स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – ‘मास्टर महाशय’ को लिखित (24 नवम्बर, 1897)

(स्वामी विवेकानंद का ‘मास्टर महाशय’ को लिखा गया पत्र)

देहरादून,
२४ नवम्बर, १८९७

प्रिय ‘म’,

आपके दूसरे पत्रक (‘वचनामृत’ के कुछ पृष्ठ) के लिए अनेकानेक धन्यवाद। यह निश्चय ही आश्चर्यजनक है। यह आयोजन नितान्त मौलिक है। किसी महान् आचार्य का जीवन-चरित्र लेखक की मनोभावों की छाप पड़े बिना जनता के सामने कभी नहीं आया, पर आप वैसा करके दिखा रहे हैं। आपकी शैली नवीन और निश्चित रूप की है, साथ ही भाषा की सरलता एवं स्पष्टता के लिए जितनी भी प्रशंसा की जाय वह थोड़ी है।

पत्रकों के पढ़ने से मुझे कितना हर्ष हुआ है मैं उसका यथार्थ शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता। जब मैं उसे पढ़ता हूँ तो सचमुच हर्ष से उन्मत्त हो जाता हूँ। यह बात विचित्र है न? हमारे गुरु और प्रभु इतने मौलिक थे कि हममें से प्रत्येक को या तो मौलिक बनना पड़ेगा या ‘कुछ नहीं’। अब मेरी समझ में आया कि उनकी जीवनी लिखने का प्रयत्न हममें से किसी ने क्यों नहीं किया। यह महान् कार्य आपके लिए सुरक्षित था। वे निश्चय ही आपके साथ हैं।

प्रेम और नमस्कार के साथ,

आपका,
विवेकानन्द

पुनश्च – सक्रेटिस के वार्तालाप में प्लेटो ही प्लेटो की छाप है, परन्तु आप स्वयं तो इसमें अदृश्य ही हैं। साथ ही उसका नाटकीय पहलू परम सुन्दर है। यहाँ और पश्चिम में दोनों जगह लोग इसे बहुत पसंद करते हैं।

वि.

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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