धर्म

कबहू ना छूटी छठ – Kabahun Naa Chhooti Chhath Lyrics

पढ़ें “कबहू ना छूटी छठ” लिरिक्स

कबहुँ ना छूटी छठि मइया
हमनी से बरत तोहार
हमनी से बरत तोहार
तहरे भरोसा हमनी के
छूटी नाही छठ के त्योहार
छूटी नाही छठ के त्योहार

अपने सरन में ही रखिह
दिह आसिस हज़ार
दिह आसिस हज़ार

गोदिया भराईल छठी मइय्या
बाटे राऊर किरपा अपार
बाटे राऊर किरपा अपार

चाहें रहब देसवा बिदेसवा
छठ करब हम हर बार
छठ करब हम हर बार

डूबतो सुरुज के जे पूजे
इहे बाटे हमर बिहार
इहे बाटे हमर बिहार

फलवा दउरवा सजाके
अईनी हम घाट पे तोहार
अईनी हम घाट पे तोहार

दिहनी अरघ छठी मईया
करीं हमर आरती स्वीकार
करीं हमर आरती स्वीकार

कबहुँ ना छूटी छठि मइया
हमनी से बरत तोहार
हमनी से बरत तोहार

तहरे भरोसा हमनी के
छूटी नाही छठ के त्योहार
छूटी नाही छठ के त्योहार
छूटी नाही छठ के त्योहार
छूटी नाही छठ के त्योहार

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि कबहू ना छूटी छठ गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें छठ पूजा का गीत (Chhath Geet) रोमन में-

Read Kabahun Naa Chhooti Chhath Lyrics

kabahu~ nā chūṭī chaṭhi maiyā
hamanī se barata tohāra
hamanī se barata tohāra
tahare bharosā hamanī ke
chūṭī nāhī chaṭha ke tyohāra
chūṭī nāhī chaṭha ke tyohāra

apane sarana meṃ hī rakhiha
diha āsisa haja़āra
diha āsisa haja़āra

godiyā bharāīla chaṭhī maiyyā
bāṭe rāūra kirapā apāra
bāṭe rāūra kirapā apāra

cāheṃ rahaba desavā bidesavā
chaṭha karaba hama hara bāra
chaṭha karaba hama hara bāra

ḍūbato suruja ke je pūje
ihe bāṭe hamara bihāra
ihe bāṭe hamara bihāra

phalavā dauravā sajāke
aīnī hama ghāṭa pe tohāra
aīnī hama ghāṭa pe tohāra

dihanī aragha chaṭhī maīyā
karīṃ hamara āratī svīkāra
karīṃ hamara āratī svīkāra

kabahu~ nā chūṭī chaṭhi maiyā
hamanī se barata tohāra
hamanī se barata tohāra

tahare bharosā hamanī ke
chūṭī nāhī chaṭha ke tyohāra
chūṭī nāhī chaṭha ke tyohāra
chūṭī nāhī chaṭha ke tyohāra
chūṭī nāhī chaṭha ke tyohāra

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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