स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित (15 जून 1892)
(स्वामी विवेकानंद का श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखा गया पत्र)
पूना,
१५ जून, १८९२
प्रिय दीवानजी साहब,
बहुत दिनों से आपका पत्र नहीं मिला। आशा करता हूँ कि आपको मैंने किसी प्रकार अप्रसन्न नहीं कर दिया है। महाबलेश्वर के ठाकुर साहब के साथ मैं यहाँ आया, और उन्हीं के साथ रह रहा हूँ। यहाँ पर मैं एक सप्ताह या कुछ अधिक रुकूँगा और तत्पश्चात हैदराबाद होते हुए रामेश्वरम् जाऊँगा।
शायद अब तक जूनागढ़ में आपके रास्ते से सारी बाधाएँ दूर हो गयी होंगी; कम से कम मुझे ऐसी आशा है। आपके स्वास्थ्य के विषय में, विशेष रूप से उस मोच के विषय में जानने की बड़ी उत्सुकता है।
मैंने आपके मित्र भावनगर के राजकुमार के शिक्षक सुर्ती से मुलाकात की। वे बहुत ही सज्जन हैं। उनसे परिचति होना एक सौभाग्य की बात है; वे बहुत ही अच्छे एवं उत्तम प्रकृति के पुरुष हैं।
आपके सहृदय भाइयों और वहाँ के हमारे मित्रों के लिए मेरा हार्दिक अभिवादन। अपने घर के पत्र में नाभूभाई को कृपया मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित कीजिएगा। आशा है, शीघ्र पत्रोत्तर के द्वारा आप मुझे कृतार्थ करेंगे। हार्दिक श्रद्धा, कृतज्ञता एवं आप तथा आपके आत्मीयों के शुभ के लिए प्रार्थनाओं सहित।
भवदीय,
विवेकानन्द