स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री आलसिंगा पेरूमल को लिखित (24 अक्टूबर, 1895)
(स्वामी विवेकानंद का श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखा गया पत्र)
लन्दन,
२४ अक्टूबर, १८९५
प्रिय आलासिंगा,
…मैं अपना पहला व्याख्यान दे चुका हूँ और ‘स्टैन्डर्ड’ को देखने से तुम जान सकोगे कि वह कितनी अच्छी तरह ग्रहण किया गया। ‘स्टैन्डर्ड’ एक अत्यन्त प्रभावशाली और परिवर्तन-विरोधी समाचारपत्र है। मैं एक महीने तक लन्दन में रहूँगा, तत्पश्चात् अमेरिका जाऊँगा और फिर अगली गर्मी में वापस आऊँगा। अब तक तुम देखोगे कि इंग्लैण्ड में अच्छा ही श्रीगणेश हुआ है।
साहसी होकर काम करो। धीरज और स्थिरता से काम करना – यही एक मार्ग है। आगे बढ़ो और याद रखो धीरज, साहस, पवित्रता और अनवरत कर्म।… जब तक तुम पवित्र होकर अपने उद्देश्य पर डटे रहोगे, तब तक तुम कभी निष्फल नहीं होओगे – माँ तुम्हें कभी न छोड़ेगी और पूर्ण आशीर्वाद के तुम पात्र हो जाओगे।
सस्नेह तुम्हारा,
विवेकानन्द