कविता

आना है तो आ – Aana Hai To Aa Lyrics in Hindi

“आना है तो आ” 1957 की प्रसिद्ध फ़िल्म नया दौर का गाना है। इसे सुरों से सजाया है मोहम्मद रफी ने व संगीतबद्ध किया है ओ. पी. नय्यर ने। साहिर लुधियानवी की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को। फ़िल्म में दिलीप कुमार, वैजयन्ती माला, अजीत खान और जॉनी वॉकर ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं। पढ़ें आना है तो आ के बोल हिंदी में (Aana Hai To Aa lyrics in Hindi)–

“आना है तो आ” लिरिक्स

आना है तो आ राह में
कुछ फेर नहीं है
भगवन के घर देर
है अंधेर नहीं है
आना है तो आ राह में
कुछ फेर नहीं है
भगवन के घर देर
है अंधेर नहीं है

आना है तो आ राह में
कुछ फेर नहीं है
भगवन के घर देर
है अंधेर नहीं है
आना है तो आ

जब तुझसे न
सुलझे तेरी उलझने
जब तुझसे न
सुलझे तेरी उलझने
भगवन खुद ही तेरी
मुश्किलों को आसान करेगा
जो तू नहीं कर पाया
तो भगवन करेगा
जो तू नहीं कर पाया
तो भगवन करेगा
भगवन करेगा
आना है तो आ राह में
कुछ फेर नहीं है
भगवन के घर देर
है अंधेर नहीं है
आना है तो आ

कहने की ज़रूरत
नहीं आना ही बहुत है
कहने की ज़रूरत
नहीं आना ही बहुत है
इस दर पे तेरा शीश

झुकाना ही बहुत है
जो कुछ है तेरे दिल में
वो सब उसको खबर है
जो कुछ है तेरे दिल में
वो सब उसको खबर है
बंदे तेरे हर हाल पे
मालिक को नज़र है
बंदे तेरे हर हाल पे
मालिक को नज़र है
मालिक को नज़र है
आना है तो आ राह में
कुछ फेर नहीं है
भगवन के घर देर
है अंधेर नहीं है
आना है तो आ

बिन मांगे भी मिलती हैं
यंहा मन की मुरादे
बिन मांगे भी मिलती हैं
यंहा मन की मुरादे
दिल साफ हो जीने का वो
यहाँ आके सजा दे
मिलता जहाँ न्याय व
दरबार यहीं हैं
मिलता जहाँ न्याय व
दरबार यहीं हैं
संसार की सब से बड़ी
सरकार यही हैं
संसार की सब से बड़ी
सरकार यही हैं
सरकार यही हैं
आना है तो आ राह में
कुछ फेर नहीं है
भगवन के घर देर
है अंधेर नहीं है
आना है तो आ

नया दौर से जुड़े तथ्य

फिल्मनया दौर
वर्ष1957
गायक / गायिकामोहम्मद रफी
संगीतकारओ. पी. नय्यर
गीतकारसाहिर लुधियानवी
अभिनेता / अभिनेत्रीदिलीप कुमार, वैजयन्ती माला, अजीत खान, जॉनी वॉकर

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम आना है तो आ गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें Aana Hai To Aa रोमन में-

Aana Hai To Aa Lyrics in Hindi

ānā hai to ā rāha meṃ
kucha phera nahīṃ hai
bhagavana ke ghara dera
hai aṃdhera nahīṃ hai
ānā hai to ā rāha meṃ
kucha phera nahīṃ hai
bhagavana ke ghara dera
hai aṃdhera nahīṃ hai

ānā hai to ā rāha meṃ
kucha phera nahīṃ hai
bhagavana ke ghara dera
hai aṃdhera nahīṃ hai
ānā hai to ā

jaba tujhase na
sulajhe terī ulajhane
jaba tujhase na
sulajhe terī ulajhane
bhagavana khuda hī terī
muśkiloṃ ko āsāna karegā
jo tū nahīṃ kara pāyā
to bhagavana karegā
jo tū nahīṃ kara pāyā
to bhagavana karegā
bhagavana karegā
ānā hai to ā rāha meṃ
kucha phera nahīṃ hai
bhagavana ke ghara dera
hai aṃdhera nahīṃ hai
ānā hai to ā

kahane kī ज़rūrata
nahīṃ ānā hī bahuta hai
kahane kī ज़rūrata
nahīṃ ānā hī bahuta hai
isa dara pe terā śīśa

jhukānā hī bahuta hai
jo kucha hai tere dila meṃ
vo saba usako khabara hai
jo kucha hai tere dila meṃ
vo saba usako khabara hai
baṃde tere hara hāla pe
mālika ko naज़ra hai
baṃde tere hara hāla pe
mālika ko naज़ra hai
mālika ko naज़ra hai
ānā hai to ā rāha meṃ
kucha phera nahīṃ hai
bhagavana ke ghara dera
hai aṃdhera nahīṃ hai
ānā hai to ā

bina māṃge bhī milatī haiṃ
yaṃhā mana kī murāde
bina māṃge bhī milatī haiṃ
yaṃhā mana kī murāde
dila sāpha ho jīne kā vo
yahā~ āke sajā de
milatā jahā~ nyāya va
darabāra yahīṃ haiṃ
milatā jahā~ nyāya va
darabāra yahīṃ haiṃ
saṃsāra kī saba se baड़ī
sarakāra yahī haiṃ
saṃsāra kī saba se baड़ī
sarakāra yahī haiṃ
sarakāra yahī haiṃ
ānā hai to ā rāha meṃ
kucha phera nahīṃ hai
bhagavana ke ghara dera
hai aṃdhera nahīṃ hai
ānā hai to ā

Facts about the Film

FilmNaya Daur
Year1957
SingerMohammad Rafi
MusicO. P. Nayyar
LyricsSahir Ludhianvi
ActorsDilip Kumar, Vyjayanthimala, Ajit Khan, Johnny Walker

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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