स्वामी विवेकानंद के पत्र – प्रोफेसर जॉन हेनरी राइट को लिखित (4 सितम्बर, 1893)
(स्वामी विवेकानंद का प्रोफेसर जॉन हेनरी राइट को लिखा गया पत्र)
सालेम,
४ सितम्बर, १८९३
प्रिय अध्यापक जी,
आपने मुझे जो परिचय-पत्र दिये, मैं उसके लिए आपका हृदय से आभारी हूँ। मुझे शिकागो के श्री थेलेस महोदय का पत्र मिला, जिसमें प्रतिनिधियों के नाम एवं कांग्रेस के सम्बन्ध में अन्य बातें थीं।
आपके संस्कृत के प्राध्यापक ने कुमारी सैनबोर्न को लिखते समय भूल से मुझे पुरुषोत्तम जोशी समझ लिया है, लेकिन उन्होंने बतलाया है कि बोस्टन में संस्कृत का एक ऐसा पुस्तकालय है, जैसा कि भारत में भी दुर्लभ होगा। मुझे उसको देखने की इच्छा है।
श्री सैनबोर्न ने मुझे सोमवार को सैराटोगा आने को लिखा है और मैं उसी के अनुसार चला जाऊँगा। वहाँ एक सेनिटोरियम है, जहाँ खाने एवं रहने का प्रबन्ध है। इस बीच अगर कोई समाचार प्राप्त हो, तो मुझे सेनेटोरियम, सैराटोगा ही भेजने की कृपा कीजियेगा।
आप और आपकी सुन्दर पत्नी एवं प्यारे बच्चों का अमिट प्रभाव मेरे मन पर छा गया है और आप लोगों के साथ रहने पर
मुझे लगता है कि मैं स्वर्ग के निकट हूँ। सर्वप्रदाता ईश्वर आपके शीश पर श्रेयस्कर आशीर्वादों की वृष्टि करे।
कविता1के प्रयास में मैं कुछ पंक्तियाँ लिख रहा हूँ। आशा है, आपका प्रेम मेरे इस अपराध को क्षमा करेगा।
आपका अभिन्न मित्र,
विवेकानन्द
- यह कविता दशम खण्ड में ‘अन्वेषण’ नाम से प्रकाशित हुई है। स.