स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्रीमती लेगेट को लिखित (7 अप्रैल, 1900)

(स्वामी विवेकानंद का श्रीमती लेगेट को लिखा गया पत्र )

१७१९, टर्क स्ट्रीट,
सैन फ़्रांसिस्को,
७ अप्रैल, १९००

माँ,

घाव का कारण पूर्णतया दूर हो जाने का समाचार देने के उपलक्ष्य में मेरी बधाई स्वीकार करें। मुझे कोई संदेह नहीं कि इस बार आप बिल्कुल अच्छी हो जायँगी।

आपके अत्यन्त कृपापूर्ण पत्र से मुझे बड़ी स्फूर्ति मिली। मुझे तनिक भी चिन्ता नहीं कि लोग मेरी सहायता के लिए आते हैं या नहीं। मैं दिन-प्रतिदिन शान्त और चिन्तारहित होता जा रहा हूँ।

कृपया श्रीमती मेल्टन को मेरा प्यार कहें। मुझे विश्वास है कि देर-सबेर मैं अच्छा हो ही जाऊँगा। कुल मिलाकर मेरा स्वास्थ्य सुधर रहा है, यद्यपि बीच बीच में मैं पुनः गिर पड़ता हूँ। यह बीच बीच का बीमार पड़ जाना भी मियाद और तेजी की दृष्टि से कम होता जा रहा है।

जिस तरह से आपने तुरीयानन्द तथा सिरी का इलाज किया, वह आपके ही अनुरूप है। आपके महान् हृदय के लिए आप पर ईश्वर का आशीर्वाद है। आप और आपके स्वजनों का सदैव कल्याण हो।

यह बिल्कुल सही है कि मुझे फ्रांस जाना चाहिए और फ़्रांसीसियों के बीच काम करना चाहिए। मुझे आशा है कि जुलाई या इसके पूर्व ही मैं फ़्रांस पहुँच जाऊँगा। जगन्माता सब जानती हैं। आपका सदा-सर्वदा मंगल हो, यही मेरी प्रार्थना है।

आपका पुत्र,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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