स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री अतुलचन्द्र घोष को लिखित (15 मार्च, 1890)
(स्वामी विवेकानंद का श्री अतुलचन्द्र घोष को लिखा गया पत्र)
गाजीपुर,
१५ मार्च, १८९०
अतुल बाबू,
आपकी मानसिक पीड़ा के समाचार से अत्यन्त दुःख हुआ – जिससे आनन्द मिल सके, ऐसी व्यवस्था करें –
यावज्जननं तावन्मरणं, तावज्जननीजठरे शयनम्।
इति संसारे स्फुटतरदोषः कथमिह मानव तव सन्तोषः॥
– जहाँ जन्म है, वहाँ मृत्यु है और माँ के गर्भ में प्रवेश भी है। संसार में यह दोष सुस्पष्ट है। अरे मनुष्य, ऐसे संसार में संतोष कहाँ!’
आपका,
नरेन्द्र
पुनश्च – मैं कल यहाँ से प्रस्थान कर रहा हूँ – देखना है कि भाग्य कहाँ ले जाता है।