धर्म

बंदी मोचन हनुमान स्तोत्र – Hanuman Bandi Mochan Stotra

“बंदी मोचन हनुमान स्तोत्र” का पाठ करने से सभी प्रकार के बंधनों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो किसी मुकदमे में फंसे हुए हैं या जेल में बंद हैं।

बन्दी देव्यै नमस्कृत्य वरदाभय शोभितम्।
तदाज्ञांशरणं गच्छत् शीघ्रं मोचं ददातु मे॥

बन्दी कमल पत्राक्षी लौह श्रृंखला भंजिनीम्।
प्रसादं कुरू मे देवि! शीघ्रं मोचं ददातु मे॥

त्वं बन्दी त्वं महा माया त्वं दुर्गा त्वं सरस्वती।
त्वं देवी रजनी चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे॥

त्वं ह्रीं त्वमोश्वरी देवि ब्राम्हणी ब्रम्हा वादिनी।
त्वं वै कल्पक्षयं कर्त्री शीघ्रं मोचं ददातु मे॥

देवी धात्री धरित्री च धर्म शास्त्रार्थ भाषिणी।
दु: श्वासाम्ब रागिणी देवी शीघ्रं मोचं ददातु मे।

नमोस्तुते महालक्ष्मी रत्न कुण्डल भूषिता।
शिवस्यार्धाग्डिनी चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे॥

नमस्कृत्य महा-दुर्गा भयात्तु तारिणीं शिवां।
महा दु:ख हरां चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे॥

इंद स्तोत्रं महा-पुण्यं य: पठेन्नित्यमेव च।
सर्व बन्ध विनिर्मुक्तो मोक्षं च लभते क्षणात्॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह बंदी मोचन हनुमान स्तोत्र को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें स्तोत्र रोमन में–

Read Hanuman Bandi Mochan Stotra

bandī devyai namaskṛtya varadābhaya śobhitam।
tadājñāṃśaraṇaṃ gacchat śīghraṃ mocaṃ dadātu me॥

bandī kamala patrākṣī lauha śrṛṃkhalā bhaṃjinīm।
prasādaṃ kurū me devi! śīghraṃ mocaṃ dadātu me॥

tvaṃ bandī tvaṃ mahā māyā tvaṃ durgā tvaṃ sarasvatī।
tvaṃ devī rajanī caiva śīghraṃ mocaṃ dadātu me॥

tvaṃ hrīṃ tvamośvarī devi brāmhaṇī bramhā vādinī।
tvaṃ vai kalpakṣayaṃ kartrī śīghraṃ mocaṃ dadātu me॥

devī dhātrī dharitrī ca dharma śāstrārtha bhāṣiṇī।
du: śvāsāmba rāgiṇī devī śīghraṃ mocaṃ dadātu me।

namostute mahālakṣmī ratna kuṇḍala bhūṣitā।
śivasyārdhāgḍinī caiva śīghraṃ mocaṃ dadātu me॥

namaskṛtya mahā-durgā bhayāttu tāriṇīṃ śivāṃ।
mahā du:kha harāṃ caiva śīghraṃ mocaṃ dadātu me॥

iṃda stotraṃ mahā-puṇyaṃ ya: paṭhennityameva ca।
sarva bandha vinirmukto mokṣaṃ ca labhate kṣaṇāt॥

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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