciṃtā haranī ke dvāra…

māī ke bhavana meṃ amṛta barase māī ke bhavana meṃ amṛta barase,
māī ke bhavana meṃ amṛta barase māī ke bhavana meṃ amṛta barase……

le jāeṃge mana kī murāde le jāeṃge le jāeṃge mana kī murāde le jāeṃge,
le jāeṃge mana kī murāde le jāeṃge le jāeṃge mana kī murāde le jāeṃge…

isa amṛta ke do cāra chīṭe jina bhagato pe barase,
vo janmo kī pyāsa bujā gae pyāse phira na tarase,
mana cāhe phala pāe unhoṃ ne mahā dātī ke dara se,
maiyā unakī banī khvāīyā ho ge pāra bhavara se,
amṛta barase barase jī mātā rānī ke dvāra……

amṛta barase barase jī mātā rānī ke dvāra,
amṛta barase barase jī nainā devī ke dvāra manasā devī ke dvāra…..

nahī jānā nahī jānā darabāra se khālī nahī jānā,
nahī jānā nahī jānā darabāra se khālī nahī jānā……

pānā hai pānā hai darabāra se saba kucha pānā hai,
pānā hai pānā hai darabāra se saba kucha pānā hai…

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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