स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (15 नवम्बर, 1897)
(स्वामी विवेकानंद का स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखा गया पत्र)
लाहौर,
१५ नवम्बर, १८९७
अभिन्नहृदय,
सम्भवतः तुम्हारा तथा हरि का स्वास्थ्य अब ठीक होगा। अत्यन्त धूमधाम के साथ लाहौर का कार्य समाप्त हो चुका है। अब मैं देहरादून रवाना हो रहा हूँ। सिन्धयात्रा स्थगित कर दी गयी है। दीनू, लाटू तथा कृष्णलाल जयपुर पहुँचे हैं या नहीं, अभी तक कोई समाचार प्राप्त नहीं हुआ है। मठ के खर्च के लिए बाबू नगेन्द्रनाथ गुप्त महोदय यहाँ से चन्दा एवं दान की रकम को एकत्र कर भेजेंगे। उनके पास रसीद की किताबें भेज देना। मरी, रावलपिण्डी तथा सियालकोट से तुम्हें कुछ प्राप्त हुआ है अथवा नहीं, मुझे सूचित करना।
इस पत्र का उत्तर ‘द्वारा पोस्ट मास्टर, देहरादून’ – इस पते पर देना। अन्य पत्रादि देहरादून से मेरा पत्र मिलने पर भेजना। मेरा स्वास्थ्य ठीक है। रात में दो-एक बार उठना पड़ता है। नींद भी ठीक आती है। अधिक व्याख्यान देने पर भी नींद की कोई हानि नहीं होती है, साथ ही व्यायाम भी प्रतिदिन जारी है।… कोई गड़बड़ी नहीं है। अब कमर कसकर जुट जाओ एवं दूनी शक्ति के साथ कार्य करो। उस बड़ी जगह पर चुपचाप दृष्टि रखना। इसी समय वहीं पर महोत्सव (श्रीरामकृष्ण का जन्मोत्सव) करने की यथोचित व्यवस्था की जा रही है। सबसे मेरा प्यार कहना। इति।
सस्नेह तुम्हारा,
विवेकानन्द
पुनश्च – मास्टर महाशय यदि बीच-बीच में हम लोगों के बारे में ‘ट्रिब्यून’ में लिखते रहें तो बहुत ही अच्छा हो। फिर तो लाहौर में हलचल बन्द नहीं होगी। अब पर्याप्त उत्साह है। भली-भाँति सोच-विचार कर रुपये-पैसे खर्च करना; तीर्थ-यात्रा का भार अपने ऊपर तथा प्रचारादि का व्यय मठ से हो।
वि.