सूर्य भगवान की आरती – Surya Dev Ki Aarti
सूर्य भगवान की आरती से बुद्धि का प्रकाश मिलता है। भगवान् भास्कर जगत का आधार हैं। सारे ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव आत्मा के द्योतक हैं। वे हमारे निकट से भी निकट हैं। सूर्योपासना हमें तेज देती है। इससे भक्त आत्मबल से भर जाता है। आत्मबल से संपन्न व्यक्ति के लिए फिर कुछ भी अप्राप्य नहीं है। सूर्य भगवान की आरती (Surya Dev Ki Aarti) गाने से ये सारी चीजें सहज ही घटित होने लगती हैं। व्यक्ति ओजवान् हो जाता है। उसका मनोबल बढ़ जाता है। शौर्य में वृद्धि होती है। जीवन में प्रगति के लिए पढ़ें सूर्य भगवान की आरती–
जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव।
राजनीति मदहारी शतदल जीवन दाता॥
षटपद मन मुदकारी हे दिनमणि ताता।
जग के हे रविदेव, जय जय जय रविदेव॥
नभमंडल के वासी ज्योति प्रकाशक देवा।
निज जनहित सुखसारी तेरी हम सब सेवा॥
करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव।
कनक बदनमन मोहित रुचिर प्रभा प्यारी॥
हे सुरवर रविदेव, जय जय जय रविदेव ॥
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भगवान भास्कर आदित्य रूप में वैदिक साहित्य में सर्वाधिक पूजित देवों में से एक हैं। वे शक्ति के स्रोत माने गए हैं। उनका नित्य पूजन जीवन को प्रकाशित करने में सक्षम है।