स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (26 दिसम्बर, 1889)

(स्वामी विवेकानंद का श्री प्रमदादास मित्र को लिखा गया पत्र)
ईश्वरो जयति

वैद्यनाथ,
२६ दिसम्बर, १८८९

पूज्यपाद,

बहुत दिनों के प्रयास के बाद सम्भवतः अब मुझे आपके समीप उपस्थित होने का सुअवसर मिलेगा। आशा है कि दो-एक दिन में ही मैं आपके चरणों के समीप पुनीत काशीधाम में उपस्थित हो सकूँगा।

मैं यहाँ पर कलकत्तानिवासी एक सज्जन के मकान पर दो-चार दिन से हूँ – किन्तु वाराणसी के लिए चित्त अत्यन्त व्याकुल है।

वहाँ कुछ दिन रहने की अभिलाषा है एवं देखना है कि मुझ जैसे मन्दभाग्य व्यक्ति के लिए श्रीविश्वनाथ तथा श्रीअन्नपूर्णा क्या करती हैं। अबकी बार मैंने प्रतिज्ञा की है कि शरीरं वा पातयामि, मन्त्रं वा साधयामि (मन्त्र का साधन अथवा शरीर का नाश) – काशीनाथ सहायक बनें।

आपका,
नरेन्द्रनाथ

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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