स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – कुमारी जोसेफिन मैक्लिऑड को लिखित (24 जुलाई, 1900)

(स्वामी विवेकानंद का कुमारी जोसेफिन मैक्लिऑड को लिखा गया पत्र)

१०२ पश्चिम ५८वाँ रास्ता,
न्यूयार्क,
२४ जुलाई, १९००

प्रिय ‘जो’,

सूर्य = ज्ञान; तरंगायित जल = कर्म; पद्म = प्रेम; सर्प = योग; हंस = आत्मा; उक्ति1 = हंस (अर्थात् परमात्मा) हमें ये प्रदान करें। यह हृदयरूपी सरोवर है। तुम्हें यह कैसा प्रतीत होता है? अस्तु, हंस तुम्हें इन वस्तुओं को प्रदान कर परिपूर्ण बनाये।

आगामी गुरूवार के दिन फ्रेंच जहाज ‘लॉ सैंपन’ में मेरी यात्रा करने की बात है। किताबें वाल्डो और ह्विटमार्श के हाथ में हैं। करीब करीब वे तैयार हैं।

मैं सकुशल हूँ, धीरे धीरे मेरे स्वास्थ्य की उन्नति हो रही है – और आगामी सप्ताह में जब तुमसे भेंट होगी, तब तक ठीक ही रहूँगा।

सदा प्रभुपदाश्रित,
तुम्हारा, विवेकानन्द


  1. ‘तन्नो हंसः प्रचोदयात्’ – रामकृष्ण मठ तथा मिशन के ‘प्रतीक’ की व्याख्या में यह वाक्य लिखा गया है।

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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