स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्रीमती ओलि बुल को लिखित (24 सितम्बर, 1895)

(स्वामी विवेकानंद का श्रीमती ओलि बुल को लिखा गया पत्र)

रीडिंग, इंग्लैण्ड,
२४ सितम्बर, १८९५

प्रिय श्रीमती बुल,

श्री स्टर्डी को संस्कृत सीखने में सहायता प्रदान करने के सिवा मैंने अब तक और कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया है। श्री स्टर्डी ने मुझे अपने गुरूभाइयों में से ऐसे एक संन्यासी को यहाँ बुलाने के लिए कहा है, जो कि मेरे अमेरिका चले जाने पर उनकी सहायता कर सके। मैं भी भारत में एक संन्यासी के लिए लिख चुका हूँ। अब तक सब ठीक ही चला है। इसके आगे आनेवाली तरंग की प्रतीक्षा में मैं हूँ। ‘न टालो, न ढूँढ़ो – भगवान् अपनी इच्छानुसार जो कुछ भेजे, उसके लिए प्रतीक्षा करते रहो’, यही मेरा मूलमंत्र है। यह ठीक है कि मैं बहुत कम पत्र लिखता हूँ , किन्तु मेरा हृदय कृतज्ञता से परिपूर्ण है।

शुभेच्छु,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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